Home Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019News Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019India Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019कोरोना के बढ़ते केसों की बीच,NCR के 78% परिवार काम पर जा रहे:सर्वे

कोरोना के बढ़ते केसों की बीच,NCR के 78% परिवार काम पर जा रहे:सर्वे

दिल्ली-एनसीआर कोरोना वायरस टेलीफोन सर्वे को 15 जून से 23 जून के बीच किया गया

क्विंट हिंदी
भारत
Updated:
दिल्ली-एनसीआर कोरोना वायरस टेलीफोन सर्वे को 15 जून से 23 जून के बीच किया गया
i
दिल्ली-एनसीआर कोरोना वायरस टेलीफोन सर्वे को 15 जून से 23 जून के बीच किया गया
(फोटो: PTI)

advertisement

भारत में कोरोना वायरस के कंफर्म केसों की संख्या लगातार बढ़ने के बावजूद, देश में अनलॉक 2 की प्रक्रिया शुरू हो गई है और कई तरह की गतिविधियों को इजाजत दे दी गई है. अब एक सर्वे में सामने आया है कि दिल्ली-एनसीआर में करीब 78 फीसदी घरों में लोगों ने काम पर जाना शुरू कर दिया है. नेशनल काउंसिल ऑफ अप्लाइड इकनॉमिक रिसर्च (NCAER) के डेटा के मुताबिक, ये आंकड़े जून के तीसरे हफ्ते तक के हैं.

दिल्ली-एनसीआर कोरोना वायरस टेलीफोन सर्वे को 15 जून से 23 जून के बीच किया गया था. इस सर्वे में एनसीआर के शहरी और ग्रामीण इलाकों के कुल 3,466 घरों को कवर किया गया.

घर से बाहर जा कर काम करने वाले लोग संक्रमण से बचने के लिए सावधानी बरत रहे हैं. सर्वे में सामने आया है कि करीब 95.3% लोग मास्क पहने हैं. जहां मास्क को लेकर लोगों में जागरुकता है, वहीं सोशल डिस्टेंसिंग और हाथ धोने को इतनी गंभीरता से नहीं लिया जा रहा है. तीन जरूरी कदम- मास्क पहनना, सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करना और साबुन से हाथ धोना- इन तीनों का पालन करने वाले लोगों का आंकड़ा काफी कम, 32.2% है.

सर्वे में सामने आया है कि दिल्ली-एनसीआर में करीब 18% घरों में सोशल एक्टिविटी, जैसे रिश्तेदारों-दोस्तों से मिलना या कोई पारिवारिक कार्यक्रम में शामिल होने जैसी गतिविधियां शुरू हो गई हैं.

सर्वे में सामने आया कि छोटे बिजनेस को चालू रखने में लोगों को काफी परेशानी हो रही है. सर्वे के मुताबिक, "उनमें से आधे से ज्यादा (52 फीसदी) को अप्रैल और मई में अपनी गतिविधियों को रोकना पड़ा, जबकि दूसरे 12 प्रतिशत बंद हो गए."

लॉकडाउन में काम की समस्या से सबसे ज्यादा दिहाड़ी मजदूरों को गुजरना पड़ा. करीब 75% दिहाड़ी मजदूरों को लॉकडाउन में काम नहीं मिला. वहीं, खेतिहर मजदूर, निर्माण कार्य में मजदूरी करने वालों से कम प्रभावित थे.

सर्वे के मुताबिक, लॉकडाफन में सबसे ज्यादा कम असर पब्लिक सेक्टर के कर्मचारियों पर पड़ा. करीब 79% सरकारी कर्मचारियों को अप्रैल और मई में पूरी सैलरी मिली. पब्लिक सेक्टर की तुलना में, प्राइवेट सेक्टर के कर्मचारी ज्यादा प्रभावित थे. प्राइवेट सेक्टर के केवल 24% कर्मचारियों ने कहा कि उनकी सैलरी में कोई कटौती नहीं हुई. हालांकि, जून में ये आकंड़ा बढ़कर 64% हो गया.

लॉकडाउन से पहले की तुलना में, करीब 85% परिवारों ने इनकम में कमी की जानकारी दी. रिपोर्ट में कहा गया है, “हालांकि, ग्रामीण परिवारों (50 प्रतिशत) की तुलना में, शहरी परिवारों (59 प्रतिशत) ने कहा कि उनकी इनकम में काफी कमी आई है.”

सरकारी मदद की बात करें तो ये शहरी से ज्यादा ग्रामीण परिवारों तक ज्यादा पहुंचीहै. करीब 62% ग्रामीण परिवारों को ज्यादा राशन मिला, वहीं शहरी परिवारों में ये आंकड़ा 54% है.

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

Published: 05 Jul 2020,09:21 AM IST

ADVERTISEMENT
SCROLL FOR NEXT