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देशभर में 22 मार्च को जनता कर्फ्यू लागू है. इस बीच ऐसी अफवाहें फैलाई जा रही हैं कि इस कर्फ्यू से कोरोनावायरस का खतरा खत्म हो जाएगा. अब सरकार ने इन अफवाहों को सिरे से खारिज कर दिया है. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने कहा है कि ये पूरी तरह से गलत जानकारी है जिसे उपद्रवी तत्व फैला रहे हैं और जनता को गुमराह कर रहे हैं.
दरअसल, पीएम के इस संबोधन के बाद सोशल मीडिया पर एक मैसेज वायरल होने लगा, जिसमें दावा किया है कि 'जनता कर्फ्यू' से भारत COVID-19 से सुरक्षित होगा.
इस वायरल मैसेज में तर्क दिया गया है कि कोरोनावायरस किसी सतह या किसी चीज पर अधिक से अधिक 12 घंटे तक रह सकता है. कर्फ्यू 14 घंटों के लिए है. इसलिए जिन जगहों पर ये वायरस होंगे, उन्हें 14 घंटों के लिए छुआ नहीं जाएगा, जिससे इंफेक्शन का चेन टूट जाएगा और इस तरह भारत इस महामारी से सुरक्षित हो जाएगा. कुछ ही देर में ये मैसेज ट्विटर और फेसबुक पर शेयर किया जाने लगा.
कोरोनावायरस कुछ सतहों पर कई दिनों तक रह सकता है
न्यू इंग्लैंड जर्नल ऑफ मेडिसिन में पब्लिश एक स्टडी बताती है कि COVID-19 महामारी के लिए जिम्मेदार नोवल कोरोनावायरस एरोसॉल और सतहों पर कई घंटों से लेकर कुछ दिनों तक रह सकता है.
यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया के रिसर्चर्स ने पाया कि कोई वायरस से हवा (संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने की स्थिति में) और उन चीजों को छूकर संक्रमित हो सकता है, जिस पर वायरस मौजूद हो.
वैज्ञानिकों ने पाया:
इस आधार पर ये निष्कर्ष निकाला गया कि SARS-CoV-2 (नोवल कोरोनावायरस) से संक्रमित लोग बीमारी के लक्षणों का अनुभव किए बिना या उससे पहले वायरस फैला सकते हैं.
इसके अलावा वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन (WHO) की ओर से ये कहा गया है कि नोवल कोरोनावायरस किसी सतह पर कब तक रह सकता है, इसके बारे में कुछ निश्चित तौर पर नहीं कहा जा सकता है, लेकिन ऐसा लगता है कि किसी सतह पर ये वायरस भी दूसरे कोरोनावायरस की तरह ही व्यवहार कर सकता है.
हालांकि नोवल कोरोनावायरस को लेकर WHO ये साफ कर चुका है कि इसके बारे में कई चीजें अनजान हैं, इसलिए हो सकता है कि आज इसके बारे में हम जो कह रहे हैं, वो नई जानकारी के साथ कल बदल जाए.
WHO की ओर से सलाह दी गई है, "अगर आपको लगता है कि किसी सतह पर वायरस हो सकते हैं, तो उसे साधारण डिसिन्फेक्टेन्ट से साफ कर लीजिए. इससे वायरस मर जाएंगे और दूसरों के साथ आप खुद को भी सुरक्षित रख सकेंगे."
इसलिए मैसेज में किया गया ये दावा कि वायरस 12 घंटे तक ही रह सकता है, वैज्ञानिक तौर पर सही नहीं है.
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