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सेना को COVID में सहयोग के लिए दिए गए विशेष वित्तीय अधिकार

कोरोना से लड़ने के लिए सेना खुद तैयार कर सकती है हॉस्पिटल और अन्य इंफ्रास्ट्रक्चर

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फाइल फोटो- PTI
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फाइल फोटो- PTI

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कोविड महामारी के खिलाफ लड़ाई में केंद्र सरकार ने बड़ा फैसला लिया है. रक्षा मंत्रालय ने सेना को इमरजेंसी फाइनेंशियल पॉवर दे दिए हैं. यानी अब सेना स्वयं अस्पताल, बेड्स और अन्य मेडिकल जरूरतों की पूर्ति अपने स्तर पर कर सकती है.

कोरोना के खिलाफ जारी लड़ाई में सैन्य अस्पताल, सेना के डॉक्टर्स और अधिकारी भी लोगों के इलाज में लगे हुए हैं.

सेना को मिले आपातकालीन आर्थिक अधिकार

भारत में कोरोना वायरस के संक्रमण से हालात बेकाबू होते जा रहे हैं. इस महामारी से निपटने के लिए सरकार से लेकर सेना भी मोर्चा संभाले हुए है.

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सेना को इमरजेंसी फाइनेंशियल पावर दिए हैं, ताकि कोविड के खिलाफ लड़ाई में सेना ज्यादा तेजी के साथ प्रयास कर सके. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ट्वीट करके इसकी जानकारी दी.

इमरजेंसी फाइनेंशियल पावर मिलने के बाद अब सेना स्वयं कोविड अस्पतालों का निर्माण कर सकेगी. कोविड हॉस्पिटल, कोविड केयर सेंटर्स, आइसोलेशन और क्वांरटीन फैसिलिटी के लिए सेना जरूरी सामना खरीद सकेगी. इससे कोविड-19 से संक्रमित मरीजों के लिए अस्पतालों की संख्या बढ़ेगी और उन्हें बेहतर इलाज की सुविधा मिलेगी.

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सेना के अधिकारियों को मिले अधिकार

इमरजेंसी फाइनेंशियल पॉवर के तहत वाइस चीफ ऑफ ऑर्म्ड फोर्से और जनरल ऑफिसर कमांडिंग इन चीफ को पूरे अधिकार दिए जाएंगे.

इसके लिए कॉर्प्स कमांडर्स और एरिया कमांडर्स को 50 लाख तक के अधिकार दिए गए हैं और डिवीजन कमांडर्स व सब एरिया कमांडर्स और उनके समकक्ष को 20 लाख रुपए तक की पावर दी गई. सेना को यह अधिकार 3 महीनों के लिए दिए गए हैं, जो कि 1 मई से 31 जुलाई तक के लिए होंगे.

इससे पहले, चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल बिपिन रावत ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से कहा था कि, सेना से रिटायर्ड डॉक्टर्स से अनुरोध किया गया है कि वे कोविड केयर केंद्रों पर तैनात होकर अपनी सेवाएं दें.

बता दें कि कोरोना महामारी से देश बुरी तरह से ग्रस्त है. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार शुक्रवार 30 अप्रैल को भारत में कोरोना के 3.86 लाख नए केस आए हैं और 3 हजार से ज्यादा लोगों की मौत हो गई है.

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