Home Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019News Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019India Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019चंद्रयान 2 को लेकर आई अच्छी खबर, टूटा नहीं है लैंडर विक्रम

चंद्रयान 2 को लेकर आई अच्छी खबर, टूटा नहीं है लैंडर विक्रम

विक्रम लैंडर सुरक्षित है

क्विंट हिंदी
भारत
Updated:
लैंडर ‘विक्रम’ की लोकेशन का पता चला
i
लैंडर ‘विक्रम’ की लोकेशन का पता चला
(फोटो: ISRO) 

advertisement

चांद पर हार्ड लैंडिंग के बावजूद चंद्रयान-2 का लैंडर विक्रम टूटा नहीं है. ISRO के एक अधिकारी ने यह जानकारी दी है. इस अधिकारी के मुताबिक, विक्रम चांद पर टेढ़ी स्थिति में है. हालांकि अभी तक उससे संपर्क नहीं हुआ है.

ISRO अधिकारी ने 9 सितंबर को बताया, ‘’ऑर्बिटर ने जो तस्वीरें भेजी हैं, उनसे लगता है कि लैंडर ‘विक्रम’ ने तय जगह के काफी पास ‘हार्ड लैंडिंग’ की है. लैंडर एक ही पीस में है, यह टुकड़ों में टूटा नहीं है. यह टेढ़ी स्थिति में है.’’ 

इससे पहले 8 सितंबर को ISRO चीफ ने कहा था कि ‘विक्रम’ की लोकशन का पता चल गया है. उन्होंने बताया था- ''चांद की सतह पर हमें लैंडर ‘विक्रम’ की लोकेशन का पता चल गया है, ऑर्बिटर ने इसकी थर्मल इमेज भी क्लिक कर ली है. हालांकि अभी तक इससे संपर्क नहीं हो सका है. हम संपर्क करने की कोशिश कर रहे हैं.''

लैंडर ‘विक्रम’ 6 और 7 सितंबर की दरम्यानी रात चांद के दक्षिणी धुव्रीय क्षेत्र में ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ करने जा रहा था. वो जब चांद की सतह से 2.1 किलोमीटर की दूरी पर था, तभी उसका संपर्क ISRO से टूट गया था.

बता दें कि ‘सॉफ्ट लैंडिंग' में लैंडर को आराम से धीरे-धीरे सतह पर उतारा जाता है, जिससे लैंडर, रोवर और उनके साथ लगे उपकरण सुरक्षित रहें. चंद्रयान-2 से पहले स्पेस एजेंसियों ने 38 बार चांद पर ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ की कोशिश की थी. इन कोशिशों में सक्सेस रेट 52 फीसदी रहा था. अब तक रूस, अमेरिका और चीन को ही चांद पर ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ कराने में सफलता हासिल हुई है.

‘विक्रम’ के लिए आखिरी के 15 मिनट सबसे ज्यादा चुनौतीपूर्ण थे. ‘रफ ब्रेकिंग फेज’ और ‘फाइन ब्रेकिंग फेज’ के जरिए इसकी स्पीड कम की जानी थी, ताकि यह आसानी से सॉफ्ट लैंडिंग कर सके. ISRO की स्क्रीन्स पर दिखे डेटा के मुताबिक, इसका ‘रफ ब्रेकिंग फेज’ सफल रहा था.

बता दें कि भारत ने अपने हेवी लिफ्ट रॉकेट जियोसिंक्रोनस सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल GSLV MkIII-M1 की मदद से 22 जुलाई को चंद्रयान-2 का प्रक्षेपण किया था. स्पेसक्राफ्ट के तीन सेगमेंट थे- ऑर्बिटर (वजन 2,379 किलोग्राम, 8 पेलोड्स), लैंडर 'विक्रम' (1,471 किलोग्राम, 3 पेलोड्स) और एक रोवर 'प्रज्ञान' (27 किलोग्राम, 2 पेलोड्स). 2 सितंबर को दोपहर 1 बजकर 15 मिनट पर लैंडर ‘विक्रम’ ऑर्बिटर से सफलतापूर्वक अलग हो गया था. ऑर्बिटर का चांद के चक्कर लगाना जारी है.

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

Published: 09 Sep 2019,02:07 PM IST

ADVERTISEMENT
SCROLL FOR NEXT