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केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने कोरोना वायरस से संक्रमित रोगी के इलाज के लिए एचआईवी रोधी दवाइयां ‘लोपीनेवीर और रीटोनेवीर’ देने की सिफारिश की है. रोगी की स्थिति की गंभीरता को देखते हुए अलग-अलग केस के तहत इन दवाइयों का इस्तेमाल किया जाएगा.
मंत्रालय ने मंगलवार 17 मार्च को जारी ‘कोविड-19 के क्लीनिकल प्रबंधन’ पर संशोधित गाइ़डलाइन में डायबिटीज पीड़ित, किडनी रोगियों, फेफड़े की बीमारियों से पीड़ित 60 वर्ष से अधिक उम्र के अत्यधिक जोखिम वाले समूहों के लिए लोपीनेवीर और रीटोनेवीर दवाइयों की सिफारिश की है.
मंत्रालय ने शरीर के किसी हिस्से में ऑक्सीजन की पर्याप्त आपूर्ति में कमी, लो ब्लड प्रेशर, एक या एक से ज्यादा अंगों के काम करने से बंद कर देने, क्रिटीनीन की मात्रा में सीमा से 50 प्रतिशत तक बढोतरी जैसे लक्षणों वाले मरीजों के लिए भी लोपीनेवीर और रीटोनेवीर की सिफारिश की है.
मेडिकल लिटरेचर से पर्याप्त सबूत नहीं मिल पाने के चलते सांस से जुड़े रोग से पीड़ित मरीजों के इलाज के लिए किसी एंटी-वायरल की सिफारिश नहीं गई है.
गाइडलाइन में कहा गया है कि एचआईवी के इलाज में लोपीनेवीर और रीटोनेवीर के साइड इफेक्ट के मद्देनजर लोपीनेवीर और रीटोनेवीर का इस्तेमाल बताए गए फॉर्मुला के तहत सहमति लेकर या गंभीर मामलों में अलग-अलग मामलों के आधार पर इस्तेमाल किया जाना चाहिए.
संदिग्ध रोगियों की शुरूआत में ही पहचान हो जाने से समय पर निवारण एवं नियंत्रण में मदद मिलती है.
दिशानिर्देशों में कहा गया है कि अस्पताल से छुट्टी पाने वाले सभी रोगियों को यह निर्देश दिया जाए कि यदि उनके स्वास्थ्य में गड़बड़ी आती है तो वे अस्पताल लौटें.
इसमें इलाज करने वाले चिकित्सकों को गंभीर श्वसन संक्रमण वाले रोगियों की करीबी निगरानी करने को कहा गया है.
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