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'चाइल्ड पॉर्न' से जुड़े मामले लगातार सामने आ रहे हैं. अभी पिछले महीने ही यूपी के चित्रकूट से 50 बच्चों का यौन शोषण करने के आरोप में सीबीआई ने एक जूनियर इंजीनियर को गिरफ्तार किया था अब केरल पुलिस ने बड़ी कार्रवाई की है. हुए चाइल्ड पोर्नोग्राफी देखने और इसे इंटरनेट पर साझा करने के आरोप में एक डॉक्टर और आईटी पेशेवरों सहित 41 लोगों को गिरफ्तार किया गया है. पुलिस ने इस 'ऑपरेशन पी-हंट' के लिए इंटरपोल के साथ हाथ मिलाया था. इसी के मद्देनजर पुलिस टीम ने केरल में 46 स्थानों पर छापे मारे और सोमवार को 339 मामले दर्ज किए. आरोपी डॉक्टर को पठानमथिट्टा जिले से हिरासत में लिया गया.
जिन लोगों को गिरफ्तार किया गया, उन पर चाइल्ड पोर्नोग्राफी कंटेंट डाउनलोड करने के साथ-साथ वेब और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर इसे पोस्ट करने का आरोप है. इस मामले में त्रिशूर पुलिस ने 30 वर्षीय आशिकी को व्हाट्सएप पर चाइल्ड पोर्नोग्राफी साझा करने के आरोप में गिरफ्तार किया. इसी मामले में त्रिशूर के वडक्ककेकाड के एक अन्य व्यक्ति इकबाल को गिरफ्तार किया गया. पूरे ऑपरेशन का समन्वय अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक मनोज अब्राहम ने कई घंटों में किया.
अब्राहम ने मीडिया को बताया, "आईटी पेशेवर और एक चिकित्सक सहित कई पेशेवर, चाइल्ड पोर्नोग्राफी देख रहे थे और फैला रहे थे और पुलिस कई दिनों से मामले की निगरानी कर रही थी." कई व्यक्तियों और परिवारों से चाइल्ड पोर्नोग्राफी की शिकायतें आई हैं.
इंडिया चाइल्ड प्रोटेक्शन फंड ने पाया कि लॉकडाउन में भारत में चाइल्ड पॉर्नोग्राफी के कंजप्शन में 95% तक बढ़ोतरी हुई. वहीं, देश के बड़े शहरों में 'चाइल्ड पोर्न, 'सेक्सी चाइल्ड' और 'टीन सेक्स वीडियो' नाम से इंटरनेट सर्च में बढ़ोतरी हुई थी. बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने इसपर गूगल, फेसबुक और वॉट्सऐप को नोटिस भेजकर जवाब भी मांगा था.
द इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, भारत ने पिछले साल अमेरिका स्थित नॉन-प्रॉफिट संगठन नेशनल सेंटर फॉर मिसिंग एंड एक्सप्लॉइटेड चिल्ड्रन (NCMEC) से टाईअप किया था. NCMEC को नागरिकों, सर्विस प्रोवाइडर और सॉफ्टवेयर के जरिए ऑनलाइन चाइल्ड पोर्नोग्राफी कंटेंट के बारे में पता चलता है. इस साल जनवरी तक भारत को चाइल्ड सेक्सुअल एब्यूज मैटेरियल (CSAM) के मामलों की 25,000 रिपोर्ट्स मिल चुकी थीं.
चाइल्ड पॉर्नोग्राफी और इससे जुड़े अपराध भारत में पॉक्सो एक्ट के तहत आते हैं. इसपर लगाम लगाने के लिए पिछले साल सरकार ने इसकी परिभाषा में बदलाव किया. केंद्रीय कैबिनेट ने पॉक्सो एक्ट में संशोधन कर चाइल्ड पॉर्नोग्राफी अपराध के दायरे को बढ़ाया. संशोधन के बाद, किसी बच्चे को शामिल करते हुए sexually explicit conduct का कोई भी विजुअल डिपिक्शन जिसमें तस्वीर, वीडियो, डिजिटल या कंप्यूटर से बनाई गई फोटो का इस्तेमाल हो, को चाइल्ड पॉर्नोग्राफी माना गया था.
(इनपुट: IANS से भी)
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