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कोरोना वायरस लॉकडाउन से देश की आर्थिक व्यवस्था बिगड़ती जा रही है. राज्यों में कारोबार ठप पड़ने से आय स्रोत बंद हो गए हैं और राज्य के खजाने भी खाली हो रहे हैं. राज्य सरकारों ने केंद्र से आर्थिक मदद की मांग की है, लेकिन अब तक इस पर किसी तरह की रणनीति तैयार नहीं हो पाई है. ऐसे में पंजाब सरकार ने आर्थिक संकट से उबरने के लिए काम शुरू कर दिया है. पंजाब सरकार ने इसके लिए पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और पूर्व योजना आयोग के अध्यक्ष मोंटेक सिंह अहलुवालिया से मदद मांगी है.
पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और पूर्व योजना आयोग अध्यक्ष मोंटेक सिंह अहलुवालिया पंजाब सरकार की मदद के लिए तैयार हो गए हैं. अब वे COVID-19 लॉकडाउन के बाद पंजाब सरकार को राज्य की अर्थव्यवस्था को पुनर्जीवित करने में मदद करेंगे.
अमरिंदर सिंह ने ट्वीट कर कहा कि
पंजाब सरकार ने अहलुवालिया की अध्यक्षता में 25 अप्रैल को 20 विशेषज्ञों के एक समूह का गठन किया है. जो राज्य की अर्थव्यवस्था को पुनर्जीवित करने के लिए "राजकोषीय प्रबंधन रणनीति" को शामिल करने के लिए राज्य सरकार को शॉर्ट टर्म और मीडियम टर्म एक्शन प्लान का सुझाव तो देंगे ही, इसके साथ ही वे नीतिगत सुझाव भी देंगे.
बताया जा रहा है कि 20 सदस्यों की टीम मनमोहन सिंह के गाइड पर 31 जुलाई तक शुरुआती सुझाव दे देगा और 30 सितंबर और 31 दिसंबर तक दो और रिपोर्ट प्रस्तुत करेंगे.
डॉ. मनमोहन सिंह और मोंटेक सिंह अहलुवालिया को शामिल करने का निर्णय केवल सलाह देने और सिफारिशें प्रस्तुत करने को लेकर नहीं है. बल्कि, ये कैप्टन की राजनीतिक गणना के साथ भी जुड़ी हुई है. कैप्टन खुद को पंजाब के भाग्य को पुनर्जीवित करने वाले नेता के रूप में भी प्रोजेक्ट करना चाहते हैं.
राजस्थान के सीएम ओशोक गहलोत और छत्तीसगढ़ के सीएम भूपेश बघेल जैसे कांग्रेस सीएम जिनकी प्रशंसा कोविड-19 संकट से निपटने के लिए की जा रही है. ऐसे में कैप्टन भी अपनी पहचान बनाना चाहते हैं. जहां तक आर्थिक पुनरुद्धार का सवाल है, पंजाब में कई चुनौतियां हैं. लॉकडाउन और बड़े पैमाने पर श्रम की कमी के कारण राज्य में रबी की फसल विशेष रूप से प्रभावित हुई है.
डॉ. मनमोहन सिंह की उपस्थिति विशेष रूप से अमरिंदर सिंह की स्थिति को राजनीतिक रूप से मजबूत करेगी. क्योंकि, जब से उन्होंने साल 2017 में पंजाब के सीएम के रूप में अपना कार्यकाल शुरू किया है, तब से अटकलें लगाई जा रही है कि उनके कार्यकाल के बीच में या अगले विधानसभा चुनाव से ठीक पहले किसी युवा नेतृत्व में बदल दिया जाएगा.
यह पहला मौका नहीं है जब अमरिंदर ने मनमोहन सिंह से मदद मांगी है. साल 2019 के लोकसभा चुनावों में भी, कैप्टन ने मनमोहन सिंह को पंजाब की अमृतसर लोकसभा सीट से चुनाव लड़ने के लिए मनाने की कोशिश की थी. हालांकि, सिहं ने मना कर दिया और सीट कांग्रेस के गुरजंत सिंह औजला ने जीती, जिन्होंने केंद्रीय मंत्री हरदीप पुरी को हराया.
ऐसे में कैप्टन अमरिंदर सिंह ने अपनी स्थिति को मजबूत करने के लिए मनमोहन सिंह और अहलुवालिया के साथ एक स्मार्ट कदम उठाया है. लेकिन मुश्किल ये है कि पंजाब की अर्थव्यवस्था को पुनर्जीवित करने के लिए वह इसे कैसे पूरा करेंगे.
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