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छत्तीसगढ़ : शराब घोटाला केस में गिरफ्तार IAS अधिकारी अनिल टुटेजा कौन? आरोप क्या?

ED ने एक दिन पहले ही अनिल टुटेजा और उनके बेटे यश को रायपुर में पूछताछ के लिए बुलाया था.

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भारत
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<div class="paragraphs"><p>छत्तीसगढ़ : शराब घोटाला केस में गिरफ्तार IAS अधिकारी अनिल टुटेजा कौन? आरोप क्या?</p></div>
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छत्तीसगढ़ : शराब घोटाला केस में गिरफ्तार IAS अधिकारी अनिल टुटेजा कौन? आरोप क्या?

(फोटो: क्विंट हिंदी)

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प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने 21 अप्रैल को छत्तीसगढ़ में कथित शराब घोटाले (Chhattisgarh liquor scam) से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में पूर्व IAS अधिकारी अनिल टुटेजा को गिरफ्तार किया है. अनिल टुटेजा के खिलाफ धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के प्रावधानों के तहत कार्रवाई हुई. यह गिरफ्तारी अनिल टुटेजा और उनके बेटे यश को जांच एजेंसी द्वारा रायपुर में पूछताछ के लिए बुलाए जाने के एक दिन बाद हुई है.

कौन हैं अनिल टुटेजा

अनिल टुटेजा एक आईएएस अधिकारी थे, जो 2023 में सेवा से सेवानिवृत्त हुए थे. रिपोर्ट्स के मुताबिक, अनिल टुटेजा ने 2003 में यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा पास की थी और वे राज्य के उद्योग और वाणिज्य विभाग में संयुक्त सचिव के पद पर तैनात थे.

क्या है कथित छत्तीसगढ़ शराब घोटाला और अनिल टुटेजा पर क्या आरोप?

कथित शराब घोटाला छत्तीसगढ़ के शराब उद्योग में भ्रष्टाचार के आरोपों से संबंधित है, जिसमें अधिकारियों और प्रभावशाली पदाधिकारियों के भी शामिल होने के आरोप हैं.

ईडी के अनुसार, ये मामला 2019 और 2022 के बीच कुछ अनियमितताएं का है, जब राज्य संचालित शराब रिटेलर सीएसएमसीएल के अधिकारियों ने डिस्टिलर्स से रिश्वत ली. पिछले साल जुलाई में, जांच एजेंसी ने मामले में आरोप पत्र दायर किया था, जिसमें दावा किया गया था कि 2019 में शुरू हुए कथित 'शराब घोटाले' में भ्रष्टाचार कर 2,161 करोड़ रुपये की उगाही की गई. ईडी के मुताबिक, पैसा सरकारी खजाने में जाना चाहिए था.

ईडी ने यह भी आरोप लगाया कि रायपुर मेयर के बड़े भाई अनवर ढेबर और अनिल टुटेजा के नेतृत्व वाले शराब सिंडिकेट द्वारा छत्तीसगढ़ में बेची गई शराब की "हर" बोतल से अवैध रूप से पैसा इकट्ठा किया गया था.

10 अप्रैल को, सुप्रीम कोर्ट द्वारा हाल ही में आयकर विभाग की शिकायत पर आधारित अपनी पिछली एफआईआर को रद्द कर दिया था, जिसके बाद एजेंसी ने मामले में अपनी जांच का विवरण राज्य ईओडब्ल्यू/एसीबी के साथ साझा किया और एफआईआर दर्ज करने की मांग की और एक बार जब उन्होंने एफआईआर दर्ज की, तो ईडी ने उस शिकायत का संज्ञान लेते हुए मनी लॉन्ड्रिंग का एक नया मामला दर्ज किया. ताजा मामला जांच एजेंसी को आरोपों की फिर से जांच करने की अनुमति देता है.

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