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एक बार फिर महाराष्ट्र में कोरोना के आंकड़ों में उछाल देखने को मिल रहा है. फिर से लॉकडाउन का खतरा मंडरा रहा है. 22 फरवरी को राज्य में पिछले 24 घंटों में 6,971 नए मामले और 2417 रिकवरी देखने को मिलीं. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक, सक्रिय मामलों की संख्या 54149 है.
क्या ये कोरोना की दूसरी वेव है? क्या हमें चिंता करनी चाहिए? वेलोर के क्रिस्चियन मेडिकल कॉलेज के पूर्व प्रोफेसर और वायरोलॉजिस्ट डॉ जैकब जॉन और COVID-19 पर महाराष्ट्र सरकार के टेक्निकल एडवाइजर डॉ सुभाष सालुंखे ने इन सवालों के जवाब दिए.
डॉ जैकब जॉन ने कहा, "कोई भी एपिडेमियोलॉजिस्ट पहला सवाल यही पूछेगा कि क्या ये नए संक्रमण हैं, मतलब कि उन लोगों में जो पहले कभी संक्रमित नहीं हुए या दोबारा संक्रमण हुआ है."
डॉ जैकब जॉन ने कहा कि हमें और टेस्ट करने होंगे और देखना होगा कि ये किस वैरिएंट की वजह से हो रहा है. उन्होंने दोबारा संक्रमण जो ज्यादा चिंताजनक स्थिति बताया.
डॉ सुभाष सालुंखे ने कहा, "हर वायरस और खासकर महामारी फैलाने वालों में म्युटेशन कॉमन बात है, ये कुछ अलग नहीं है. हमारे भारतीय वायरस में भी कई म्युटेशन हैं, वायरोलॉजिस्ट कहते हैं कि ये 3-4000 म्युटेशन हैं और ये चलता रहेगा. कुछ संक्रामकता बढ़ाएंगे और कुछ इसका प्रभाव."
डॉ सालुंखे ने कहा कि NIV और ICMR में वायरोलॉजिकल टेस्ट हो रहे हैं और उनके नतीजे आने के बाद विश्वास के साथ कुछ कहा जा सकता है.
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने 21 फरवरी को लोगों को संबोधित करते हुए कहा था कि 'अगर नियमों का पालन ठीक से नहीं किया गया तो पूरे राज्य में लॉकडाउन लग सकता है.' अमरावती जिले में एक हफ्ते का लॉकडाउन लगाया जा चुका है.
डॉ जॉन का कहना है कि अगर ये नया वैरिएंट भी है तो भी 'उन्हें पूरे भारत में नई वेव की आशंका नहीं लगती.' डॉ जैकब जॉन ने कहा, "हम शुरुआत से शुरू नहीं कर रहे हैं, हमारे पास जानकारी है और लोग भी चीजें जानते हैं."
डॉ जॉन ने कहा कि 'वायरस लोगों के बर्ताव का इस्तेमाल करता है- इसलिए ज्यादा भीड़ लगाना, बड़ी गेदरिंग, बिना मास्क पहने निकलना और ऐसे ही कदम स्थिति को खराब कर देंगे.'
डॉ सालुंखे लोगों को उनकी सुविधाओं की याद दिलाते हुए कहते हैं कि '10-15 दिन के लॉकडाउन को बुरा नहीं माना जाएगा लेकिन ये दिहाड़ी मजदूरों और कम कमाने वालों के लिए बड़ी दिक्कतें पैदा कर देगा."
पिछले एक हफ्ते में महाराष्ट्र में 200 से ज्यादा मामले सामने आए हैं और छह जिले- रत्नागिरी, बीड़, सिंधुदुर्ग, रायगढ़, सतारा और अमरावती में रोजाना मौतों का आंकड़ा बढ़ा है.
डॉ सालुंखे ने कहा कि वायरस वैसे ही बर्ताव कर रहा है, जैसा उन्होंने सोचा था. उन्होंने कहा कि महामारी का वायरस एक दिन में नहीं चला जाता है और छोटी वेव देखने को मिल सकती हैं, लेकिन इसे नियंत्रित करना लोगों के हाथों में है.
डॉ सालुंखे ने कोरोना मामले बढ़ने की वजहों पर जोर देते हुए कहा कि 'आजकल शादियों में 50 लोगों के प्रोटोकॉल का पालन नहीं हो रहा है, लोग बिना मास्क के घूम रहे हैं." उन्होंने कहा, "हमने वायरस की बेइज्जती करने की कोशिश की, अब वो हमें प्रतिक्रिया दे रहा है."
डॉ जैकब जॉन ने कहा, "हमें छोटे क्षेत्रों में माइक्रो-वेव देखने को मिल सकती हैं."
महाराष्ट्र, केरल, पंजाब, छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश में कोरोना के आंकड़ों में बढ़ोतरी देखने को मिल रही है.
डॉ जैकब का कहना है कि केरल में केस का नंबर ज्यादा है, लेकिन 'नवंबर में पीक के बाद से वो डाउनवार्ड ट्रेंड पर है. वहां सेकंड वेव आ चुकी है और अब ग्राफ नीचे जा रहा है.'
डॉ जॉन कहते हैं कि केरल अपने डेटा को लेकर सबसे पारदर्शी है और टेस्टिंग भी बहुत प्रभावी रही है. उन्होंने कहा, "पंजाब और महाराष्ट्र में भी तेजी कम है, ये इशारा है कि हम सावधान हो जाएं और हमें आंकड़ों को अच्छे से देखना होगा."
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