Home Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019News Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019India Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019Chandrayaan-3: चंद्रयान-2 से कितना अलग है चंद्रयान-3, क्या है ताकत और खासियत?

Chandrayaan-3: चंद्रयान-2 से कितना अलग है चंद्रयान-3, क्या है ताकत और खासियत?

चंद्रयान-3 भेजे जाने से पहले ISRO ने चंद्रयान-2 चांद पर भेजने की कोशिश की थी, जो लैंडिंग से पहले ही क्रैश हो गया था.

क्विंट हिंदी
भारत
Published:
<div class="paragraphs"><p>चंद्रयान-2 से चंद्रयान-3 कितना अलग है? क्या है ताकत और खासियत?</p></div>
i

चंद्रयान-2 से चंद्रयान-3 कितना अलग है? क्या है ताकत और खासियत?

(फोटो- पीटीआई)

advertisement

चंद्रयान-3 (Chandrayaan-3) अपनी ऐतिहासिक चंद्र लैंडिंग के बेहद करीब पहुंच चुका है. भारत के साथ-साथ पूरी दुनिया इस मिशन की तरफ आंखें गड़ाए देख रही है. इस बार पूरी उम्मीद है कि चंद्रयान-3 चंद्रमा पर सफल लैंड करेगा. रिपोर्ट के मुताबिक चंद्रयान-3 का लैंडर शाम करीब 6:25 बजे चंद्रमा पर लैंड करेगा, इसका लाइव प्रसारण 5.20 से शुरू हो जाएगा.

चंद्रयान-3 से पहले ISRO ने चांद पर चंद्रयान-2 को भेजने की कोशिश की थी, लेकिन सफलता हासिल नहीं हुई. इसके बाद ISRO ने चंद्रयान-2 की गलतियों से सीख कर चंद्रयान-3 को मुकाम तक पहुंचाने में अपने पूरी ताकत झोंक दी है. ISRO को पूरा यकीन है कि चंद्रयान-3 का मिशन चांद पूरी तरह से सफल होगा और एक नया इतिहास रचेगा. ऐसे में आइए जानते हैं कि चंद्रायन-3, चंद्रयान-2 से कैसे अलग और खास है?

चंद्रयान-2 से कितना अलग है चंद्रयान-3?

चंद्रयान- 2: भारत का दूसरा लूनर एक्सप्लोरेशन मिशन चंद्रयान 2 का उद्देश्य चंद्रमा की सतह, खनिज संरचना और ध्रुवीय क्षेत्रों में बर्फ की उपस्थिति की स्टडी करना था. इसमें एक ऑर्बिटर, एक लैंडर (विक्रम) और एक रोवर (प्रज्ञान) शामिल था.

चंद्रयान- 3 का टारगेट चांद की सतह पर एक सफल सॉफ्ट लैंडिंग करना है. चांद पर रोवर के घूमने का प्रदर्शन करना और चंद्रमा की मिट्टी का विश्लेषण करने के लिए इन-सीटू वैज्ञानिक प्रयोग करना है. इसमें एक प्रोपल्शन मॉड्यूल, लैंडर और रोवर शामिल किया गया है.

चंद्रयान-2 जुलाई 2019 में लॉन्च किया गया और इसने सफलतापूर्वक ऑर्बिटर को चंद्र कक्षा में स्थापित किया. हालांकि, लैंडर (विक्रम) को कठिन लैंडिंग का अनुभव हुआ और उतरने के दौरान उसका संपर्क टूट गया और रोवर (प्रज्ञान) को तैनात नहीं किया गया.

चंद्रयान-3 की सॉफ्ट लैंडिंग 23 अगस्त शाम करीब 6.04 बजे के आसपास हो सकती है. लैंडर मॉड्यूल से अलग होने के बाद प्रोपल्शन मॉड्यूल को चंद्रमा की कक्षा में स्थापित कर दिया गया है.

चंद्रयान-2 लैंडर में पांच थ्रस्टर थे और 500x500 वर्ग मीटर क्षेत्र में उतरने की सीमित क्षमता थी. इसमें लैंडिंग का आकलन करने के लिए ली गई तस्वीरों का इस्तेमाल किया गया.

चंद्रयान-3 लैंडर में चार थ्रस्टर और मजबूत पैर हैं. यह 4 किमी x 2.5 किमी की दूरी पर उतरने की क्षमता रखता है. यह सफलतापूर्वक उतरने के लिए चंद्रयान-2 ऑर्बिटर द्वारा उत्पन्न डेटा का उपयोग करेगा. इसके अलावा, लैंडिंग के बाद बिजली पैदा करने के लिए इसमें अतिरिक्त सौर पैनल भी हैं.

चंद्रयान-2 की सॉफ्ट लैंडिंग कई चरणों में कराने की योजना थी. लैंडर मॉड्यूल के प्रदर्शन में कुछ बदलावों की वजह से टचडाउन पर उच्च वेग उत्पन्न हुआ, जो लैंडर के पैरों की डिजाइन की गई क्षमता से परे था, जिसकी वजह से लैंडिंग में परेशानी हुई.

चंद्रयान-3 को ज्यादा फैलाव को संभालने के लिए लैंडर में सुधार, सेंसर, सॉफ्टवेयर और प्रणोदन प्रणाली में सुधार, व्यापक सिमुलेशन के अलावा पूर्ण स्तर की अतिरेक और उच्च स्तर की कठोरता सुनिश्चित करने के लिए किए जा रहे अतिरिक्त परीक्षणों द्वारा और ज्यादा मजबूत बनाया गया है.

लैंडर में चंद्रयान-2 की तुलना में चंद्रयान-3 को नरम और सुरक्षित लैंडिंग प्राप्त करने के लिए फैलाव की एक विस्तृत श्रृंखला को स्वायत्त रूप से संभालने की क्षमताओं के साथ डिजाइन किया गया है.

चंद्रयान-3 लैंडर मिशन चंद्रमा की सतह पर लैंडिंग प्रक्रिया के दौरान ऑर्बिटर और मिशन नियंत्रण के साथ समन्वय के लिए "लैंडर खतरे का पता लगाने और बचाव कैमरे" से लैस है. India Today की रिपोर्ट के मुताबिक, चंद्रयान-2 में जहां सिर्फ एक ऐसा कैमरा था, वहीं चंद्रयान-3 में ऐसे दो कैमरे लगाए गए हैं.

इसके अलावा विक्रम लैंडर के पैर पिछले संस्करण की तुलना में ज्यादा मजबूत बनाए गए हैं. TOI की रिपोर्ट के मुताबिक ISRO के अध्यक्ष एस सोमनाथ ने बताया कि लैंडिंग वेग को 3 मीटर/सेकंड से बढ़ाकर 2 मीटर/सेकंड कर दिया गया है. उन्होंने कहा कि इसका मतलब है कि 3 मी/सेकंड की गति पर भी, लैंडर दुर्घटनाग्रस्त नहीं होगा या (अपने पैर) नहीं तोड़ेगा.

एक और बदलाव विक्रम में ज्यादा ईंधन जोड़ना है ताकि इसमें यात्रा करने या फैलाव को संभालने की अधिक क्षमता हो. इसके अलावा, एक नया सेंसर भी जोड़ा गया है. एस सोमनाथ ने बताया कि हमने लेजर डॉपलर वेलोसिटी मीटर नामक एक नया सेंसर जोड़ा है, जो चंद्र इलाके को देखेगा और लेजर सोर्स साउंडिंग के जरिए हम तीन वेग वैक्टर के घटक प्राप्त करने में सक्षम होंगे.

ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT

ISRO प्रमुख ने पहले इसके बारे में बताया था कि चंद्रयान-2 के विक्रम लैंडर के साथ क्या गलत हुआ था क्योंकि यह चंद्र सतह पर पहचाने गए 500 मीटर x 500 मीटर लैंडिंग स्थान की ओर तेजी से बढ़ रहा था, इसके वेग को कम करने के लिए डिजाइन किए गए इंजनों ने हाई स्पीड विकसित की थी. चंद्रयान-3 को लेकर उन्होंने बताया कि लैंडिंग का क्षेत्र 500 मीटर x 500 मीटर से बढ़ाकर चार किमी 2.5 किमी कर दिया गया है.

ISRO प्रमुख ने कहा कि...

विक्रम लैंडर में अब अन्य सतहों पर अतिरिक्त सौर पैनल हैं, जिससे यह सुनिश्चित किया जा सके कि यह जमीन पर कैसे भी उतरे, बिजली उत्पन्न करे. अंतरिक्ष यान को हेलीकॉप्टर का उपयोग करके विभिन्न इलाकों में उड़ान भरकर कंपन झेलने की क्षमता के लिए भी परीक्षण किया गया था, जबकि लैंडिंग प्रक्रियाओं का परीक्षण करने के लिए क्रेन का उपयोग किया गया था.

चंद्रयान-2 ऑर्बिटर को नौ इन-सीटू उपकरणों की एक प्रभावशाली लिस्ट के साथ लॉन्च किया गया था, जो अभी भी चंद्रमा की कक्षा में काम कर रहे हैं. इसकी तुलना में, चंद्रयान -3 मिशन के प्रोपल्शन मॉड्यूल में चंद्र कक्षा से पृथ्वी के वर्णक्रमीय और ध्रुवीय माप का अध्ययन करने के लिए स्पेक्ट्रो-पोलरिमेट्री ऑफ हैबिटेबल प्लैनेटरी अर्थ (SHAPE) नामक केवल एक उपकरण होगा.

चंद्रयान-3 मिशन में एक और अतिरिक्त लैंडर के साथ भेजा जा रहा लेजर रेट्रोरेफ्लेक्टर ऐरे (एलआरए) है, जो चंद्रमा प्रणाली की गतिशीलता को समझने के लिए एक निष्क्रिय प्रयोग है.

  • ISRO ने कहा है कि उसने दूसरी कोशिश के लिए "फेल्योर बेस्ड डिजाइन" का विकल्प चुना है, जिससे यह सुनिश्चित किया जा सके कि कुछ चीजें गलत होने पर भी रोवर चंद्रमा पर सफलतापूर्वक उतर सके.

  • ISRO के अध्यक्ष एस सोमनाथ ने कहा कि चंद्रयान-2 में सक्सेज-बेस्ड डिजाइन के बजाय, अंतरिक्ष एजेंसी ने चंद्रयान-3 में फेल्योर बेस्ड डिजाइन का विकल्प चुना, जिसमें इस बात पर ध्यान दिया गया है कि उसमें क्या फेल हो सकता है और कैसे इसकी सुरक्षा करते हुए सफल लैंडिंग सुनिश्चित की जाए.

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

Published: undefined

ADVERTISEMENT
SCROLL FOR NEXT