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कोरोना वायरस को लेकर सरकार की तरफ से लगातार बताया जा रहा है कि लॉकडाउन का पालन करें. लेकिन अब दूसरे लॉकडाउन में भी कई ऐसी खबरें सामने आ रही हैं, जिनमें लॉकडाउन नियमों का खुलेआम उल्लंघन किया जा रहा है. केंद्र और राज्य सरकारों के बीच नियमों को लेकर तालमेल की कमी साफ नजर आ रही है. इसका जिक्र सोमवार को गृहमंत्रालय ने प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान भी किया.
बता दें कि केंद्र सरकार की तरफ से बताया गया था कि 20 अप्रैल से कुछ राज्यों में कई तरह की छूट दी जा सकती हैं. इसके लिए केंद्र की तरफ से बकायदा गाइडलाइन जारी हुई थीं. लेकिन पहले ही दिन राज्यों में नियमों को लेकर कई तरह की कंफ्यूजन देखने को मिली. सबसे पहले केरल ने एक ऐसा ऐलान किया, जिससे लॉकडाउन के बीच कई चीजों में छूट दी जा रही थी.
गृह मंत्रालय की तरफ से भी ऐसे सभी राज्यों को कड़े शब्दों में कहा गया कि सख्ती से लॉकडाउन के नियमों का पालन होना चाहिए. गृह मंत्रालय की तरफ से साफ तौर पर कहा गया कि आपदा प्रबंधन अधिनियम के दिशा निर्देशों में अपने एरिया को देखते हुए सख्ती बढ़ाई जा सकती है, लेकिन इसके नियमों को किसी भी तरह से कमजोर नहीं किया जा सकता है. गृह मंत्रालय की तरफ से ऐसे राज्यों और जिलों को लेकर चिंता व्यक्त की गई है.
हालांकि केंद्र की इस फटकार के बाद केरल के मंत्री कड़कम्पल्ली सुरेंद्रन ने कहा कि उन्होंने केंद्र के दिशा निर्देशों का पालन करते हुए नियमों में छूट दी है. उन्होंने कहा कि कुछ गलतफहमी थी, जिस पर केंद्र ने स्पष्टीकरण मांगा है. राज्य सरकार ने सभी मानदंडों का पालन किया है.
अब केंद्र सरकार की तरफ से जमीनी स्तर पर होने वाले काम और लॉकडाउन के नियमों को देखने के लिए अंतर मंत्रीय सेंट्रल टीम गठित की गई है. ऐसी कुल 6 टीमें बनाई गई हैं. जिन्हें देश के उन जिलों में भेजा गया है, जहां कोरोना वायरस को लेकर हालत काफी गंभीर है. इनमें महाराष्ट्र, राजस्थान, मध्य प्रदेश और पश्चिम बंगाल के जिले शामिल हैं. लेकिन इसे लेकर भी सवाल खड़े होने शुरू हो चुके हैं.पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी ने इसे लेकर सवाल खड़ा किया.
उन्होंने ट्विटर पर कहा कि केंद्र ने देश के जिन जिलों के लिए अंतर मंत्रीय सेंट्रल टीम का गठन किया है वो साफ नहीं है. उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी और गृहमंत्री से कहा कि कृपया आप इसके मानदंडों को हमारे साथ शेयर करें. ममता ने कहा कि “तब तक मैं डरी रहूंगी, हम इसे लेकर आगे नहीं बढ़ पाएंगे. बिना किसी जरूरी कारण के ये फैसला संघवाद की भावना के मुताबिक नहीं हो सकता है.”
अब 20 अप्रैल से मिलने वाली छूट को लेकर जहां कंफ्यूजन दिख रही है, वहीं कुछ राज्यों ने इसे लेकर कुछ फैसले लिए हैं. पहले उन राज्यों की बात कर लेते हैं, जहां पर संपूर्ण लॉकडाउन को बरकरार रखने का ऐलान किया गया है. ऐसे राज्यों में सबसे पहले दिल्ली का नाम आता है. दिल्ली सरकार की तरफ से साफ कर दिया गया है कि 3 मई तक पाबंदियों को नहीं हटाया जाएगा. सीएम केजरीवाल ने ये भी बताया कि दिल्ली में 79 कंटेनमेंट जोन हैं, वहां किसी को भी आने जाने की इजाजत नहीं दी जाएगी.
तेलंगाना के मुख्यमंत्री ने तो लॉकडाउन को भी आगे बढ़ा दिया है. उन्होंने ऐलान किया है कि राज्य में 7 मई तक लॉकडाउन लागू रहेगा. वहीं कर्नाटक सरकार की तरफ से कहा गया है कि 21 अप्रैल की रात तक संपूर्ण लॉकडाउन लागू रहेगा और लॉकडाउन को 7 मई तक बढ़ाने को लेकर जल्द फैसला लिया जाएगा.
तमिलनाडु सरकार ने भी ऐलान किया है कि वहां किसी भी तरह की कोई छूट नहीं दी जाएगी. यहां सिर्फ आवश्यक वस्तुओं को ही आवाजाही की इजाजत होगी. बाकी नियम पहले की ही तरह लागू रहेंगे.
अब उन राज्यों के बारे में बताते हैं, जिन्होंने लॉकडाउन के बीच छूट देने का फैसला किया है. महाराष्ट्र के सीएम उद्धव ठाकरे ने 19 अप्रैल को कहा कि ग्रीन और ऑरेंज जोन में आने वाली इंडस्ट्रीज को कुछ शर्तों के साथ छूट दी जाएगी. खासतौर पर उन इंडस्ट्रीज के लिए जो अपने कर्मचारियों के लिए ठहरने की व्यवस्था कर सकते हैं.
राज्य में ग्रीन जोन में वो क्षेत्र हैं, जहां कोरोना का कोई भी केस सामने नहीं आया है. वहीं ऑरेंज जोन में उन क्षेत्रों को शामिल किया गया है, जहां गिने-चुने केस सामने आए हैं. हालांकि सीएम ने साफ किया है कि राज्य की सीमाएं आवश्यक वस्तुओं के अलावा किसी भी तरह की आवाजाही के लिए पूरी तरह सील होंगी.
मध्य प्रदेश सरकार ने भी कहा है कि कुछ इकनॉमिक एक्टिविटी को छूट दी जाएगी. कुछ इंडस्ट्रीज और एग्रीकल्चर एक्टिविटीज को खोलने की इजाजत दी जाएगी. हालांकि इस छूट का फायदा भोपाल, इंदौर और उज्जैन को नहीं मिलेगा.
ठीक इसी तरह गुजरात में भी 20 अप्रैल से करीब हजार छोटी इंडस्ट्रीज को खोलने की इजाजत देने की तैयारी है. इन इंडस्ट्रीज में ज्यादातर MSME सेक्टर से जुड़ी हैं.
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