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मोदी सरकार पर स्पेक्ट्रम आवंटन में 69000 करोड़ के घोटाले का आरोप

12 जनवरी को सीएजी की रिपोर्ट आई है जिसमें माइक्रोवेव स्पेक्ट्रम के आवंटन पर सवाल खड़े किए गए हैं

क्विंट हिंदी
भारत
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कांग्रेस का कहना है कि मोदी सरकार ने ‘पहले आओ-पहले पाओ’ नियम के तहत माइक्रोवेव स्पेक्ट्रम अपने दोस्तों को बांट दिया जबकि सुप्रीम कोर्ट का आदेश है कि ठेकों के लिए बोली लगाई जाए.
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कांग्रेस का कहना है कि मोदी सरकार ने ‘पहले आओ-पहले पाओ’ नियम के तहत माइक्रोवेव स्पेक्ट्रम अपने दोस्तों को बांट दिया जबकि सुप्रीम कोर्ट का आदेश है कि ठेकों के लिए बोली लगाई जाए.
(फोटोः Twitter)

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कांग्रेस राज में 2जी स्पेक्ट्रम घोटाले ने जमकर सुर्खियां बंटोरी थीं. उस वक्त इस घोटाले को भारत का सबसे बड़ा आर्थिक घपला माना गया था. 2010 में सीएजी ने अपनी एक रिपोर्ट में स्पेक्ट्रम आवंटन पर सवाल खड़े किए. आरोप लगाया गया कि 2जी स्पेक्ट्रम घोटाले में कंपनियों को नीलामी की बजाय पहले आओ और पहले पाओ की नीति पर लाइसेंस दिए गए थे, अब कुछ ऐसा ही आरोप केंद्र में बैठी मोदी सरकार पर लग रहा है. कांग्रेस का कहना है कि मोदी सरकार ने 'पहले आओ-पहले पाओ' नियम के तहत माइक्रोवेव स्पेक्ट्रम अपने दोस्तों को बांट दिया जबकि सुप्रीम कोर्ट का आदेश है कि ठेकों के लिए बोली लगाई जाए. कांग्रेस का आरोप है कि मोदी सरकार ने इस डील में 69,000 करोड़ का घोटाला किया है.

कांग्रेस नेता पवन खेड़ा ने प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हुए कहा कि 12 जनवरी को CAG( महालेखाकार और नियंत्रक) की रिपोर्ट बताती है कि मोदी सरकार ने 2015 में पहले आओ-पहले पाओ नीति के तहत स्पेक्ट्रम बांटे. रिपोर्ट के मुताबिक दिसंबर 2012 में DoT (दूरसंचार विभाग) ने एक कमेटी बनाई थी. कमेटी ने कहा था कि किसी भी ठेके की पहले बोली लगाई जाएगी लेकिन मोदी सरकार के अंतर्गत साल 2015 में एक ही आवेदक को ठेका पकड़ा दिया गया. जबकि रिपोर्ट में लिखा गया है कि उस समय सरकार के पास माइक्रोवेव स्पेक्ट्रम के लिए 101 आवेदन पड़े हुए थे.

हालांकि कैग की रिपोर्ट में न तो उस कंपनी का नाम है, जिसे माइक्रोवेव स्पेक्ट्रम आवंटित किया गया था और न ही आवंटन से हुए नुकसान का कोई अनुमान पेश किया गया है.

टेलिकॉम डिपार्टमेंट ने साल 2015 में पहले रिलायंस जियो को और फिर उसके बाद सिस्टेमा श्याम टेलीसर्विसेज कंपनी को बिना किसी नीलामी के माइक्रोवेव स्पेक्ट्रम का ठेका दे दिया गया.सीएजी की रिपोर्ट कहती है कि दूरसंचार विभाग की कमेटी की सिफारिशों को दरकिनार करते हुए सरकार ने ‘पहले आओ, पहले पाओ’ की नीति के तहत स्पेक्ट्रम बांट दिया जबकि सरकार के पास 101 आवेदन पेंडिंग पड़े हुए थे.

मोदी सरकार पर ये भी आरोप है कि उन्होंने कुछ ऐसे कदम उठाए जिससे इन बड़ी टेलिकॉम कंपनियों को जो सरकारी खजाने में एक्स्ट्रा चार्ज देना था उससे राहत मिल जाए. कांग्रेस का आरोप है कि इन कंपनियों को स्पेक्ट्रम नीलामी का पैसा जो पहले 10 साल में देना था उसकी सीमा अब मोदी सरकार ने 16 साल कर दी है. इससे देश को और ज्यादा नुकसान होगा.

फिलहाल कांग्रेस के इस आरोप पर सरकार या बीजेपी की तरफ से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है.0 कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘मोदी सरकार के जाते-जाते उसके घोटाले एक के बाद एक सामने आ रहे हैं.”

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Published: 15 Jan 2019,12:35 PM IST

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