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महाराष्ट्र और हरियाणा में विधानसभा चुनाव होने में अब काफी कम समय रह गया है. ऐसे में इन चुनावों के लिए बीजेपी-कांग्रेस की रणनीतियों पर नजर डालें तो साफ अंतर नजर आता है. बीजेपी जहां राष्ट्रीय नेताओं और राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दों पर जोर दे रही है, वहीं कांग्रेस का फलसफा गो-लोकल का है. कांग्रेस इन राज्यों के नेताओं पर भरोसा कर रही है और ऐसे मुद्दे उठा रही है जो राष्ट्रीय होने के साथ-साथ ही लोकल जनता पर सीधा असर डालते हैं.
कांग्रेस के स्टार प्रचारक माने जाने वाले सभी प्रमुख चेहरे अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी, राहुल गांधी और प्रियंका गांधी वाड्रा ने अभी तक महाराष्ट्र या हरियाणा में किसी भी रैली को संबोधित नहीं किया है. इन राज्यों में चुनाव प्रचार की कमान राज्य के नेता ही संभाल रहे हैं.
राहुल, सोनिया, प्रियंका गांधी के अलावा कांग्रेस ने राज्य के अलग-अलग इलाकों के लिए ज्यादातर स्थानीय नेताओं को ही जिम्मेदारियां सौंपी हैं. हरियाणा में प्रदेश पार्टी अध्यक्ष कुमारी शैलजा और पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने चुनाव प्रचार शुरू कर दिया है. कांग्रेस महाराष्ट्र में अपनी सहयोगी राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के नेता शरद पवार पर ही ज्यादा भरोसा कर रही है. इनमें मुकुल वासनिक, राजीव सातव और रजनी पाटिल शामिल हैं.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बीजेपी प्रमुख अमित शाह दोनों राज्यों में पहले ही चुनावी रैलियां कर चुके हैं. हरियाणा में मोदी चुनाव प्रचार का सेकंड राउंड 14 अक्टूबर से बल्लभगढ़ से शुरू क रेंगे. शाह भी दशहरा के बाद से 9 अक्टूबर से रैलियां शुरू करेंगे. मोदी, शाह, राजनाथ के अलावा बीजेपी के वरिष्ठ नेता, मंत्री और यूपी, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड के मुख्यमंत्री भी चुनावी अभियान में हिस्सा ले रहे हैं.
माना जा रहा है कि राहुल गांदी 11 अक्टूबर को हरियाणा में रैली करेंगे. हालांकि इस पर अभी तक कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं है. महाराष्ट्र को लेकर भी कोई प्लान सामने नहीं आया है.
हाल ही में बीजेपी ने ट्विटर पर दावा किया कि देश के दो राज्यों में अहम विधानसभा चुनाव से ठीक पहले राहुल गांधी बैंकॉक चले गए.
महाराष्ट्र और हरियाणा में चुनाव अभियान के दौरान कांग्रेस बेरोजगारी और देश की खराब आर्थिक स्थिति का मुद्दा उठाएगी. देश में आर्थिक मंदी का मुद्दा उठाने के साथ ही कांग्रेस सरकार पर हमला तेज करने के लिए पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को भी चुनावी रैली में उतार सकती है. इसके अलावा देश को पहला राफेल विमान मिलने के मद्देनजर कांग्रेस एक बार फिर इसकी डील में गड़बड़ी का मुद्दा सकती है.
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