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आजकल भारत में कई चीजों की तरह, कोरोना की वैक्सीन की मंजूरी भी राष्ट्रवाद, राजनीति और विवाद के गेम में उलझी हुई है. दरअसल, भारत में कोरोना वायरस के खिलाफ दो वैक्सीन को इमरजेंसी इस्तेमाल की मंजूरी मिली है. जिसके बाद 'स्वदेशी वैक्सीन' vs विदेशी वैक्सीन, ‘तुम्हारा वैक्सीन पानी’ जैसी बातों की जंग छिड़ी हुई है.
बता दें कि जिन दो वैक्सीन को इजाजत मिली है वो हैं कोविशील्ड और कोवैक्सीन. कोविशील्ड बनी भारत में है, लेकिन ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका का भारतीय संस्करण है, वहीं कोवैक्सीन पूरी तरह भारत की अपनी वैक्सीन है. लेकिन सवाल यहां ये उठ रहा है कि जब COVAXIN का फेज 3 क्लीनिकल ट्रायल जारी है और इस वैक्सीन के असर पर किसी तरह का डेटा भी सामने नहीं आया है तो इसके इमरजेंसी इस्तेमाल की मंजूरी देने की इतनी जल्दी क्यों थी?
लाइव मिंट में एंडी मुखर्जी ने "भारत में वैक्सीन राष्ट्रवाद से पूरी दुनिया को चिंतित होना चाहिए" हेडलाइन से एक लेख लिखा है. उन्होंने लिखा है,
वहीं क्विंट से बात करते हुए मंगलुरु के येनेपोया यूनिवर्सिटी में बायोएथिक्स के एडजंक्ट प्रोफेसर और रिसर्चर डॉ अनंत भान कोवैक्सीन (COVAXIN) के इमरजेंसी इस्तेमाल की मंजूरी पर कहते हैं,
दूसरी तरफ फाइनेंशियल एक्स्प्रेस ने अपने एक आर्टिकल में वैक्सीन को लेकर हो रही राजनीति पर टिप्पणी की है. आर्टिकल में लिखा है कि वैक्सीन के क्लियरेंस प्रोसेस के आखिरी फेज में जल्दी करने से सरकार ने अपनी स्वयं की विश्वसनीयता के साथ-साथ भारत बायोटेक जैसी फर्मों को भी नुकसान पहुंचाया है, जो निस्संदेह, रोटावायरस और जीका वायरस के खिलाफ वैक्सीन बनाने की वजह से अलग प्रतिष्ठा रखती है.
दरअसल, शुरू से ही कई लोग कोवैक्सीन को 'स्वदेशी वैक्सीन' बता रहे हैं. जिसके बाद कोविशील्ड और कोवैक्सीन को लेकर राष्ट्रवाद का मुद्दा गरम हो गया है. हालांकि पीएम मोदी ने दोनों वैक्सीन को इजाजत मिलने के बाद कहा कि ये दोनों ही मेड इन इंडिया हैं.
इससे पहले समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कोरोना वैक्सीन को बीजेपी का वैक्सीन बताया था. उन्होंने कहा था,
अखिलेश यादव के अलावा कांग्रेस नेता शशि थरूर ने भी कोवैक्सीन के इमरजेंसी इस्तेमाल की इजाजत पर सवाल उठाए हैं.
उन्होंने स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन को ट्विटर पर टैग करते हुए लिखा, "डॉक्टर हर्षवर्धन कृपया इस बात को साफ कीजिए. सभी परीक्षण होने तक इसके इस्तेमाल से बचा जाना चाहिए. तब तक भारत एस्ट्राजेनेका की वैक्सीन के साथ शुरुआत कर सकता है."
हालांकि हर्षवर्धन ने भी ट्वीट कर जवाब दिया कि इस तरह के गंभीर मुद्दे का राजनीतिकरण करना किसी के लिए भी शर्मनाक है.
कोवैक्सीन बनाने वाली कंपनी भारत बायोटैक के चेयरमैन कृष्ण इल्ला ने उठ रहे सवालों पर जवाब दिया है. उन्होंने कहा,
दरअसल, सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया के प्रमुख अदार पूनावाला ने फाइजर, मॉडर्ना और ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका के अलावे बाकी टीकों को 'पानी' की तरह बताया था. उन्होंने कोवैक्सीन का नाम भी नहीं लिया था.
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