advertisement
40 साल की भरतनाट्यम (Bharatnatyam) डांसर सौम्या सुकुमारन को हिंदू न होने के कारण कूडलमाणिक्यम मंदिर उत्सव में परफॉर्मेंस करने से रोका गया. ये ऐसी दूसरी गैर-हिंदू भरतनाट्यम डांसर जिसे परफॉर्म करने से रोका गया हो.
इसके अलावा तिरुवनंतपुरम का एक अन्य प्रसिद्ध मंदिर- श्री पद्मनाभ स्वामी क्षेत्रम में उनसे अनुरोध किया गया कि या तो खुद को हिंदू के रूप में प्रमाणित करें या प्रस्तुति ना दें. सौम्या की प्रस्तुति 13 अप्रेल को तय की गई थी.
सौम्या ने द क्विंट को बताया, “मैंने पहले पद्मनाभ स्वामी मंदिर में प्रस्तुति दी है. तब कोई समस्या नहीं थी. कूडलमाणिक्यम मंदिर के अधिकारियों द्वारा गैर-हिंदू होने के कारण मुझे प्रतिबंधित करने के बाद इस मंदिर ने मुझे अपनी निर्धारित प्रस्तुति छोड़ने के लिए कहा.
सौम्या कलांजलि फॉर आर्ट्स की संस्थापक-निदेशक हैं, जो तिरुवनंतपुरम में स्थित एक परफॉर्मेंस का स्कूल है.
सौम्या बचपन से ही भरतनाट्यम और मोहिनीअट्टम दोनों का प्रशिक्षण ले रही हैं. चूंकि वह एक ईसाई परिवार में पैदा हुई थी, उसे चर्च के अधिकारियों ने "मूर्ति पूजा में शामिल न होने" के लिए कहा था. शास्त्रीय नृत्य में हिंदू देवताओं की पूजा की जाती है. इससे चर्च को समस्या थी.
हालांकि सौम्या ने डांस करना नहीं छोड़ा. शादी के बाद जब वह दुबई के लिए रवाना हुई, तो वह सालाना परफॉर्म करती रही. उन्होंने कहा, "मैं दुबई मलयाली एसोसिएशन के स्टेड पर प्रस्तुति देने लगी."
फिर धीरे-धीरे डांस कम होने लगा क्योंकि तीन बच्चों की मां सौम्या को लगभग दस सालों तक अपने घर में रहना पड़ा.
सौम्या ने बाद में सात साल पहले केरल लौटने पर नृत्य को और अधिक उत्साह से अपनाया.
उन्होंने कहा, "पिछले सात सालों से मैं मंदिरों में और दूसरे स्टेज पर भी प्रस्तुति दे रही हूं."
बता दें कि केरल की एक अन्य नर्तकी वीपी मानसिया- जो एक मुस्लिम परिवार में पैदा हुई थीं, उन्हें भी मस्जिदों और मंदिरों दोनों से बहिष्कार का सामना करना पड़ रहा है. मानसिया को भी गैर-हिंदू होने के कारण कूडलमाणिक्यम मंदिर उत्सव में प्रस्तुति करने से रोक दिया गया था.
सौम्या ने कहा कि मंदिर द्वारा मानसिया और मुझे बेन करने से हम प्रभावित तो हुए ही हैं, लेकिन इसके अलावा भी हमें कई भेदभाव का सामना करना पड़ता है. उन्होंने बताया कि उम्र के आधार पर, त्वचा के रंग के आधार पर भेदभाव से शास्त्रीय नर्तकियां प्रभावित होती हैं.
सौम्या ने बताया कि, "सांवले रंग की त्वचा वाली महिलाओं को पसंद नहीं किया जाता है क्योंकि कार्यक्रम के आयोजक चाहते हैं कि गोरी महिलाए प्रस्तुति दें.
वो कहती हैं, "जैसा कि वे युवा महिलाओं की तलाश में हैं, मेरे पास युवा दिखने का यह अतिरिक्त बोझ है. शास्त्रीय कलाकारों को प्रस्तुति के लिए और अधिक "धर्मनिरपेक्ष स्टेज" होने चाहिए.
केरल के मंदिर (जो राज्य के अंतर्गत आते हैं) ने सर्वसम्मति से गैर-हिंदू कलाकारों पर प्रतिबंध नहीं लगाया है.
मानसिया भी शास्त्रीय कलाकारों के लिए धर्मनिरपेक्ष मंच की मांग करती रही हैं. सौम्या ने कहा, 'राजनीतिक दलों को यह मांग उठानी चाहिए, जो मानसिया और मेरी तरफ से आई है. विभिन्न धर्मों के लोगों को शास्त्रीय नृत्य करने से प्रतिबंधित नहीं किया जाना चाहिए.”
(हैलो दोस्तों! हमारे Telegram चैनल से जुड़े रहिए यहां)