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जम्मू और कश्मीर में और आर्टिकल 370 हटाने के बाद और राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों में बांटने के बाद पहली बार एक विदेशी प्रतिनिधिमंडल हालात का जायजा लेने वहां जाएगा. भारत दौरे पर आया यूरोपियन यूनियन (ईयू) का 27 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल मंगलवार 29 अक्टूबर को कश्मीर घाटी में जाकर वहां की स्थिति के बारे में जानेगा.
केंद्र सरकार के इस फैसले पर जम्मू कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री ने सवाल खड़ा कर दिया. वहीं बीजेपी के ही वरिष्ठ नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने अनैतिक बता दिया, जबकि कांग्रेस ने इसे लोकतंत्र का अपमान कह दिया.
6 अगस्त को केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने संसद में जम्मू और कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने वाला आर्टिकल 370 खत्म करने का ऐलान किया था. इसके बाद से 5 अक्टूबर तक राज्य में सभी संचार सेवाएं बंद थीं. साथ ही राज्य के ज्यादातर नेताओं को या तो नजरबंद किया गया या हिरासत में लिया गया था.
ईयू के इस 27 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल में शामिल ज्यादातर नेता अपने-अपने देश की राइट विंग पार्टियों के सदस्य हैं. फ्रांस के 6 सांसद ले पेन की नेशनल फ्रंट से हैं, जबकि पोलैंड के 6 सांसद भी सत्तारूढ़ दक्षिणपंथी धड़े से ही हैं. प्रतिनिधिमंडल के सिर्फ 2 सदस्य गैर दक्षिणपंथी पार्टियों से हैं.
इन देशों की दक्षिणपंथी पार्टियों के सदस्य शामिल हैं-
इनके अलावा इटली और ब्रिटेन के भी एक-एक सदस्य इसमें शामिल हैं, जो गैर दक्षिणपंथी धड़े से जुड़े हुए हैं.
सरकार के इस फैसले पर जम्मू और कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री और पीडीपी की अध्यक्ष मेहबूबा मुफ्ती ने भी हैरानी जताई और सरकार के इरादों पर सवाल खड़े कर दिए. मेहबूबा ने कई ट्वीट किए और उम्मीद जताई कि ईयू के प्रतिनिधिमंडल को स्थानीय लगोों से और स्थानीय मीडिया से बात करने का मौका दिया जाएगा.
मेहबूबा ने साथ ही ये भी सवाल उठाया कि अगर ईयू के प्रतिनिधमंडल को कश्मीर जाने का मौका दिया जा रहा है तो यही मौका अमेरिकी सीनेट के सदस्यों को क्यों नहीं दिया जाता.
मेहबूबा ने सरकार के इस कदम को विदेश नीति में गड़बड़ी बताया और लिखा कि सरकार फासीवादी और प्रवासी विरोधी यूरोपियन सांसदों से संवाद कर रही है.
वहीं कांग्रेस ने इस मसले पर नरेंद्र मोदी सरकार पर निशाना साधा. पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने सरकार के इस कदम को गलत बताया. राहुल ने ट्वीट कर लिखा,
कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने कहा कि भारतीय नेताओं को वहां जाने की अनुमति नहीं देना और विदेश के नेताओं को इजाजत देना देश की संसद एवं लोकतंत्र का पूरी तरह अपमान है.
पार्टी के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने ट्वीट कर कहा,
मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के महासचिव सीताराम येचुरी ने भी सरकार को कटघरे में खड़ा किया और कहा कि आज भी भारतीय सांसदों को जाने की इजाजत नहीं दी जा रही.
ईयू के इस प्रतिनिधिमंडल को कश्मीर ले जाने के केंद्र सरकार के फैसले पर बीजेपी के ही वरिष्ठ नेता और पूर्व कानून मंत्री सुब्रमण्यम स्वामी ने सवाल उठा दिया है. सुब्रमण्यम स्वामी ने ट्वीट कर विदेश मंत्रालय के इस फैसले को राष्ट्रीय नीति के खिलाफ बताते हुए अनैतिक घोषित किया.
दरअसल, भारत सरकार ने हर अंतरराष्ट्रीय मंच पर जम्मू-कश्मीर पर अपने फैसले को भारत का आंतरिक मसला बताया है. ऐसे में सुब्रमण्यण स्वामी सरकार की इस नीति के आधार पर ही विदेशी नेताओं के इस अनाधिकारिक दौरे पर सवाल उठाते हुए इसे गलत बता रहे हैं.
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