Home News India गांवों में लॉकडाउन की मार, तब भी सरकार से 74% लोग संतुष्ट: सर्वे
गांवों में लॉकडाउन की मार, तब भी सरकार से 74% लोग संतुष्ट: सर्वे
लॉकडाउन का ग्रामीण भारत पर क्या असर हुआ? गांव कनेक्शन का सर्वे
क्विंट हिंदी
भारत
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मुजफ्फरनगर में गन्नों की फसल काटते किसान
(फोटो: PTI, 5 मई)
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कोरोना वायरस संकट के बाद लगने वाले लॉकडाउन का ग्रामीण भारत पर क्या असर हुआ? इसे परखने के लिए ग्रामीण भारत के लिए काम करने वाले मीडिया प्लेटफॉर्म गांव कनेक्शन ने इसे लेकर सर्वे कराया है. इस सर्वे में के मुताबिक 74% लोगों को लगता है कि वो कोरोना वायरस की समस्या से निपटने में सरकार ने अच्छा काम किया है.
गांव कनेक्शन ने अपने सर्वे में 179 जिलों और 20 राज्यों के 25,300 लोगों के इंटरव्यू किए हैं. इस सर्वे का डिजाइन और डाटा विश्लेषण लोकनीति-CSDS ने किया है. इस सर्वे के आधार पर गांव कनेक्शन ने ‘द रूरल रिपोर्ट’ तैयार की है जिसमें किसानों पर प्रभाव, आर्थिक संकट, कर्ज, जीवनयापन, मनरेगा, प्रेग्नेंट महिला, स्वास्थ्य, भूख, योजनाओं पर चर्चा की गई है.
गांव कनेक्शन के सर्वे की अहम बातें-
ग्रामीण क्षेत्रों के लोगों में से 68% से ज्यादा को लॉकडाउन के 'दौरान' ज्यादा से 'बहुत ज्यादा' आर्थिक दिक्कत का सामना करना पड़ा.
23% भारतीयों ने लॉकडाउन के दौरान दूसरों से कर्ज लिया, 8% लोगों ने अपनी कीमती चीजें (फोन, घड़ी ) बेच दी, 7% लोगों ने ज्वेलरी गिरवी रख दी और 5% लोगों ने अपनी जमीन बेच दी या गिरवी रख दी.
78% लोगों के मुताबिक लॉकडाउन के दौरान उनका काम-धंधा पूरी तरीके से या ज्यादातर बंद पड़ गया.
स्किल्ड लेबर और मेन्यूअल लेबर पर लॉकडाउन का सबसे बुरा असर पड़ा. 60% स्किल्ड और 64% मेन्यूअल कामगारों के लिए काम पूरी तरह से बंद पड़ गया.
20% लोगों ने कहा कि उनको लॉकडाउन में मनरेगा के तहत काम मिला है.
23% कामगार लॉकडाउन के दौरान पैदल चलकर अपने घरों को वापस लौटे हैं. 33% से ज्यादा लोग चाहते हैं कि वो फिर से काम करने के लिए शहरों को जाएं.
प्रग्नेंट महिलाओं में से 42% ने बताया कि उन्हें प्रेग्नेंसी के दौरान चेक-अप और वैक्सीनेशन नहीं मिला. सबसे खराब प्रतिशत पश्चिम बंगाल और उड़ीसा का रहा.
56% पोल्ट्री का काम करने वाले किसानों ने बताया कि उनको अपनी उपज बेचने में दिक्कतों का सामना करना पड़ा. 35% लोगों ने कहा कि उनको अपनी उपज का सही दाम नहीं मिला.
आधे से ज्यादा किसान लॉकडाउन के दौरान अपनी फसल काट सके, लेकिन सिर्फ एक चौथाई किसान ही उन्हें समय से बेच सके.
जिन लोगों के पास राशन कार्ड है उनमें से 71% लोगों ने बताया कि उनको लॉकडाउन के दौरान गेहूं या चावल मिला. 17% लोग जिनके पास राशन कार्ड नहीं हैं, उनमें से सिर्फ 27% ऐसे हैं जिनको सरकार से गेहूं या चावल मिला.
71% लोगों ने बताया कि लॉकडाउन के दौरान उनकी घरेलू आय में कमी आई है.
गरीब लोगों पर लॉकडाउन की सबसे ज्यादा मार पड़ी है. 75% गरीब परिवारों ने बताया कि लॉकडाउन के दौरान उनकी घरेलू आय में कमी आई है.