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“लोन लेकर पढ़ाई की, सोचा था इंटर्नशिप में पैसे मिलेंगे तो कुछ पैसे लोन के चुकेंगे. लेकिन डॉक्टर कहलाने के बावजूद हम मेडिकल इंटर्न को सिर्फ 500 रुपए रोज के हिसाब से मिलता है. मतलब 15 हजार रुपए महीना, लेकिन ज्वाइन किए दो महीना हो गया अब तक पैसा नहीं मिला.”
ये दर्द बिहार के दरभंगा मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल के इंटर्न डॉक्टर मनोज का है. मनोज की तरह ही बिहार के करीब 800 MBBS इंटर्न को इतना ही स्टाइपेंड मिलते हैं. बिहार में हर तीन साल पर डॉक्टरों के स्टाइपेंड में बढ़ोतरी होने का सरकारी बात कही गई थी. लेकिन आखिरी बार साल 2015 में स्टाइपेंड बढ़ाया गया था.
अब डॉक्टरों के एक एसोसिएशन ने बिहार सरकार से अपने वादे पूरे करने को लेकर चिट्ठी लिखी है. यूनियन रेसिडेंट एंड डॉक्टर्स एसोसिएशन इंडिया के अध्यक्ष और पटना एम्स में काम कर रहे डॉक्टर विनय बताते हैं, "डॉक्टरों पर फूल, मान ,सम्मान और कोरोना वॉरियर्स कहना अच्छी बात है, लेकिन उन वॉरियर्स के लिए स्टाइंपेंड क्यों रोककर रखा गया है? हमने जूनियर डॉक्टर से लेकर इंटर्न के स्टाइपेंड में बढ़ोतरी की मांग करते हुए सीएम नीतीश कुमार से लेकर हेल्थ मिनिस्टर मंगल पांडे को भी चिट्ठी लिखी है. लेकिन किसी ने कोई जवाब नहीं दिया. 5 साल से एक ही स्टाइपेंड पर डॉक्टर काम कर रहे हैं."
डीएमसीएच के ही एक और इंटर्न डॉक्टर सौरव बताते हैं कि कैसे बिना कोरोना की परवाह किए उनके साथी और वो फ्रंट पर आकर काम कर रहे हैं. सौरव कहते हैं,
डॉक्टर विनय बताते हैं कि बिहार सरकार मेडिकल पीजी स्टूडेंट्स के लिए स्टाइपेंड 50,000 रुपये, 55,000 रुपये और 60,000 रुपये देती है. जबकि बाकी जगह 80 से एक लाख रुपया मिलता है. कोरोना से जंग में हम लोग पूरी शिद्दत से काम कर रहें हैं, कोई भी डॉक्टर पीछे नहीं हट रहा है.
डीएमसीएच के ही इंटर्न डॉक्टर मनोज कहते हैं,
नाम ना बताने की शर्त पर पीएमसीएच के डॉक्टर बताते हैं कि दिल्ली से लेकर मुंबई के डॉक्टरों का स्टाइपेंड हम लोगों से ज्यादा है. जबकि सब एक तरह का काम एक तरह की ड्यूटी कर रहे हैं. सेंट्रल मेडिकल कॉलेजों में इंटर्न को 23 हजार रुपये स्टाइपेंड दिया जा रहा है. हम लोग बोलेंगे तो डर है कि कहीं फेल ना कर दिया जाए एग्जाम में.
क्विंट ने बिहार के हेल्थ मिनिस्टर मंगल पांडे से इस मामले पर उनकी राय जाननी चाही लेकिन मंगल पांडे किसी मीटिंग में व्यस्त थे. साथ ही बिहार के हेल्थ सेक्रेट्री संजय कुमार से भी फोन कर डॉक्टरों की मांगों के बारे में सरकार का पक्ष जानना चाहा, लेकिन कई बार कॉल और मैसेज के बाद भी जवाब नहीं मिला. जैसे ही दोनों मे से किसी का भी जवाब आता है, खबर को अपडेट किया जाएगा.
बता दें कि उत्तर प्रदेश में भी इंटर्न डॉक्टर अपने स्टाइपेंड की मांग उठा रहे हैं. उन्हें बिहार के डॉक्टरों से भी कम सिर्फ 7500 रुपये हर महीने का स्टाइपेंड दिया जाता है, जो देश में सबसे कम है. दूसरे प्रदेशों में इससे दो गुना या ढाई गुना ज्यादा स्टाइपेंड है.
वहीं दूसरी ओर कर्नाटक में 8,000 से अधिक रेजिडेंट डॉक्टरों को राज्य सरकार ने बड़ी राहत दी है. राज्य सरकार इंटर्न डॉक्टरों का स्टाइपेंड बढ़ाकर 30 हजार रुपये कर दिया है. साथ ही 1 से 3 साल तक के पीजी स्टूडेंट्स के लिए मानदेय 40,000 रुपये, 45,000 रुपये और 50,000 रुपये तक बढ़ा दिया गया है. ये लोग भी पिछले कुछ वक्त से स्टाइपेंड बढ़ाने की मांग कर रहे थे.
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