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चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) दीपक मिश्रा के खिलाफ दिए गए महाभियोग नोटिस को राज्यसभा सभापति वेंकैया नायडू की ओर से खारिज किये जाने को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने वाले कांग्रेस के दोनों सांसदों ने अपनी याचिका वापस ले ली.
बता दें कि राज्यसभा के सभापति एम. वेंकैया नायडू ने राज्यसभा सदस्यों की ओर से दिये महाभियोग नोटिस को विभिन्न आधारों पर खारिज कर दिया था.
मंगलवार को हुई इस मामले की सुनवाई करते हुई जस्टिस एके सीकरी, जस्टिस एसए बोबडे, जस्टिस एनवी रमण, जस्टिस अरुण मिश्रा और जस्टिस आदर्श कुमार गोयल की 5 सदस्यीय संविधान पीठ ने कांग्रेस सांसद प्रताप सिंह बाजवा की याचिका को खारिज कर दिया.
महाभियोग के प्रस्ताव को उपराष्ट्रपति द्वारा खारिज किए जाने को चुनौती देने संबंधी याचिका को सांसदों ने उस वक्त वापस ले लिया, जब पांच जजों की बेंच ने संवैधानिक बेंच के गठन को लेकर प्रशासनिक ऑर्डर की कॉपी शेयर करने से इंकार कर दिया.
दरअसल, कांग्रेसी सांसदों की ओर से कपिल सिब्बल ने पांच जजों की बेंच के गठन पर सवाल उठाए. सिब्बल ने सवाल किया कि याचिका को अभी नंबर नहीं मिला. लेकिन रातों रात ये पीठ किसने गठित की? सिब्बल ने सवाल किया इस पीठ का गठन किसने किया ये जानना जरूरी है.
सिब्बल ने कहा कि चीफ जस्टिस इस मामले में प्रशासनिक या न्यायिक स्तर पर कोई आदेश जारी नहीं कर सकते.
सिब्बल ने जब बेंच से प्रशासनिक ऑर्डर की कॉपी मांगी तो जस्टिस सीकरी की अगुवाई वाली बेंच ने कहा कि उनके पास प्रशासनिक ऑर्डर की कॉपी नहीं है. पांच जजों की बेंच ने दलील दी कि मामले की सुनवाई मेरिट पर होनी चाहिए.
संवैधानिक बेंच की ओर से प्रशासनिक ऑर्डर की कॉपी शेयर करने से इंकार किए जाने पर सीनियर वकील प्रशांत भूषण ने निराशा जताई है. उन्होंने कहा कि यह बहुत निराशाजनक और दुर्भाग्यपूर्ण है.
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