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ये युवा कलेक्टर बदलेंगे यूपी में नौकरशाही का चेहरा...

उत्तर प्रदेश के युवा नौकरशाहों का जुदा है अंदाज, जनता के बीच जाना करते हैं पसंद 

आईएएनएस
भारत
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उत्तर प्रदेश में इन दिनों अधिकारी जनता से जुड़ने के अलग-अलग तरीके अपना रहे हैं (फोटो: फेसबुक, कोलाज: क्विंट हिंदी)
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उत्तर प्रदेश में इन दिनों अधिकारी जनता से जुड़ने के अलग-अलग तरीके अपना रहे हैं (फोटो: फेसबुक, कोलाज: क्विंट हिंदी)
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युवा ‘कलेक्टर साहब’ एक चौपाल पर ग्रामीणों के साथ गरम कॉफी पी रहे हैं और लइया-चना खा रहे हैं. एक युवा महिला आईएएस अधिकारी आंगनबाड़ी केंद्र पर एक शिशु को गोद में खेला रही हैं.

एक कलेक्टर मोटरसाइकिल के पीछे बैठकर वाराणसी के एक गांव में यह देखने जाते दिखते हैं कि खुले में कहां शौच किया जा रहा है. यह नजारा है उत्तर प्रदेश का.

उत्तर प्रदेश में यह धारणा गलत साबित हो रही है कि नौकरशाह केवल दफ्तर में आराम करने के लिए होते हैं. प्रदेश में युवा अधिकारियों की टीम एक नया अध्याय लिख रही है.

इससे लोगों को लाभ हो रहा है और लंबे समय से बदलाव की बाट जोह रही राज्य की बिगड़ी हुई नौकरशाही भी बदल रही है.

गोंडा कलेक्टर : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जैसे ‘चाय पर चर्चा’ अभियान को वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में राजनीतिक सफलता के लिए इस्तेमाल किया, शायद गोंडा कलेक्टर आशुतोष निरंजन ने उसी से प्रेरित होकर ‘कॉफी विद कलक्टर’ कार्यक्रम शुरू किया है.

इसमें वह जिले के किसी भी ग्राम पंचायत को चुन लेते हैं और अपने अधिकारियों के साथ कॉफी पीने पहुंच जाते हैं.

इसके पीछे पंचायत व्यवस्था को मजबूत करने और भूमि विवाद जैसे बहुत सारे मुद्दों को निचले स्तर पर ही निपटा देने का विचार है. 
आशुतोष निरंजन

वाराणसी कलेक्टर : वाराणसी के कलेक्टर विजय करण आनंद भी इसी तरह का उदाहरण पेश कर रहे हैं. कई बार वह दूर-दराज के इलाके में मोटरसाइकिल के पीछे बैठ कर वास्तविक स्थिति देखने के लिए पहुंच जाते हैं. हाल में वह सुबह पांच बजे एक मोटरसाइकिल के पीछे बैठकर स्वच्छता, बिजली व नाले की वास्तविक स्थिति देखने निकल पड़े थे.

उन्होंने दयानगर मलिन बस्ती और सिगरा की दयनीय हालत देखी और तत्काल स्थिति में सुधार करने का आदेश दिया. वह लोगों को यह समझाने के लिए सुबह-सुबह गांवों में भी पहुंच जाते हैं कि खुले में शौच न करें.

मुरादाबाद कलेक्टर : जुहैर बिन सगीर ने गांवों में विकास के कुछ कामों में नजीर पेश की है. उन्होंने एक मोबाइल ऐप विकसित करने में मदद की, जिससे लोहिया ग्राम के कामों पर निगरानी रखी जा सके. लोहिया ग्राम गरीबों के लिए कम लागत में आवास बनाने की योजना है.

फैजाबाद कलेक्टर : किंजल सिंह को उनके लखीमपुर खीरी में किए गए अच्छे कामों के लिए आज भी याद किया जाता है. उन्होंने स्कूली बच्चों के दोपहर के भोज के लिए विशेष शेड बनवाए थे. थारू जनजाति के लोगों को मुख्य धारा में लाने के लिए कई कदम उठाए थे.

पीलीभीत कलेक्टर : मासूम अली असगर ने राजनीतिक रूप से महत्वपूर्ण इस क्षेत्र को एक तरह से अतिक्रमण मुक्त करा दिया है. उन्हें यहां के बाघ संरक्षण क्षेत्र के सौंदर्यीकरण का श्रेय भी दिया जाता है.

आजमगढ़ कलेक्टर : सुहास एल वाई ने समाजवादी पार्टी (एसपी) के प्रमुख मुलायम सिंह यादव के इस संसदीय क्षेत्र में शहर को सुंदर बनाने का अद्भुत काम किया है.

लखनऊ कलेक्टर : राजशेखर भी एक नई लहर पैदा कर रहे हैं. वह होटलों को बाल श्रमिकों से मुक्त कराने के अलावा करीब एक हजार एकड़ सरकारी भूमि को अतिक्रमण मुक्त करा चुके हैं.

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