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अपनी खोजी पत्रकारिता के लिए मशहूर कोबरापोस्ट ने एक और बड़ा दावा किया है. अपनी एक पड़ताल में कोबरापोस्ट ने देश के सबसे पड़े वित्तीय घोटाले का दावा किया है. यह घोटाला 31 हजार करोड़ रुपये से भी ज्यादा का है. दावा किया गया है कि डीएचएफएल कंपनी की तरफ से इस हजारों करोड़ के घोटाले को अंजाम दिया गया है.
कोबरापोस्ट के मुताबिक DHFL ने कई नई शैल कंपनियों को करोड़ों रुपये का लोन दिया. जिसके बाद वही पैसा घूम फिर कर वापस उन कंपनियों के पास आया जो डीएचएफएल के प्रमोटर्स की हैं. आरोप है कि इस तरह इस कंपनी ने हजारों करोड़ रुपये का हेर-फेर कर दिया. इसके बाद डीएचएफएल के मालिकों ने देश-विदेश में कई बड़ी कंपनियों के शेयर खरीदे.
कोबरापोस्ट ने अपने इस नए खुलासे में दावा किया है कि डीएचएफ़एल की फाइनेंस कमेटी के मेजोरिटी मेंबर कपिल वाधवन और धीरज वाधवन की कंपनियां RKW Developers Private Limited, Skill Realtors Private Limited और Darshan Developers Private Limited ने केंद्र की सत्ता में काबिज बीजेपी को वित्तीय वर्ष 2014-15 और 2016-17 के बीच कुल 19.5 करोड़ रुपए का चंदा दिया है.
दावा किया गया है कि बीजेपी को चंदा देने में नियमों का पालन भी नहीं हुआ. कोबरापोस्ट के मुताबिक, चंदे संबंधित कानून companies act 2013 की धारा 182 के प्रावधानों को ताक पर रखकर ये चंदा दिया गया. तहकीकात में बताया गया है कि इनमें से कोई भी कंपनी कानूनन चंदा देने की स्थिति में नहीं थी.
न्यूज एजेंसी कोबरापोस्ट ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर इस पूरे कथित घोटाले के बारे में बताया. मंगलवार 29 जनवरी को प्रेस क्लब में हुई इस प्रेस कॉन्फ्रेंस में दावा किया गया कि यह देश का सबसे बड़ा वित्तीय घोटाला है.
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