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राजस्थान में आखिरकार सियासी संकट खत्म हो गया है. सीएम अशोक गहलोत ने सदन में विश्वास मत का प्रस्ताव रखा और अपना बहुमत साबित कर दिया. इस दौरान कांग्रेस के साथ सभी नाराज विधायक और अन्य दलों के विधायक शामिल थे. इसीलिए प्रस्ताव पेश होने के बाद ध्वनिमत से इसे पारित कर दिया गया. जिसके बाद अब अगले 6 महीनों के लिए गहलोत सरकार राहत की सांस ले सकती है. सदन में बहुमत साबित होने के बाद सचिन पायलट ने कहा कि 'आज सदन के अंदर विश्वास मत को बहुमत से पारित किया गया जो अटकलें लगाई जा रही थीं उन्हें विराम मिला है'
राजस्थान विधानसभा के सत्र के दिन सीटिंग अरेंजमेंट पर सचिन पायलट को पीछे की सीट बैठने को मिली तो उन्होंने कहा कि-
राजस्थान में पिछले करीब एक महीने से सियासी संकट चल रहा है. SOG के FIR दर्ज करने को लेकर नाराज सचिन पायलट अपने 18 समर्थक विधायक के साथ गुरुग्राम के एक होटल में चले गए. इसके बाद राजस्थान कांग्रेस की तरफ से विधायक दल की बैठक बुलाई गई थी. जिसमें पायलट समेत सभी 19 कांग्रेस के नाराज विधायकों को बुलाया गया था. लेकिन वो बैठक में नहीं पहुंचे. तब सचिन पायलट को उपमुख्यमंत्री पद और राजस्थान कांग्रेस अध्यक्ष पद से हटा दिया गया. इसके बाद सदस्यता रद्द करने को लेकर राजस्थान हाईकोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक में लंबी सुनवाई चली.
करीब एक महीने चली खींचतान, एक दूसरे पर कीचड़ उछालना, आरोप-प्रत्यारोप के बाद पायलट और गहलोत एक दूसरे से मिले.
13 अगस्त को फिर राजस्थान कांग्रेस की तरफ से विधायक दल की बैठक बुलाई गई थी. जिसमें पायलट समेत सभी 19 कांग्रेस के नाराज विधायकों को बुलाया गया था. इस बैठक में सचिन पायलट अपने समर्थक विधायकों के साथ पहुंचे और काफी जोशीले अंदाज में गहलोत खेमे के विधायकों से मुलाकात की.
10 अगस्त को कांग्रेस में नाराज चल रहे सचिन पायलट राहुल गांधी से मिले थे. इसके बाद सचिन पायलट का खेमा इस बात के लिए मान गया कि वो पार्टी में बना रहेगा. इसके लिए प्रियंका गांधी की भी सचिन से मुलाकात हुई थी. पायलट को आश्वासन दिया गया कि उनकी शिकायतों पर ध्यान दिया जाएगा. ये साफ कर दिया गया कि अभी राजस्थान में कोई नेतृत्व परिवर्तन नहीं होगा. जैसी स्थिति है वैसी ही बनी रहेगी. लेकिन एक कमेटी बना दी गई.
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