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'हमें लगता है कि कोरोना वायरस की इस दूसरी लहर का पीक मई के बीच में कहीं हो सकता है. तब तक भारत में करीब 8-10 लाख डेली कोरोना केस आने लगेंगे और मरने वालों का आंकड़ा 4500 प्रतिदिन तक पहुंच सकता है' ऐसा मानना है प्रोफेसर भ्रमर मुखर्जी का. डॉ. भ्रमर मिशीगन यूनिवर्सिटी में एपिडिमियोलॉजिस्ट और बायोस्टेटीशियन हैं.
इंस्टीट्यूट फॉर हेल्थ एंड एवॉल्यूशन (IHME) ने अपनी सांख्यिकी रिपोर्ट में भी बताया है कि भारत में जारी कोरोना लहर का पीक मई महीने के बीच में आ सकता है. अनुमान ये भी है कि इसके बाद कोरोना केसों की संख्या और फेटेलिटी रेट तेजी से नीचे आ सकता है.
प्रोफेसर मुखर्जी और IHME ने अभी तक के कोरोना आंकड़ों के आधार पर पीक का अनुमान जारी किया है. उनका मानना है कि अगर सरकार कोई पहल नहीं करती है तो जिस तेजी से आंकड़े बढ़ रहे हैं उसी तेजी से महामारी बढ़ती रहेगी. हालांकि इन एक्सपर्ट्स का मानना है कि जमीन पर हालात आकड़ों में दिख रही स्थिति से भी खराब है. इसकी बड़ी वजह कम टेस्टिंग की वजह से केस डिटेक्ट ना हो पाना है.
प्रोफेसर मुखर्जी का कहना है कि- 'दुर्भाग्यपूर्ण रूप से हम लंबे वक्त तक कोरोना केसों में गिरावट की चर्चा करते रहे. लेकिन फरवरी में कोरोना केसों में तेजी से बढ़ोतरी हुई लेकिन फिर भी हमने उसके मुताबिक कदम नहीं उठाए, जिसका खामियाजा हमें आज भुगतना पड़ रहा है.'
संक्रमित मरीजों के आंकड़े के पैमाने पर भारत में मौजूदा कोरोना लहर का पीक मई के बीच में बन सकता है.
दूसरे अनुमानों में भी करीब-करीब यही अनुमान जताया गया है कि भारत में दूसरी लहर का पीक मिड मई तक बन सकता है. स्टेट बैंक ऑफ इंडिया की रिसर्च रिपोर्ट के मुताबिक भारत में कोरोना की दूसरी लहर का पीक मई महीने के तीसरे हफ्ते में बन सकता है.
स्टेट बैंक के चीफ इकनॉमिक एडवाइजर सौम्य कांति घोष ने कहा है कि कोरोना की इस दूसरी लहर का पीक तब बनेगा जब रिकवरी रेट 78-79 परसेंट होगा.
IHME ने अपनी रिपोर्ट में तीन आधारों पर 1 अगस्त तक भारत में होने वाली मौतों का अनुमान जताया है-
IHME का अभी अनुमान है कि भारत में 9,59,561 मौतें होंगी.
अगर हालत और बुरी होती है तो भारत में 10,45,606 मौतें होंगी.
अगर सभी लोग मास्क लगाते हैं तो 8,80,334 मौतें होंगी.
एक्सपर्ट्स के मुताबिक भारत में एक्टिव केसों की संख्या जितनी बताई जा रही है, जमीनी हालात कुछ और ही हैं. IHME के अनुमान के मुताबिक भारत में असल में केसों की संख्या करीब 29 गुना तक ज्यादा हो सकती है.
केंद्र द्वारा फरवरी में जारी किए गए सीरो सर्वे के मुताबिक भारत में सरकारी आंंकड़ों के 27 गुना केस आए हैं. इन केसों को डिटेक्ट नहीं किया जा सका. प्रोफेसर मुखर्जी के मुताबिक असल केस 10 से 20 गुना तक हो सकते हैं.
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