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चीफ जस्टिस एनवी रमना (NV Ramana) ने देश में मीडिया के हालात पर बेहद तल्ख टिप्पणी की है. उन्होंने कहा कि मीडिया अपनी जिम्मेदारियों का उल्लंघन करता है, जिससे हमारा लोकतंत्र दो कदम पीछे जा रहा है. जस्टिस रमना ने यह बातें रांची में आयोजित एक कार्यक्र में कहीं.
जस्टिस रमना ने आगे कहा,
जस्टिस रमना ने कहा कि इन दिनों जजों पर शारीरिक हमले बढ़ रहे हैं. जजों को उसी समाज में बिना सुरक्षा या सुरक्षा के वायदे के रहना होता है, जिसमें उनके द्वारा दोषी ठहराए गए लोग रहते हैं.
सीजेआई ने आगे कहा, "राजनेताओं, नौकरशाहों, पुलिस अधिकारियों और दूसरे सार्वजनिक प्रतिनिधियों को उनकी नौकरी की संवेदनशीलता को देखते हुए सुरक्षा उपलब्ध कराई जाती है. लेकिन विडंबना है कि जजों को ऐसी सुरक्षा उपलब्ध नहीं कराई जाती."
जस्टिस एनवी रमना ने आगे कहा कि कई मौकों पर, मैंने लम्बित रहने वाले मुद्दों को उजागर किया है, मैं जजों को उनकी पूरी क्षमता से काम करने में सक्षम बनाने के लिए फिजिकल और पर्सनल दोनों तरह के बुनियादी ढांचे में सुधार की जरूरत की पुरजोर वकालत करता रहा हूं.
मौजूदा वक्त की न्यायपालिका के सामने सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक- सुनवाई के लिए मामलों को प्राथमिकता देना है. न्यायाधीश सामाजिक वास्तविकताओं से आंखें नहीं मूंद सकते, सिस्टम को टालने योग्य संघर्षों और बोझ से बचाने के लिए जज को दबाव वाले मामलों को प्राथमिकता देनी होगी.
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