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COVID-19: सोनिया की पीएम से मांग-सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट रद्द हो

सीताराम येचुरी ने प्रोजेक्ट को बताया था ‘अविवेकपूर्ण’

मानवी
भारत
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सीताराम येचुरी ने प्रोजेक्ट को बताया था ‘अविवेकपूर्ण’
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सीताराम येचुरी ने प्रोजेक्ट को बताया था ‘अविवेकपूर्ण’
(फोटो: मानवी/ क्विंट)

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कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लेटर लिखकर COVID-19 से लड़ने और ‘फिजूलखर्ची’ से बचने के लिए 5 सुझाव दिए हैं. इन सुझावों में से एक है सेंट्रल विस्टा’ ब्यूटीफिकेशन और कंस्ट्रक्शन प्रोजेक्ट को स्थगित करने का. सेंट्रल विस्टा के इस प्रोजेक्ट में नई संसद, नए केंद्रीय सचिवालय और नए पीएम आवास की योजना शामिल है.

मौजूदा स्थिति में विलासिता पर किया जाने वाला ये खर्च व्यर्थ है. मुझे विश्वास है कि संसद मौजूदा भवन से ही अपना पूरा कामकाज कर सकती है. नई संसद और उसके नए कार्यालयों के निर्माण की आज की आपातकालीन स्थिति में जरूरत नहीं. ऐसे संकट के समय में इस खर्च को टाला जा सकता है. इससे बचाई गई राशि का इस्तेमाल नए अस्पतालों और डायग्नोस्टिक सुविधाओं के निर्माण, आगे आकर काम कर रहे स्वास्थ्यकर्मियों को पर्सनल प्रोटेक्शन इक्विपमेंट (‘पीपीई’) और बेहतर सुविधाएं मुहैया कराने के लिए किया जाए. 
सोनिया गांधी

देश में कोरोना वायरस के मामले बढ़ने के साथ ही हेल्थकेयर वर्कर्स पर्सनल प्रोटेक्शन इक्विपमेंट (PPE) की कमी का सामना कर रहे हैं. सोनिया गांधी ने पीएम के नाम खत में सरकारी विज्ञापनों पर रोक, पीएम केयर फंड का पैसा पीएम नेशनल रिलीफ फंड में भेजने जैसे सुझाव दिए हैं.

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सीताराम येचुरी ने प्रोजेक्ट को बताया था 'अविवेकपूर्ण'

ये पहली बार नहीं है जब कोई नेता कोरोना वायरस महामारी के समय में सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट को रद्द करने की मांग कर रहा हो.

26 मार्च को सीपीएम नेता सीताराम येचुरी ने मोदी सरकार पर निशाना साधते हुए कहा था कि सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट 'अविवेकपूर्ण' है. अपने ट्वीट में येचुरी ने लिखा, "इस प्रोजेक्ट को बंद किया जाना चाहिए और इसके फंड को COVID-19 से लड़ने में इस्तेमाल किया जाना चाहिए."

मार्च के आखिरी हफ्ते में केंद्र सरकार ने लुटियन दिल्ली में 86 एकड़ की जमीन पर नई संसद के निर्माण के लिए लैंड-यूज चेंज को नोटिफाई किया था. ऐलान के बाद से ही सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट आलोचनाओं में घिरा हुआ है.

सेंट्रल विस्टा रिडेवलपमेंट प्रोजेक्ट क्या है?

इस प्रोजेक्ट के जरिए राजपथ के 3 किमी के स्ट्रेच को दोबारा से डेवलप करने की योजना है. प्रोजेक्ट में तिकोनी संसद की इमारत और एक कॉमन केंद्रीय सचिवालय है. संसद की इस इमारत में 900-1200 सांसदों के बैठने की व्यवस्था होगी.

इस प्रोजेक्ट की बोली गुजरात की आर्किटेक्चर फर्म HCP डिजाइन ने जीती थी. इस फर्म के मालिक बिमल पटेल हैं. प्रस्तावित प्लान के मुताबिक, IGNCA बिल्डिंग के साथ ही उद्योग भवन, निर्माण भवन, शास्त्री भवन और उपराष्ट्रपति के आवास सहित 9 इमारतों को गिराने की योजना है. प्लान के मुताबिक नई संसद अगस्त 2022 तक तैयार हो जाएगी.

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