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कॉमेडियन कुणाल कामरा की मुश्किलें बढ़ सकती हैं, क्योंकि भारत के अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने उनके खिलाफ आपराधिक अवमानना केस चलाने को मंजूरी दे दी है. कामरा ने सुप्रीम कोर्ट को लेकर कुछ ट्वीट किए थे, जिसके बाद उनके खिलाफ शिकायत की गई थी और कहा गया था कि ये कंटेंप्ट ऑफ कोर्ट है. जिन ट्वीट्स का शिकायत में जिक्र किया गया है, उन्हें केके वेणुगोपाल ने काफी आपत्तिजनक और भद्दा बताया है.
औरंगाबाद के श्रीरंग काटनेश्वरकर ने कुणाल कामरा के कुछ ट्वीट्स को लेकर अटॉर्नी जनरल से कहा था कि उन्होंने सुप्रीम कोर्ट की अवमानना की है, इसीलिए उनके खिलाफ आपराधिक अवमानना का केस चलाया जाना चाहिए. जिसे स्वीकार कर लिया गया है. अब इस पूरे मामले में आगे क्या-क्या हो सकता है वो हम आपको यहां बताने जा रहे हैं.
पहले आपको ये बताते हैं कि किन-किन सूरतों में कोर्ट अवमानना के केस ले सकता है.
आमतौर पर कोर्ट की अवमानना वाले मामलों को अटॉर्नी जनरल आगे नहीं बढ़ाते हैं. पिछले कुछ समय में हमने ऐसे कई उदाहरण देखे हैं. अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने एक्टर स्वरा भास्कर के खिलाफ शिकायत को रद्द कर दिया था, साथ ही ऐसा ही पत्रकार राजदीप सरदेसाई के खिलाफ दायर अर्जी के साथ भी किया गया. इनके अलावा आंध्र प्रदेश के सीएम जगन मोहन रेड्डी ने चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया को एक लेटर लिखा था, जिसे सार्वजनिक करने को लेकर उनके खिलाफ अवमानना की शिकायत की गई, लेकिन एजी केके वेणुगोपाल ने उसे भी अपने ही स्तर पर खारिज कर दिया.
अब कुणाल कामरा मामले की अगर बात करें तो इसे अटॉर्नी जनरल की मंजूरी मिल चुकी है. अब थर्ड पार्टी की तरफ से आपराधिक अवमानना की याचिका सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की जा सकती है. इस याचिका में एक एफिडेविट और सभी बयानों, ट्वीट्स या फिर भाषण का पूरा जिक्र होना चाहिए, जिसे अपराध का आधार माना गया है.
अब जिस शख्स के खिलाफ अवमानना का केस हुआ है उसे भी मौका दिया जाता है कि वो अपनी सफाई में एक एफिडेविट पेश करे. जिसके बाद पूरे मामले की सुनवाई तय होती है. चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया तय करते हैं कि कौन से जज इस केस की सुनवाई करेंगे.
अब सवाल ये है कि अगर सुनवाई के बाद कोर्ट आरोपी को दोषी करार देता है तो उसे कितनी सजा मिल सकती है? ऐसी स्थिति में 6 महीने तक की सजा हो सकती है, लेकिन सुप्रीम कोर्ट इसे ज्यादा भी कर सकता है. इसके अलावा जुर्माना या फिर जेल और जुर्माना दोनों की सजा भी दी जाती है. इसके अलावा एक और स्थिति होती है, जहां कोर्ट दोषी को अपनी गलती के लिए माफी मांगने का विकल्प देता है, अगर दोषी ऐसा करता है तो उसे माफ कर दिया जाता है.
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