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देश में कोरोना वायरस के मामले बढ़ते जा रहे हैं. कुल पॉजिटिव मामलों का आंकड़ा साढ़े छह हजार पहुंचने वाला है. संक्रमण से हुई मौतों की संख्या 200 पहुंच गई है. पूरे देश में लॉकडाउन जारी है. कई राज्यों के जिलों में संक्रमण के हॉटस्पॉट की पहचान की गई है. इन हॉटस्पॉट को कुछ दिनों के लिए सील कर दिया गया है. इसके अलावा कुछ इलाकों को कन्टेनमेंट जोन के तौर पर पहचाना गया है.
लेकिन जब देश में लॉकडाउन हो रखा है, तो इलाकों को सील करने का क्या मतलब है? और ये कन्टेनमेंट जोन क्या हैं? इन सब सवालों के जवाब के लिए इनका मतलब समझना पड़ेगा.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश के सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में 25 मार्च से 14 अप्रैल तक के लॉकडाउन का ऐलान किया था. ये लॉकडाउन कोरोना वायरस संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए लागू किया गया. लॉकडाउन के दौरान लोगों को घर पर रहने के निर्देश दिए गए और सभी गैर-जरूरी गतिविधियों और सेवाओं पर रोक लगाई गई. सिर्फ जरूरी सेवा और सुविधाओं को लॉकडाउन के दौरान खुले रहने की इजाजत दी गई. इस दौरान लोग ग्रोसरी, सब्जी, दवाई जैसी जरूरी सामान लेने के लिए ही बाहर निकल सकते हैं.
देशव्यापी लॉकडाउन के बाद भी कोरोना वायरस के मामलों में तेजी से बढ़ोतरी देखने को मिली है. कई जगहों पर संक्रमण के मामलों में काफी इजाफा हुआ है. इसको देखते हुए कई राज्य सरकारों ने कुछ जिलों में हॉटस्पॉट्स की पहचान की है.
सील किए गए इलाकों में सभी तरह की आवाजाही पर रोक लगी है. सिर्फ मेडिकल वाहनों को ही इजाजत मिली है. किसी तरह का पास भी इस दौरान काम नहीं करेगा. इसका उल्लंघन करने पर प्रशासन लोगों पर कानूनी कार्रवाई भी कर सकता है.
कन्टेनमेंट जोन वो इलाका होता है, जहां कोरोना वायरस के पॉजिटिव केस मिले हों और प्रशासन को लगता है कि वहां से और संभावित मामले सामने आ सकते हैं. ऐसे में उस इलाके को सील किया जाता है. एंट्री और एग्जिट पॉइंट पर पुलिस तैनात की जाती है. लोगों को वहां से आने-जाने की इजाजत नहीं होती है. इसका उल्लंघन करने पर कानूनी कार्रवाई हो सकती है. ये कन्टेनमेंट जोन बिल्डिंग, हाऊसिंग सोसाइटी से लेकर स्लम पॉकेट और अस्पताल तक हो सकते हैं.
सबसे बड़ा अंतर ये है कि कंटेनमेंट जोन के तीन किलोमीटर के दायरो को पूरी तरह सील कर दिया जाता है. यहां किसी भी तरह की आवाजाही नहीं होती.
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