FAQ: लॉकडाउन के दौरान RWA मनमानी करे तो क्या करें?

क्या RWA डोमेस्टिक हेल्प को काम पर आने से रोकने के लिए नियम बना सकता है?

वकाशा सचदेव
भारत
Updated:
क्या RWA डोमेस्टिक हेल्प को काम पर आने से रोकने के लिए नियम बना सकता है?
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क्या RWA डोमेस्टिक हेल्प को काम पर आने से रोकने के लिए नियम बना सकता है?
(फोटो: द क्विंट/अर्निका काला

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कोरोना लॉकडाउन के तीसरे चरण में ढील दिए जाने के बाद, रेजिडेंट्स वेलफेयर एसोसिएशन्स (RWAs) और रेजिडेंट्स के बीच तनातनी की कई खबरें आ रही हैं, चाहे वो सोसायटी में डोमेस्टिक हेल्प की एंट्री का मामला हो, या वहां रहने वाले स्वास्थ्यकर्मियों को परेशान करने की शिकायतें हों.

जहां RWA की कार्रवाईयों को रेजिडेंट्स बेवजह परेशान करने वाली दखलअंदाजी मानते हैं (हालांकि ये नई बात नहीं है, गेस्ट, गेट में ताले और निगरानी के मामले जैसे पुरानी लिस्ट भी है), वहीं RWA की दलील होती है कि वो ऐसा सुरक्षा के लिहाज से कर रहे हैं.

क्या वाकई RWAs के पास ऐसी कोई ताकत है जिससे वो सोसायटी में किसी की एंट्री पर रोक लगा सकते हैं, या निजी दफ्तरों को खुलने से रोक सकते हैं, और नियम बनाकर जरूरी काम से जुड़े लोगों को अंदर आने से रोक सकते हैं? चलिए, हम FAQs के जरिए ऐसे ही कुछ सवालों के जवाब आपके सामने रखते हैं:

क्या लॉकडाउन 3.0 के बीच डोमेस्टिक हेल्प को काम पर आने की अनुमति है?

जब लॉकडाउन 3.0 की घोषणा हुई थी, केंद्रीय गृह मंत्रालय ने नए दिशा निर्देश जारी किए थे जिसके मुताबिक कंटेनमेंट जोन के अलावा सभी इलाकों में सुबह 7 बजे से शाम के 7 बजे तक गैर-जरूरी गतिविधियों के लिए आवाजाही की छूट दी गई थी, हालांकि रेड और ऑरेंज जोन में सार्वजनिक परिवहन की इजाजत नहीं दी.

हालांकि घरेलू मदद और दूसरी सेवा मुहैया कराने वालों को ‘जरूरी सेवाओं’ में नहीं गिना जा सकता है, MHA की नई गाइडलाइंस ने साफ कर दिया है कि ये लोग लॉकडाउन के बीच काम पर जा सकते हैं – और जैसा कि प्रधानमंत्री ने अपने पिछले संबोधन में कहा लॉकडाउन 4 के दौरान भी ऐसा मुमकिन है.

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क्या RWA डोमेस्टिक हेल्प को काम पर आने से रोकने के लिए नियम बना सकता है?

लॉकडाउन 3.0 के लागू होने के कुछ दिनों बाद, दिल्ली सरकार ने आदेश जारी कर सभी डीएम और डीसीपी से यह सुनिश्चित करने को कहा कि सरकारी अनुमति वाली आर्थिक गतिविधियों को दोबारा शुरू करने में RWAs कोई अड़ंगा खड़ा ना करें. ऐसा कई शिकायतें आने के बाद किया गया था जिसमें RWA निजी दफ्तरों को खोलने की अनुमति नहीं दे रहा था और घरेलू मदद से जुड़े लोगों, प्लंबर इत्यादि को रिहायशी इलाकों में नहीं घुसने दिया जा रहा था.

देशभर में RWAs ने अपने अलग-अलग नियम बनाने की कोशिश की और घरेलू सहायता करने वालों को सोसायटी में घुसने से रोका, लेकिन जैसा कि दिल्ली सरकार ने साफ कर दिया है RWA के पास ऐसी कोई कानूनी ताकत नहीं है. MHA के आदेश और गाइडलाइंस, जो कि केंद्र सरकार ने आपदा प्रबंधन अधिनियम के तहत जारी किए हैं, RWA को अपने अलग फैसले लेने का कोई अधिकार नहीं देते.

राज्य सरकारों और स्थानीय प्रशासन, जैसे कि डीएम, के पास कुछ अलग नियम और सख्ती लागू करने की ताकत जरूर है, लेकिन RWA के पास ऐसा कोई अधिकार नहीं है. जैसा कि गृह मंत्रालय के एक अधिकारी ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया:

‘लॉकडाउन के नियम क्या हैं इसका फैसला करना RWA का काम नहीं है. ये अधिकार सिर्फ केंद्र और राज्य सरकारों के पास है. केंद्रीय गृह मंत्रालय ने RWA को इन मामलों में निर्णय लेना का कोई अधिकार नहीं दिया है. केंद्र सरकार को घरेलू मदद या दूसरी सेवाएं मुहैया कराने वालों से कोई परेशानी नहीं है.’ 

इसका मतलब ये है कि RWA डोमेस्टिक वर्कर्स, इलेक्ट्रीशियन, प्लंबर, एसी मैकेनिक, कार मैकेनिक, टीवी रिपेयर करने वाले, इंटरनेट/टेलीकॉम टेक्नीशियन, निजी सुरक्षा गार्ड, लॉन्ड्री/प्रेस करने वाले, जैसे लोगों को आपके घर आने से नहीं रोक सकता है.

क्या RWA ये दावा नहीं कर सकता है कि ऐसा आपकी सुरक्षा के लिए किया गया है?

नहीं. चाहे उनकी दलील जो भी हो, काम के लिए आने जाने वाले लोगों को रोकने, या किसी भी व्यक्ति को अपने हिसाब से जीने से रोकने के लिए RWA के पास देश के कानून के तहत अधिकार होने चाहिए, जो कि उनके पास नहीं हैं. वो सिर्फ शाम के 7 बजे से सुबह के 7 बजे तक गैर-जरूरी सेवा देने वाले लोगों की एंट्री रोक सकते हैं, इससे ज्यादा कुछ नहीं कर सकते.

जब तक आप किसी को-ऑपरेटिव सोसायटी में नहीं रहते जिसे उस इलाके की जमीन का अधिकार होता है, RWA के पास आपके लिए अलग नियम-कानून बनाने का कोई अधिकार नहीं होता, चाहे वो लॉकडाउन के बाद ही क्यों ना हो. को-ऑपरेटिव सोसायटी (जहां संपत्ति खरीदकर आप वहां के सदस्य बन जाते हैं) के RWA के पास सख्त नियम बनाने के अधिकार जरूर होते हैं, जो कि राज्य सरकार के नियमों के हिसाब से अपनी संपत्ति किसी खास तरह के लोगों को बेचने से भी आपको रोक सकते हैं.

जबकि सामान्य RWA सिर्फ एक स्वैच्छिक संस्था है, जो कि ज्यादा से ज्यादा सोसायटी रजिस्ट्रेशन एक्ट के तहत पंजीकृत होता है, और आपकी संपत्ति के इस्तेमाल पर किसी तरह का रोक नहीं लगा सकता. वो सिर्फ आपसे रखरखाव और कॉमन एरिया से जुड़ी रकम की मांग कर सकता है और आपकी कार की एंट्री-एग्जिट के लिए स्टिकर लगाने जैसे छोटे-मोटे नियम बना सकता है, इसके अलावा कुछ नहीं.

लॉकडाउन में अगर RWA सख्त नियम बना रहा हो तो क्या कर सकते हैं?

एक बात हमें समझ लेनी चाहिए, RWAs के पास भले ही वैसी ताकत नहीं है जैसा वो चाहते हैं, इसके बावजूद वो नए-नए नियम बनाने से बाज नहीं आते, कई बार नियम अच्छी भावनाओं से भी बनाए जाते हैं.

लेकिन अगर वो अपनी सीमाएं लांघते हैं, तो आपको उनके खिलाफ शिकायत करने का अधिकार है, लेकिन इसका मतलब ये नहीं है कि आपको कोर्ट कचहरी के चक्कर लगाने की कोई जरूरत है. अगर आपको लगता है कि RWA की वजह से कोई परेशानी हो रही है तो आप पुलिस से संपर्क कर सकते हैं या स्थानीय प्रशासन (यानी डीएम ऑफिस) से मदद मांग सकते हैं.

ऐसा नहीं है कि सिर्फ दिल्ली में ही सरकार ने सभी डीएम और डीसीपी को ये सुनिश्चित करने को कहा है कि RWAs अपने दायरे में रहें. केंद्रीय गृह मंत्रालय के आदेशों के मुताबिक, देशभर के जिलों में डीएम और डीसीपी को लॉकडाउन लागू करने के अधिकार दिए गए हैं.

RWA के बर्ताव को लेकर जरूरत पड़ने पर आप पुलिस और स्थानीय प्रशासन की मदद ले सकते हैं, क्योंकि आपके अधिकारों की रक्षा करना उनका कर्तव्य है.

एक बात और, जरूरी नहीं कि पुलिस और स्थानीय प्रशासन हमेशा आपके साथ खड़ा रहे, हालांकि कानून के मुताबिक उन्हें ऐसा करना चाहिए. अगर उनसे आपको मदद नहीं मिलती है तो आपके पास कोर्ट का रुख करने का विकल्प मौजूद है. इतना जरूर है कि दिल्ली जैसी जगहों में, जहां सरकार ने इस मामले में साफ-साफ आदेश जारी कर दिए हैं, आपको मुश्किलों का सामना नहीं करना पड़ेगा.

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Published: 15 May 2020,10:16 AM IST

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