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आखिर हम चांद पर क्यों जा रहे हैं? इससे हमें क्या हासिल होगा. ये सब जानने से पहले ये समझते हैं कि आखिर मिशन चंद्रयान-2 इतना खास क्यों हैं-
सबसे पहले बात चंद्रमा के दक्षिण ध्रुवीय क्षेत्र में लैंडिंग की. चंद्रयान-2 वहां उतरेगा जहां आज तक किसी देश ने उतरने की कोशिश ही नहीं की है. ये अपने आप में खास इसलिए है क्योंकि वहां लैंडिंग नहीं होने के कारण कई ऐसे रहस्य हैं जिसका खुलासा भारत कर सकता है.
मतलब साफ है कि चांद की जमीन से ऐसी जानकारी जुटाने और ऐसी खोज करने से न सिर्फ भारत बल्कि पूरी मानवता को फायदा होगा.
इन परीक्षणों और अनुभवों के आधार पर ही आगे होने वाले चंद्र अभियानों की तैयारी में जरूरी बड़े बदलाव लाना है, ताकि आने वाले दौर के अभियानों में अपनाई जाने वाली नई टेक्नॉलोजी तय करने में मदद मिले.
चंद्रमा धरती का सबसे नजदीकी उपग्रह है. इसपर फतह हासिल करके स्पेस में रिसर्च की कोशिश की जा सकती है. इससे जुड़े आंकड़े भी जुटाए जा सकते हैं. चंद्रयान-2 मिशन आगे के सभी अंतरिक्ष मिशन के लिए जरूरी टेक्नोलॉजी आजमाने का परीक्षण केंद्र भी होगा.
साथ ही चांद, हमें धरती के क्रमिक विकास और सोलर सिस्टम की छिपी हुई कई जानकारियों दे सकता है. फिलहाल, कुछ मॉडल मौजूद हैं, लेकिन चंद्रमा के बनने के बारे में और भी साफ होने की जरूरत है. इस मिशन से चांद कैसे बना और उसके विकास से जुड़ी जानकारी जुटाई जा सकेगी.
लॉन्चर- GSLV Mk-III भारत का अब तक का सबसे शक्तिशाली लॉन्चर है, और इसे पूरी तरह से देश में ही बनाया गया है.
ऑर्बिटर- ऑर्बिटर, चंद्रमा की सतह का निरीक्षण करेगा और पृथ्वी तथा चंद्रयान 2 के लैंडर - विक्रम के बीच संकेत रिले करेगा.
विक्रम लैंडर- लैंडर विक्रम (विक्राम साराभाई के नाम पर रखा गया है) को चंद्रमा की सतह पर भारत की पहली सफल लैंडिंग के लिए डिज़ाइन किया गया है
प्रज्ञान रोवर- रोवर ए आई-संचालित 6-पहिया वाहन है, इसका नाम ''प्रज्ञान'' है, जो संस्कृत के ज्ञान शब्द से लिया गया है.
अब 'चंद्रयान 2' को लॉन्च कर दिया गया है. देशभर से ISRO को बधाई दी जारी है.
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