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इंडियन मार्केट में आसानी से मिलने वाली पैकेट बंद ब्रेड में कुछ ऐसे रसायन मिले हैं, जिनसे कैंसर होने की आशंका है.
इसे लेकर एक नई स्टडी सामने आई है, जिसे सेंटर फॉर साइंस एंड एनवॉयरमेंट (CSE) द्वारा कराया गया. इस स्टडी में सामने आया कि भारतीय कंपनियों द्वारा बनाए जाने वाले अधिकतर ब्रेड में पोटेशियम ब्रोमेट और पोटेशियम आयोडेट रसायन मिले होते हैं, जिनसे स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचता है. इसलिए कई देशों में ब्रेड में इन रसायनों के मिलाने पर प्रतिबंध लगा हुआ है.
लेकिन CSE की रिपोर्ट से सामने आए इन तथ्यों को कई ब्रेड कंपनियों और फास्ट फूड चेन ने सिरे से खारिज किया है. ‘क्विंट हिंदी’ द्वारा CSE रिपोर्ट को लेकर की गई खबर पर फास्ट फूड चेन केएफसी ने कमेंट किया और इस रिपोर्ट को बेबुनियाद बताया.
CSE की रिपोर्ट में कहा गया कि कई देशों में ब्रेड निर्माण उद्योग में पोटेशियम ब्रोमेट या आयोडेट जैसे रसायनों के उपयोग पर पाबंदी है, क्योंकि वे लोक स्वास्थ्य के लिए खतरनाक पदार्थो की सूची में आते हैं. इनमें से एक 2बी कार्सिनोजेन श्रेणी में आता है, जबकि दूसरे से थॉयराइड ग्रंथि में खराबी आती है.
इस रिपोर्ट को तैयार करते वक्त आम तौर पर मिलने वाले 38 ब्रांड के ब्रेड, पाव और बन, रेडी-टू-ईट बर्गर ब्रेड और दिल्ली के लोकप्रिय फास्ट फूड आउटलेट्स के रेडी-टू-ईट पिज्जा ब्रेड के नमूनों की दो प्रयोगशालाओं में जांच की गई और 84 फीसदी नमूनों में पोटेशियम ब्रोमेट या आयोडेट पाए गए.
1999 में इंटरनेशनल एजेंसी फॉर रिसर्च ऑन कैंसर (आईएआरसी) ने पोटेशियम ब्रोमेट को कैंसर पैदा करने वाला बताया. जांच से पता चला कि इससे किडनी, थॉयराइड ग्रंथि और पेट में कैंसर हो सकता है. यूरोपीय संघ ने 1990 में इन रसायनों पर प्रतिबंध लगा दिया था. ब्रिटेन, कनाडा, आस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, चीन, श्रीलंका, ब्राजील, नाइजीरिया, पेरू और कोलंबिया ने भी पोटेशियम ब्रोमेट के उपयोग पर पाबंदी लगा दी है.
खाद्य उत्पादों में रसायन होने की खबर के बाद मंगलवार को जुबिलेंट फूड वर्क्स, वेस्ट लाइफ डेवलपमेंट और ब्रिटानिया इंडस्ट्रीज के शेयर 12.4 प्रतिशत लुढ़क गए.
हालांकि इन सभी ब्रेड उत्पादक कंपनियों ने CSE की इस रिपोर्ट का खंडन किया है और दावा किया कि है कि वे इन रसायनों का प्रयोग नहीं करते और फूड सेफ्टी के हर स्टैंडर्ड को फॉलो करते हैं. वहीं CSE ने इन रसायनों के प्रतिबंध की मांग की है.
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