Home News India बीजेपी-कांग्रेस में किसानों और कर्जमाफी को लेकर हार-जीत की होड़
बीजेपी-कांग्रेस में किसानों और कर्जमाफी को लेकर हार-जीत की होड़
राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि लोकसभा चुनाव 2019 में किसी भी दल के लिए किसानों का मुद्दा काफी अहम होने वाला है.
क्विंट हिंदी
भारत
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बीजेपी-कांग्रेस में किसानों और कर्जमाफी को लेकर हार-जीत की होड़
(फोटो कोलाज: क्विंट हिंदी)
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के बीच किसानों के मुद्दे को लेकर आरोप-प्रत्यारोप का दौर जारी है. जहां एक ओर कांग्रेस अध्यक्ष इस मुद्दे को लेकर हमले का कोई भी मौका नहीं चूकते हैं, वहीं दूसरी ओर प्रधानमंत्री भी अपने हर भाषण में इन समस्याओं के लिए कांग्रेस की पुरानी सरकारों को जिम्मेदार बताते हैं. साफ है कि लोकसभा चुनाव 2019 में किसी भी दल के लिए किसानों का मुद्दा काफी अहम होने वाला है.
कर्जमाफी पर हार-जीत की होड़
3 फरवरी को पटना के गांधी मैदान में राहुल गांधी की रैली थी, वहीं पीएम ने जम्मू-कश्मीर में कुछ रैलियों को संबोधित किया. लेकिन इन दोनों के केंद्र में रहा किसानों का मुद्दा. जहां पीएम बजट के ऐलानों के बारे में और कांग्रेस की खामियों के बारे में गिना रहे थे. वहीं राहुल गांधी बजट की खामियों और मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़ में किए गए ऐलान के बारे में बता रहे थे. इस बीच दोनों एक-दूसरे की पार्टी पर निशाना साधने से भी नहीं चूके.
जो उन्होंने कर्जमाफी का वादा किया है, अगर उसका 100% लागू करेंगे और ईमानदारी से करेंगे तो भी उसका लाभ 100 किसानों में से 30-40 किसानों से अधिक को नहीं मिलेगा और उसमें बेईमान कितने घुस जाएंगे, वो अलग. उसी तरह राजस्थान में भी अगर वो कर्जमाफी का वादा ईमानदारी से पूरा करते हैं, तो भी 100 में से 20-30 को ही फायदा मिलेगा, ज्यादा को नहीं मिलेगा.
<b>नरेंद्र मोदी, </b><b>प्रधानमंत्री</b>
हमने चुनाव में वादा किया था, 10 दिन नहीं लगा. कांग्रेस पार्टी की सरकार आई. कमलनाथ जी ने तो 15 मिनट में काम कर दिया, बघेल जी ने उनके एकदम बाद 1 दिन में काम कर दिया, अशोक गहलोत जी ने 2 दिन में काम कर दिया. 2 दिन के अंदर कांग्रेस की सरकारों ने हर किसान का कर्ज माफ करके दिखा दिया. एक तरफ नरेंद्र मोदी 3.5 लाख करोड़ रुपये 15 लोगों का माफ करते हैं. हिंदुस्तान का किसान एक के बाद एक हाथ जोड़कर कहता है उनसे, हमारा भी कर्ज माफ कर दो. अरुण जेटली कहते हैं, नहीं, हमारी पॉलिसी नहीं है. चिल्लाना है तो चिल्लाओ, हमें फर्क नहीं पड़ता है. हम तो सिर्फ नीरव मोदी, अनिल अंबानी का करेंगे.
बजट में 2 हेक्टेयर से कम जमीन वाले किसानों के लिए सरकार ने स्कीम का ऐलान किया है. जिसके तहत हर साल 6 हजार रुपये किसान परिवारों को मिलेंगे. इस ऐलान को भी पीएम मोदी और राहुल गांधी ने अपने अंदाज में अलग-अलग समझाया.
<b>पीएम किसान सम्मान निधि योजना के माध्यम से 75 हजार करोड़ रुपये किसानों के खाते में सीधे पहुंचने वाले हैं. दो-दो हजार रुपये की तीन किश्तों में ये रुपये किसानों के खाते में जमा होंगे, जिसमें से पहली किश्त आने वाले कुछ समय में ही किसानों के खातों में आने वाली है.</b>
<b>नरेंद्र मोदी, </b><b>प्रधानमंत्री</b>
प्रधानमंत्री मोदी ने किसानों के मुद्दे पर अंतरिम बजट 2019 में सरकार द्वारा लिए गए फैसले को लेकर अपने सरकार की पीठ थपथपाई और कहा कि डायरेक्ट कैश ट्रांसफर स्कीम के तहत दो-दो हजार रुपये की तीन किश्तों में 6000 रुपये किसानों के खाते में हर साल जमा होंगे.
वहीं कांग्रेस अध्यक्ष ने पीएम किसान सम्मान निधि योजना को किसानों का अपमान कहा और पूछा कि 17 रुपये प्रतिदिन देने से किसानों की समस्या कैसे दूर होगी.
<b>किसान का अपमान करोगे, किसान आपको जवाब देगा, मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़ में नरेंद्र मोदी को किसानों ने जवाब दे दिया है कि हमें नरेंद्र मोदी नहीं चाहिए, हमें बीजेपी नहीं, चाहिए हमें कांग्रेस पार्टी चाहिए. </b>
किसानों का मुद्दा आगामी लोकसभा चुनाव में भी छाया रहेगा. इसे देखते हुए दोनों पार्टियां किसानों को लुभाने में जुटी हुई हैं. तरह-तरह के ऐलान किए जा रहे हैं. जाहिर है कि एक-दूसरे के ऐलान को भी ऐसी रैलियों में कमतर तो बताया ही जाएगा.
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