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कॉमर्शियल वाहन चलाने की चाहत रखने वाले प्राइवेट लाइसेंस वाले ड्राइवरों के लिए सरकार ने बड़ा ऐलान किया है. सरकार ने कहा है कि अब टैक्सी, ऑटो और ई रिक्शा जैसे छोटे कॉमर्शियल वाहन चलाने के लिए कॉमर्शियल लाइसेंस की जरूरत नहीं होगी. ड्राइवर अब छोटे वाहन चलाने के लिए प्राइवेट लाइसेंस का इस्तेमाल कर सकेंगे.
हालांकि, ट्रक और बस जैसे बड़े कॉमर्शियल वाहन चलाने के लिए अभी भी कॉमर्शियल ड्राइविंग लाइसेंस की जरूरत होगी.
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद सड़क परिवहन मंत्रालय ने प्रदेश सरकारों को एडवाइजरी जारी की है. इस एडवाइजरी में परिवहन विभाग के अफसरों को निर्देशित किया गया है. सरकार का मानना है कि इस फैसले से लाखों ड्राइवरों के लिए रोजगार के मौकों में वृद्धि होगी.
बता दें कि अब तक किसी भी कॉमर्शियल वाहन को चलाने के लिए ड्राइवर के पास कॉमर्शियल लाइसेंस होना जरूरी होता था.
अब तक ओला, उबर जैसी निजी टैक्सी कंपनियों की कैब और ऑटो जैसे छोटे कॉमर्शियल वाहनों को चलाने के लिए कॉमर्शियल लाइसेंस जरूरी होता था. इसे बनवाने में भी लोगों को काफी मशक्कत करनी पड़ती थी. लाइसेंस बनवाने में समय तो लगता ही था, साथ ही बिचौलियों को पैसा भी देना होता था. लेकिन अब माना जा रहा है कि इस फैसले से करप्शन में कमी आएगी.
मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया, 'इससे कॉमर्शियल लाइसेंस हासिल करने में होने वाला करप्शन खत्म होगा. राज्य कॉमर्शियल गाड़ियों को चलाने वालों के लिए बैज जारी करने से भी दूर रहें.'
उम्मीद जताई जा रही है कि इस फैसले के बाद टैक्सी, ई-रिक्शा और ऑटो की संख्या बढ़ेगी. इससे लोगों को रोजगार तो मिलेगा, लेकिन ट्रैफिक दबाव भी बढ़ेगा. हालांकि, मंत्रालय के अधिकारियों का कहना है कि पब्लिक ट्रांसपॉर्ट में ज्यादा गाड़ियां उपलब्ध होने पर लोगों की प्राइवेट गाड़ियों पर निर्भरता कम होगी.
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