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कोरोना वायरस की तीसरी लहर आनी तय है- ऐसी आशंका भारत सरकार के प्रमुख वैज्ञानिक सलाहकार से लेकर दुनियाभर के एक्सपर्ट जता रहे हैं. संक्रमण की पहली लहर के बाद दूसरी लहर को लेकर भी आशंकाएं जताई गई थी लेकिन तैयारियों का क्या हाल रहा, वो आप देशभर के श्मशान घाटों, नदियों और फाइलों में दर्ज हो गए मौत के आंकड़ों से समझ सकते हैं. ऐसे में भले ही कहा जा रहा है कि डेली कोरोना वायरस केस के आंकड़े कम हो गए. कोरोना कितने तेजी से फैल रहा है इसका अंदाजा बताने वाला R नंबर भी कम होता दिख रहा है, 1 के आसपास है. लेकिन बेहद सावधान और सतर्क रहने की जरूरत है. सरकारों को भी इस लिहाज से लोगों को जागरूक करने और तीसरी लहर से पहले जबरदस्त तैयारी करने को प्राथमिकता में रखना चाहिए.
कोरोना वायरस को लेकर WHO के सदस्य देशों ने एक एक्सपर्ट पैनल से रिपोर्ट तैयार करने के लिए कहा था. हाल ही में द इंडिपेंडेंट पैनल फॉर पेनडेमिक प्रिपर्डनेस एंड रिस्पॉन्स (IPPPR) की इस रिपोर्ट को सार्वजनिक किया गया. रिपोर्ट की सबसे खास बातों में से एक बात ये भी थी कि अगर चेतावनी को पहले सुन लिया गया होता, उन्हें नजरंदाज नहीं किया गया होता और उसपर एक्शन लिया गया होता तो कोरोनावायरस, तबाही का रूप नहीं ले पाता. अब ऐसे ही चेतावनी थर्ड वेव को लेकर लगातार दी जा रही हैं और कहा जा रहा है कि समय रहते तैयारियां पूरी नहीं की गई तो हालात बदतर होंगे.
न्यूज एजेंसी UNI के एक आर्टिकल में एक्सेस हेल्थ इंटरनेशनल के कंट्री डायरेक्टर डा. कृष्णा रेड्डी कहते हैं-
एक्सपर्ट ऐसा शक जता रहे हैं कि तीसरी लहर में बच्चों को ज्यादा खतरा हो सकता है. पीडियाट्रिक्स और इन्फेक्शन डिसीज के एक्सपर्ट्स का कहना है कि कोरोना की तीसरी लहर 18 से कम आयु वर्ग वालों को तेजी अपने चपेट में ले सकती है. यह काफी गंभीर हो सकती है.इन्फेक्शन डिसीज के एक्सपर्ट डॉ नितिन शिंदे का कहना है कि बच्चों के लिए भी वैक्सीन बहुत जरूरी है. नहीं तो तीसरी लहर में यह आयुवर्ग काफी प्रभावित हो सकता है.
कोरोना संक्रमण के इस वेव को दूसरी वेव बताया जा रहा है और लाखों मौतों के बाद अब भी देश की एक मामूली आबादी को ही वैक्सीन दिया जा सका है. दुनिया में कोविड के सबसे बड़े एक्सपर्ट में से एक अमेरिका के मशहूर डॉक्टर एंथनी फाउची का कहना है कि 60-70 फीसदी आबादी को वैक्सीन लगे तो ही कोरोना को काबू में किया जा सकता है. लेकिन इस संख्या तक पहुंचने में अभी साल लग जाएंगे. ऐसे में वैक्सीनेशन को तेज करना होगा.
एडिनबर्ग यूनिवर्सिटी मेडिकल स्कूल की प्रोफेसर देवी श्रीधर वैक्सीनेशन पर 'द गार्जियन' के एक आर्टिकल में यूके के लिए जो लिखती हैं वो भारत के लिए मान्य है. वैक्सीन को लेकर आशंकाओं पर उनका कहना है -
उदाहरण के जरिए बात करें तो यूपी में 30 अप्रैल को लॉकडाउन लगाया गया. इस दिन राज्य में 24 घंटे में 32,494 मामले सामने आए थे. फिर लगातार लॉकडाउन बढ़ाया गया. 18 मई को डेली कोरोना वायरस केस के आंकड़े घटकर 8737 पर पहुंच गए हैं. कोरोना वायरस संक्रमण के मामलों में इस तरह की गिरावट के कई और कारण हो सकते हैं लेकिन लॉकडाउन को भी नजरंदाज नहीं किया जा सकता. दिल्ली में भी लॉकडाउन के बाद कुछ ऐसा ही देखने को मिला है.
ऐसे में अगर प्रतिबंधों को हटाया जाए तो सरकारों को ये जरूर सोचना चाहिए कि इसके विकल्प में संक्रमण के रोकथाम के लिए उनके पास कौन से उपाय हैं.
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