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चांद पर ‘हार्ड लैंडिंग’ के बावजूद चंद्रयान-2 का लैंडर ‘विक्रम’ टूटा नहीं है. ISRO के एक अधिकारी ने यह जानकारी दी है. इस अधिकारी के मुताबिक, विक्रम चांद पर टेढ़ी स्थिति में है. हालांकि अभी तक उससे संपर्क नहीं हुआ है.
इससे पहले 8 सितंबर को ISRO चीफ ने कहा था कि ‘विक्रम’ की लोकशन का पता चल गया है. उन्होंने बताया था- ''चांद की सतह पर हमें लैंडर ‘विक्रम’ की लोकेशन का पता चल गया है, ऑर्बिटर ने इसकी थर्मल इमेज भी क्लिक कर ली है. हालांकि अभी तक इससे संपर्क नहीं हो सका है. हम संपर्क करने की कोशिश कर रहे हैं.''
बता दें कि ‘सॉफ्ट लैंडिंग' में लैंडर को आराम से धीरे-धीरे सतह पर उतारा जाता है, जिससे लैंडर, रोवर और उनके साथ लगे उपकरण सुरक्षित रहें. चंद्रयान-2 से पहले स्पेस एजेंसियों ने 38 बार चांद पर ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ की कोशिश की थी. इन कोशिशों में सक्सेस रेट 52 फीसदी रहा था. अब तक रूस, अमेरिका और चीन को ही चांद पर ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ कराने में सफलता हासिल हुई है.
बता दें कि भारत ने अपने हेवी लिफ्ट रॉकेट जियोसिंक्रोनस सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल GSLV MkIII-M1 की मदद से 22 जुलाई को चंद्रयान-2 का प्रक्षेपण किया था. स्पेसक्राफ्ट के तीन सेगमेंट थे- ऑर्बिटर (वजन 2,379 किलोग्राम, 8 पेलोड्स), लैंडर 'विक्रम' (1,471 किलोग्राम, 3 पेलोड्स) और एक रोवर 'प्रज्ञान' (27 किलोग्राम, 2 पेलोड्स). 2 सितंबर को दोपहर 1 बजकर 15 मिनट पर लैंडर ‘विक्रम’ ऑर्बिटर से सफलतापूर्वक अलग हो गया था. ऑर्बिटर का चांद के चक्कर लगाना जारी है.
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