advertisement
पूरे देश में एक तरफ कोरोना का खौफ है तो दूसरी तरफ लॉकडाउन की बंदिशें. लाखों लोग शहर से गांव की तरफ पलायन कर रहे हैं, कोई पैदल तो कोई ट्रक और बसों पर लटक कर. इसी बीच खबर आई है कि उत्तर प्रदेश से बिहार अपने घर जाने के लिए लिकने एक मजदूर की रास्ते में ही मौत हो गई है.
दरअसल, बिहार के वैशाली के रहने वाले मजदूर विलास महतो उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद में काम करते थे, लेकिन लॉकडाउन की वजह से वो वहीं फंस गए. लेकिन अखिर में विलास और उनके साथ वालों ने बिहार आने का फैसला किया. वो लोग वैशाली अपने गांव के लिए पैदल ही निकला पड़े.
कहीं कोई गाड़ी मिली तो कई ट्रक. लेकिन जब वो बिहार के रोहतास में डेहरी थाना क्षेत्र में पहुंचे तो विलास को अचानक पेट में दर्द शुरू हो गया. विलास की वहीं पर मौत हो गई.
डेहरी पुलिस के थाना इंचार्ज ने क्विंट को फोन पर बताया, “जब पुलिस को खबर मिली तो उस शख्स के शव को अस्पताल ले जाया गया. सासाराम के सदर अस्पताल में पोस्टमॉर्टम हुआ, फिर उसके बाद उसकी बॉडी वैशाली के किरतपुर गांव भेज दी गई.”
विलास के पड़ोसी भोला के मुताबिक विलास इलाहाबाद में मजदूरी करते थे. उसे अपेंडिक्स की परेशानी थी, ज्यादा चलने की वजह से उसके अपेंडिक्स का दर्द बढ़ गया था. लेकिन लॉकडाउन की खबर सुनने के बाद किसी को कोई रास्ता नहीं दिख रहा था, इसलिए पैदल ही चल दिए. उनके 5 बच्चे हैं, एक बेटी की शादी वो कर चुके हैं.
भगवानपुर थाना इंचार्ज सीवी शुक्ला ने बताया, विलास महतो इलाहाबाद में मजदूरी करते थे, लॉकडाउन के बाद वहां से चले थे, उनके अपेंडिक्स में दर्द उठा, लेकिन रास्ते में कहीं अस्पताल में दिखाए नहीं. पता चला है कि अपेंडिक्स फट गया जिस वजह से मौत हो गई.
कोरोना वायरस के संक्रमण की वजह से देशभर में सरकार ने 21 दिनों के लिए लॉकडाउन का ऐलान किया था, जिसके बाद बड़े शहरों में काम करने वाले दिहाड़ी मजदूर अपने-अपने गांवों की ओर पलायन करे लगे. लॉकडाउन की वजह से गाड़ियों की सुविधा नहीं होने के बावजूद प्रवासी मजदूर घर से पैदल ही गांव के लिए निकल गए. लेकिन शहर से गांव तक पहुंचने की इस जद्दोजहद में कई मजदूरों को जान से हाथ धोना पड़ा.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक 27 मार्च से 30 मार्च तक करीब 20 मजदूरों की मौत के रिपोर्ट आई है.
बता दें कि देशभर में अबतक कोरोना से 56 लोगों की मौत हो चुकी है. वहीं 2100 से ज्यादा लोगों में कोरोना पॉजिटिव पाया गया है.
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)