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इजरायल ने कोरोना के डेल्टा वैरिएंट की वजह से बढ़ते मामलों के बीच रविवार, 11 जुलाई को ऐलान किया कि वह कमजोर इम्यून सिस्टम वाले एडल्ट के लिए फाइजर के COVID-19 वैक्सीन के बूस्टर शॉट (Corona vaccine Booster shot) की पेशकश शुरू करेगा. हालांकि, इजरायल ने कहा कि वे अभी भी जांच कर रहे हैं कि क्या तीसरा शॉट आम लोगों को दिया जाना चाहिए.
क्या वैक्सीन की दो खुराक कोरोनावायरस (Coronavirus) से लड़ने के लिए पर्याप्त हैं? क्या यह आपको सभी वैरिएंट से बचाता है? चलिए आपको हम यहां वह सब जवाब देंगे जो आपको जानना जरूरी है.
बूस्टर शॉट क्या है?
बूस्टर शॉट वह है जो किसी खास पैथोजेन के खिलाफ किसी की इम्यून सिस्टम को मजबूत करने के लिए दिया जाता है. जब COVID-19 का पहला शॉट दिया जाता है, तो यह सिर्फ आपकी इम्यून सिस्टम को उत्तेजित करता है. सिर्फ दूसरी खुराक इम्यून सिस्टम को मजबूत करती है, ज्यादा एंटीबॉडी का उत्पादन करती है और आपको बीमारी के गंभीर रूप से बचाती है.
बूस्टर शॉट के क्या फायदे हैं?
रिसर्च से पता चला है कि बूस्टर शॉट्स आपके शरीर को वायरस या बैक्टीरिया का पता लगाने और उनकी रक्षा करने के लिए प्रशिक्षित करते हैं. वैक्सीन के प्रकार और निर्माता के आधार पर, आप अपने पहले शॉट के बाद बूस्टर शॉट, हफ्ते, महीने या साल में ले सकते हैं.
फिट रिपोर्ट के मुताबिक, बूस्टर डोज तुरंत इम्यून सिस्टम को सक्रिय कर सकती है. यह 'इम्यूनोलॉजिकल मेमोरी' के आधार पर काम करता है, जहां हमारा इम्यून सिस्टम उस वैक्सीन को याद रखता है, जो शरीर को पहले दिया जा चुका है. ऐसे में बूस्टर डोज तुरंत इम्यून सिस्टम को सक्रिय कर देता है, जिसका असर ज्यादा देखने को मिलता है.
द इकनॉमिक टाइम्स को दिए एक इंटरव्यू में, पब्लिक हेल्थ फाउंडेशन ऑफ इंडिया में प्रोफेसर और लाइफ कोर्स एपिडेमियोलॉजी के प्रमुख डॉक्टर गिरिधर आर बाबू ने कहा कि "वैक्सीन प्रोटेक्शन कब तक चलती है, इस पर निर्भर करता है कि बूस्टर कब देना है. लेकिन यह अभी भी देखने और अध्ययन करने की जरूरत है कि क्या बूस्टर बीमारी से अधिक प्रभावी ढंग से लड़ने में मदद करेंगे."
हम बूस्टर शॉट की जरूरत के बारे में क्यों बात कर रहे हैं?
हम असल में कोरोना के डेल्टा वैरिएंट की वजह से बूस्टर शॉट की बात कर रहे हैं. जबकि वैक्सीन निर्माता यह मानते हैं कि वैक्सीन डेल्टा वैरिएंट के खिलाफ प्रभावी हैं, शुरुआती स्टडी से पता चलता है कि कुछ वेरिएंट सुरक्षा को तोड़ रहे हैं. उदाहरण के लिए, डेल्टा म्यूटेशन बायोएनटेक एसई (BioNTech SE) और मॉडर्ना से mRNA shots की प्रभावशीलता को कम प्रभावी बनाता है - सुरक्षा को 90 प्रतिशत से नीचे लाता है. एक स्टडी से पता चला है कि भारत में कोविशील्ड के रूप में दी जाने वाली ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका वैक्सीन 60 प्रतिशत कम प्रभावशीलता दिखाती है.
क्या हमें बेहतर सुरक्षा के लिए तीसरी खुराक की जरूरत होगी?
इस बारे में हम अभी तक नहीं जानते. विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने अभी तक बूस्टर शॉट्स को मंजूरी नहीं दी है. डब्ल्यूएचओ की मुख्य वैज्ञानिक सौम्या स्वामीनाथन ने जून में एक चेतावनी दी थी, जिसमें कहा गया था कि यह सिफारिश "अनावश्यक और समय से पहले" थी. FIT के साथ बातचीत में, वायरोलॉजिस्ट डॉक्टर शाहिद जमील बताते हैं,
यूएस सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (सीडीसी) और फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (एफडीए) ने एक संयुक्त बयान में कहा कि जिन लोगों को पूरी तरह से टीका लगाया गया है, उन्हें इस समय बूस्टर शॉट की जरूरत नहीं है. हालांकि, उन्होंने कहा कि ऐसे अध्ययन चल रहे हैं जो यह संकेत देंगे कि ऐसी खुराक की आवश्यकता है या नहीं.
बूस्टर शॉट की सबसे अधिक जरूरत किसे है?
पहला, बूस्टर शॉट केवल उन लोगों के लिए है जो पहले ही टीके की अपनी दो पूर्ण खुराक प्राप्त कर चुके हैं. अधिकांश देशों में, आधी से अधिक आबादी को अभी तक टीके की एक भी खुराक नहीं मिली है. बूस्टर शॉट बुजुर्गों और immunocompromised लोगों के लिए ज्यादा मददगार होगा, जिनके शरीर ने पहले दो डोज से अपेक्षाकृत कम एंटीबॉडी का उत्पादन किया होगा. अगर स्टडी से पता चलता है कि एक नया वैरिएंट वैक्सीन के लिए प्रतिरोधी है, तो उन सभी को बूस्टर शॉट लेने की आवश्यकता होगी जिन्होंने टीका लिया है.
क्या कह रहे हैं वैक्सीन निर्माता?
फाइजर और BioNTech ने जून की शुरुआत में कहा था कि उन्होंने अपने टीके का एक संस्करण विशेष रूप से डेल्टा वैरिएंट का मुकाबला करने के लिए डिजाइन किया है.
फाइजर के सीईओ अल्बर्ट बौर्ला ने ट्वीट किया कि कंपनी का मानना है कि COVID के खिलाफ एक बूस्टर खुराक "सुरक्षा के उच्चतम स्तर को बनाए रखने के लिए आवश्यक होगा".
बीबीसी के मुताबिक, यूके सरकार कामकाजी आयु वर्ग और 75 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों से तीसरे खुराक परीक्षण में भाग लेने का आग्रह कर रही है ताकि नए COVID वैरिएंट के सामने इसकी प्रभावकारिता का अध्ययन किया जा सके.
रिपोर्ट के मुताबिक साउथेम्प्टन यूनिवर्सिटी के चीफ इनवेस्टिगेटर प्रोफेसर शाऊल फॉस्ट का कहना है कि हो सकता है कि कुछ आयु समूहों को बूस्टर की जरूरत न हो और कुछ को हो सकती है. उन्होंने यह भी कहा, "हम यह कहने की कोशिश नहीं कर रहे हैं कि एक टीका दूसरे से बेहतर है. इसका उद्देश्य यह पता लगाना है कि बूस्टर अभियान क्या होना चाहिए और कौन सा टीका इस्तेमाल किया जाना चाहिए."
किन देशों ने बूस्टर शॉट्स देना शुरू कर दिया है?
इजरायल की तरह, बहरीन सहित कई मिडिल ईस्ट देश पहले से ही उन लोगों को बूस्टर शॉट्स दे रहे हैं, जिन्होंने पहले अपना टीकाकरण पूरा कर लिया था. इंडोनेशियाई डॉक्टर्स एसोसिएशन ने सरकार से विशेष रूप से स्वास्थ्य कर्मियों के लिए बूस्टर शॉट को हरी झंडी दिखाने का आह्वान किया है. मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो थाईलैंड फ्रंटलाइन वर्कर्स के लिए बूस्टर शॉट देने पर भी विचार कर रहा है.
भारत में क्या हो रहा है?
भारत में, भारत बायोटेक के कोवैक्सिन का बूस्टर शॉट के लिए परीक्षण चल रहा है. हालांकि, कंपनी ने कहा है कि परिणाम नवंबर 2021 में ही आएंगे.
27 मई को कोविड वैक्सीन पर केंद्र सरकार के टास्क फोर्स के अध्यक्ष और नीति आयोग के सदस्य डॉक्टर वीके पॉल ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, "अलग-अलग वैक्सीन की बूस्टर डोज की जरूरत और समय के बारे में जानकारी एकत्र की जा रही है. अगर जरूरत पड़ी तो प्रोटोकॉल और दिशा-निर्देश उपलब्ध कराए जाएंगे."
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