advertisement
देश में कोरोना वायरस केस बढ़कर 12, 380 हो गए हैं. स्वास्थ्य मंत्रालय के ताजा आंकड़ों के मुताबिक,15-16 अप्रैल को देश में कोरोना वायकस के 941 नए मामले सामने आए और 37 लोगों की मौत हो गई. अब तक 400 से ज्यादा लोग इस वायरस से जान गंवा चुके हैं. इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में भारत में टेस्टिंग को लेकर भी नए आंकड़े पेश किए.
स्वास्थ्य मंत्रालय ने बताया कि चीन की दो कंपनियों से 5 लाख टेस्टिंग किट मिली हैं, जिसमें रैपिड एंटीबॉडी टेस्ट किट भी हैं. मंत्रालय ने बताया कि रैपिड एंटी-बॉडी टेस्ट शुरुआती जांच के लिए नहीं है. इसका उपयोग स्टडी और ट्रेंड देखने के लिए किया जाएगा.
बता दें कि, चीन में भारतीय राजदूत विक्रम मिसरी ने ट्विटर पर जानकारी दी थी कि चीन से भारत के लिए 6,50,000 टेस्टिंग किट डिस्पैच हो गई हैं. इसमें रैपिड-एंटी बॉडी टेस्ट और RNA एक्स्ट्रैक्शन किट्स शामिल हैं. लाइवमिंट की खबर के मुताबिक, इसमें साढ़े पांच लाख रैपिड एंटीबॉडी टेस्टिंग किट, और एक लाख RNA एक्स्ट्रैक्शन किट्स शामिल हैं.
भारत में कम टेस्ट और टेस्टिंग किट को लेकर लगातार सवाल उठ रहे हैं. ICMR ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि भारत कम टेस्टिंग कर रहा है, ऐसा नहीं कहा जा सकता, क्योंकि भारत एक पॉजिटिव केस के लिए 24 लोगों को टेस्ट कर रहा है. वहीं जापान में 11.7, इटली में 6.7 और अमेरिका में 5.3 लोगों की टेस्टिंग हो रही है.
ICMR ने पॉजिटिव केस ढूंढने के लिए भारत के टेस्टिंग नंबर्स की तुलना तो कर दी, लेकिन इन देशों की और भारत की जनसंख्या की तुलना नहीं की. करीब 135 करोड़ की आबादी वाले भारत में अभी तक करीब 3 लाख लोगों के टेस्ट हुए हैं. ऐसे में रोजाना सवाल उठना लाजिमी है कि भारत इतनी कम टेस्टिंग क्यों कर रहा है.
स्वास्थ्य मंत्रालय के संयुक्त सचिव लव अग्रवाल ने रैंडम टेस्टिंग को टेस्टिंग किट की बर्बादी बताया था. एक प्रेस कॉनफ्रेंस में संयुक्त सचिव ने कहा था, "हमारा ध्यान उनकी टेस्टिंग करने पर हैं, जो कुछ क्राइटेरिया पर फिट बैठ रहे हैं. नॉन-क्राइटेरिया आधारित टेस्टिंग से टेस्टिंग किट का पूरा इस्तेमाल नहीं होगा."
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)