advertisement
तमिलनाडु के कोयंबटूर में प्रशासन की तत्काल कार्रवाई कोरोना वायरस संक्रमण रोकने में कामयाब रही. कोयंबटूर जिले में 22 दिनों से कोरोना वायरस के किसी नए केस नहीं आने का रिकॉर्ड तब टूट गया, जब 26 मई को चेन्नई-कोयंबटूर फ्लाइट में एक पैसेंजर का COVID-19 टेस्ट पॉजिटिव आया.
कोयंबटूर प्रशासन ने किस तरह इस केस को तुरंत लोकेट किया? तमिलनाडु सरकार के स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर (SOP) के मुताबिक, घरेलू उड़ानों में सभी पैसेंजर्स की टेस्टिंग अनिवार्य नहीं है.
रेवेन्यू और डिजास्टर मैनेजमेंट डिपार्टमेंट के सरकारी आदेश के मुताबिक, जिनमें लक्ष्ण हैं, केवल उन्हीं का टेस्ट किया जाएगा, जिनमें लक्ष्ण नहीं हैं, वो होम क्वॉरन्टीन या इंस्टीट्यूशनल क्वॉरन्टीन का ऑप्शन चुन सकते हैं.
जब चेन्नई-कोयंबटूर इंडिगो फ्लाइट 6E 381 से 24 साल का एक शख्स कोयबंटूर एयरपोर्ट पर पहुंचा, तो प्रोटोकॉल के तहत उसका स्वैब टेस्ट लिया गया. सभी बाकी पैसेंजर्स की तरह, उसे शहर में होटल विनायक में बने क्वॉरन्टीन सेंटर भेज दिया गया. अगले दिन, टेस्ट पॉजिटिव आने पर उसे होटल से ईएसआई अस्पताल शिफ्ट किया गया.
बाकी पैसेंजर्स का क्या? जिला प्रशासन ने कहा है कि शख्स के साथ सफर करने वाले सभी पैसेंजर्स क्वॉरन्टीन में हैं. 27 मई को, फ्लाइट्स से 361 पैसेंजर्स कोयंबटूर आए. इन सभी का सैंपल लिया गया है. इसमें से 231 पैसेंजर्स कोयंबटूर के ही रहने वाले हैं. ये सभी होम क्वॉरन्टीन में हैं और बाकी सब इंस्टीट्यूशनल क्वॉरन्टीन में हैं.
सभी 361 पैसेंजर्स का सैंपल कलेक्ट किया गया है. अभी तक, 137 का टेस्ट नेगेटिव आया है और 224 का रिजल्ट आना बाकी है.
जहां कोयंबटूर सभी पैसेंजर्स का टेस्ट लेकर एक उदाहरण पेश कर रहा है, वहीं बाकी दूसरे एयरपोर्ट ये प्रोटोकॉल फॉलो नहीं कर रहे हैं. चेन्नई, मदुरै और त्रिची एयरपोर्ट पर पैसेंजर्स को थर्मल स्कैनिंग से गुजरने के लिए कहा जा रहा है, और अगर उनमें लक्ष्ण हैं, तो ही उनका स्वैब टेस्ट लिया जा रहा है.
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)