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अस्पताल में बिना जुगाड़ ICU बेड नहीं, दवाई में कालाबाजारी - सर्वे

कोरोना के रोजाना बढ़ते मामलों के बीच अस्पतालों में ICU बेड और दवाई की किल्लत हो गई है.

क्विंट हिंदी
भारत
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सांकेतिक तस्वीर
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सांकेतिक तस्वीर
(फोटो: PTI)

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कोरोना के रोजाना बढ़ते मामलों के बीच कोविड टेस्ट, अस्पतालों में ICU बेड, ऑक्सीजन और रेमडेसिविर जैसे कोविड मैनेजमेंट ड्रग्स की किल्लत हो गई है. ऐसे में लोगो को इन जरूरी स्वास्थ्य सेवाओं के लिए जुगाड़, पैरवी या अपनी रसूख का इस्तेमाल करना पड़ रहा है. ये जानकारी लोकलसर्कल के 309 जिलों में 17,000 से ज्यादा लोगों में कराए गए सर्वे में सामने आई है.

शासन और जनता के मुद्दों पर सर्वे कराने वाले इस सोशल मीडिया प्लेटफार्म के सर्वे में सामने आए आंकड़ों के मुताबिक, अस्पतालों में ICU बेड के लिए 55% मरीजों को किसी जुगाड़ या संपर्क की जरूरत पड़ी. वहीं, रेमडेसिविर जैसे कोविड मैनेजमेंट ड्रग्स के लिए 28% लोगों ने जुगाड़ या संपर्क का इस्तेमाल किया.

हॉस्पिटलों में ICU बेड के लिए जुगाड़ ही एकमात्र उपाय?

कोविड से संक्रमित मरीजों के स्वास्थ्य को मॉनिटर करने के लिए ICU बेड्स की जरूरत होती है. साथ ही वेंटिलेटर सपोर्ट की भी आवश्यकता हो सकती है. कोविड के बढ़ते मामलों के बीच ICU बेड्स की कमी होने लगी है.

लोकलसर्कल द्वारा पिछले 45 दिनों में कोविड ICU बेड से जुड़े सवाल पर सर्वे में ये तथ्य सामने आया कि 42% लोगों को किसी जुगाड़ या संपर्क की जरूरत पड़ी. 24% लोगों को बेड के लिए एड़ी चोटी का जोर लगाना पड़ा.

(फोटो: क्विंट हिंदी)

3% लोगों ने सोशल मीडिया पर जोर लगाकर या सरकार से शिकायत दर्ज करा बेड की व्यवस्था की, जबकि 13% लोगों ने ऊपर लिखे सारे प्रबंध किए. 5% लोगों ने कहा कि उन्हें ICU बेड नहीं मिले. सर्वे के मुताबिक, सिर्फ 13% मरीजों को ICU बेड्स सामान्य प्रक्रिया से मिले.

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कोविड मैनेजमेंट ड्रग्स: कमी के बीच कालाबाजारी

नेशनल ट्रीटमेंट प्रोटोकॉल के मुताबिक, रेमडेसिविर उन कोविड मैनेजमेंट ड्रग्स में से एक है, जिन्हें अस्पातल में भर्ती कोविड मरीजों के लिए मंजूरी दे दी गई है. ब्रांड के हिसाब से 1,000 से 5,000 तक का बिकने वाला यह एंटीवायरल इंजेक्शन वर्तमान में ब्लैक मार्केट में 30 से 40 हजार में बिक रहा है.

आधिकारिक प्रक्रिया के मुताबिक, डिस्ट्रीब्यूटर्स के माध्यम से इन दवाइयों को निर्माणकर्ताओं से सीधे अस्पताल को मिलना चाहिए. जबकि वास्तव में कई अस्पताल के पास यह दवाइयां नहीं है और वह मरीजों को खुद अपने लिए दवाइयों के प्रबंध करने के लिए कह रहे हैं. बढ़ते मामलों के साथ बाजार में इस दवाई की किल्लत और कालाबाजारी शुरू हो गई है.

(फोटो: क्विंट हिंदी)

सर्वे में जब लोकलसर्कल ने लोगों से उनके या उनके सोशल नेटवर्क में जुड़े लोगों के अनुभव के बारे में सवाल किया, तो 28% लोगों ने जुगाड़ या संपर्क के माध्यम से इन दवाइयों की प्रबंध की बात स्वीकारी .7% लोगों ने बाजार में निर्धारित मूल्य से ज्यादा कीमत देकर इन दवाइयों को खरीदा. 28% लोग बता नहीं पाए कि उन्हें ये ड्रग कैसे मिला. सिर्फ 13% लोगों को ये दवाइयां सामान्य प्रक्रिया के द्वारा मिली.

देश के 309 जिलों में 17,000 से ज्यादा लोगों पर किए इस सर्वे में 68% पुरुषों और 32% महिलाओं ने हिस्सा लिया. सर्वे के नतीजे स्पष्ट करते हैं कि ICU बेड और कोविड मैनेजमेंट ड्रग्स की कमी के कारण ज्यादातर लोगों को जुगाड़ करना पड़ रहा है. ऐसे में आर्थिक और सामाजिक रुप से कमजोर वर्गों के लिए जुगाड़ और ब्लैक मार्केट कि ये मजबूरी जानलेवा हो सकती है.

(फोटो: क्विंट हिंदी)

भारत में कोरोना संक्रमण की बात करें तो 20 अप्रैल तक देश में 1.80 लाख लोग इस वायरस से अपनी जान गंवा चुके हैं. देश में फिलहाल 20 लाख से ज्यादा एक्टिव केस हैं.

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Published: 20 Apr 2021,06:23 PM IST

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