‘मुझे जलवायु परिवर्तन ने बनाया वेश्या’

पढ़िए...कैसे जलवायु परिवर्तन ने दिपाली की जिंदगी की दिशा को बदल कर रख दिया. 

मैनॉन वर्कोट
भारत
Updated:


(फोटो: TheQuint ने इमेज में बदलाव किया है)
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वो अपने गांव में रहती थी. बंगाल की खाड़ी के किनारे. सुंदरवन के जंगलों में पेड़ों से घिरा एक सुंदर गांव.

लेकिन साल 2009 में सब बदल गया. आइला साइक्लोन आया और सब तबाह हो गया. उसे पानी में डूबा गांव छोड़कर कोलकाता आना पड़ा और फिर उसे बनना पड़ा एक वेश्या.

एक्सपर्ट्स कहते आए हैं कि जलवायु परिवर्तन सिर्फ एक वातावरणीय मुद्दा नहीं है, बल्कि एक सामाजिक मुद्दा भी है. लगातार गर्म होता मौसम गरीबी, भुखमरी, असमानता और बीमारियों में जबरदस्त बढ़ोतरी करेगा.

स्टडीज पर नजर डालें, तो इस सेंचुरी में हर बीतता दशक पहले से अधिक गर्म होता जा रहा है. हालांकि इस मामले को हाल ही में ज्‍यादा पब्लिक अटेंशन मिली है, लेकिन ये काफी पहले से मौजूद है.

48 साल की दिपाली 5 बच्चों की मां है. साल 2009 में आइला समुद्री तूफान से सुंदरवन के ककद्वीप में भारी तबाही हुई. इससे दिपाली को कोलकाता शिफ्ट होना पड़ा.

जलवायु परिवर्तन से सबसे ज्यादा प्रभावित होने वाले क्षेत्रों में सुंदरवन दुनिया में सबसे ज्यादा खतरनाक क्षेत्र है. समुद्री जलस्तर बढ़ने की वजह से सुंदरवन क्षेत्र में पड़ने वाले द्वीप-समूह पानी में डूबते जा रहे हैं. वहीं, हर साल ज्यादा विध्वंसकारी होते तूफानों की वजह से कोस्टलाइन खराब होने के साथ-साथ तटीय गांवों में बाढ़ का खतरा बढ़ता जा रहा है और इस क्षेत्र में रह रहे 4.5 लाख लोगों का जीवन खतरे में है.

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हफिंगटन पोस्ट इंडिया को दिए इंटरव्यू में दिपाली कहती हैं कि कोलकाता पहुंचने के बाद पहले उन्होंने अपने जिस्म को बेचने की कोशिश नहीं की थी. उन्होंने दिहाड़ी मजदूर की तरह अपनी जीविका चलाने की कोशिश की, लेकिन उनकी कोशिशें काम नहीं आईं. उन्‍हें अपने 5 बच्चों का पेट भरने और उन्हें स्कूल भेजने की प्रक्रिया में वेश्या बनना पड़ा.

हर साल सुंदरवन के द्वीप-समूहों पर जलवायु परिवर्तन की वजह से स्थितियां खराब होने पर दिपाली जैसे कई लोग कोलकाता की झुग्गी बस्तियों में शरण लेते हैं. यहां पहुंचकर ये लोग घरेलू नौकरों और दिहाड़ी मजदूरों जैसा काम तलाशने की कोशिश करते हैं

दिपाली जैसे कई परिवारों के लिए दिहाड़ी मजदूरी पूरे परिवार के पालन-पोषण के लिए पर्याप्त नहीं होता. ऐसे में इन परिवारों की पत्नियां, माएं और बहनों को कोलकाता के रेड लाइट एरिया का रुख करना पड़ता है.

डॉक्टर समराजीत जाना के मुताबिक, साल 2009 में जब आइला तूफान आया, तो कोलकाता में वेश्यावृत्ति में लिप्त महिलाओं की संख्या में 20-25% बढ़त हुई. डॉ. जाना दरबार महिला समन्वय कमेटी के साथ जुड़े हैं, जो दिपाली जैसी वेश्यावृति में लिप्त महिलाओं के अधिकारों की रक्षा करती है.

दिपाली की पूरी कहानी पढ़ने के लिए यहां क्लिककरें.

(इस स्टोरी का हिंदी अनुवाद अनंत प्रकाश ने किया है)

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Published: 04 Jul 2016,09:18 PM IST

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