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हरियाणा में मेले में शिक्षकों की तैनाती पुजारी के तौर पर किए जाने की खबरों को लेकर आलोचना झेल रहे मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने सफाई दी है. उन्होंने कहा, ‘टीचर्स की ड्यूटी मेले में लगाने का फैसला स्थानीय प्रशासन का हो सकता है. यह हमारा फैसला नहीं है.’
बुधवार सुबह आई मीडिया रिपोर्ट्स में कहा गया था कि हरियाणा सरकार ने यमुनानगर में लगने वाले ऐतिहासिक कपाल मोचन मेले में राज्य के टीचर्स को प्रसाद बांटने का काम सौंपा है.
रिपोर्ट्स में कहा गया था कि इसके लिए सरकार ने टीचर्स के लिए 'पुजारी ट्रेनिंग' की व्यवस्था भी की गई थी. सरकार के फैसले की आलोचना होने के बाद सीएम मनोहर लाल खट्टर को खुद सामने आकर सफाई देनी पड़ी.
टीचर्स एसोसिएशन का कहना है, ‘टीचर्स की प्राथमिकता बच्चों को एजुकेशन देना है. उनके कंधों पर देश का भविष्य बनाने की जिम्मेदारी है. स्कूलों में वैसे ही कमियां है, ऊपर से टीचर्स पर कई नॉन टीचिंग काम थोपे जा रहे हैं.’
सरकार के इस आदेश पर टीचर्स एसोसिएशन ने विरोध जताया. सरकार ने इस आदेश के साथ ही टीचर्स के लिए एक ट्रेनिंग का भी आयोजन किया. टीचर्स को पुजारी की जगह श्रद्धालुओं को प्रसाद वितरित करना था. लेकिन टीचर्स एसोसिएशन के विरोध के बाद कई टीचर्स ने इस ट्रेनिंग में भाग नहीं लिया.
हरियाणा बीजेपी के प्रवक्ता और सीएम मनोहर लाल खट्टर के पूर्व ओएसडी जवाहर यादव ने टीचर्स को पुजारियों की जगह तैनात किए जाने की खबरों को खारिज किया है. उन्होंने कहा है कि किसी भी टीचर को पुजारी नहीं बनाया जा रहा है. टीचर्स को हरियाणा सरकार की ओर से नहीं बल्कि जिला संगठन की ओर से वॉलेंटियर के तौर पर इस मेले में सेवा देने की बात कही गई है.
जवाहर यादव ने कहा कि शिक्षकों को प्रसाद बांटने और भीड़ संभालने के लिए वॉलेंटियर्स के तौर पर ड्यूटी पर लगाया गया है.
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