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कोरोना वायरस की वजह से 3 मई तक पूरे देश को लॉकडाउन किया गया है. वहीं, वैज्ञानिकों का कहना है कि लॉकडाउन खत्म होने के कुछ सप्ताह बाद कोरोना वायरस मामलों की रफ्तार कम होती दिख सकती है या कुछ हफ्तों के भीतर इनमें गिरावट भी देखने को मिल सकती है. लेकिन जुलाई के अंत या अगस्त में भारत में इसका दूसरा दौर सामने आ सकता है. वैज्ञानिकों का कहना है कि मानसून के दौरान संक्रमण के मामलों की संख्या बढ़ सकती है.
वैज्ञानिकों का कहना है कि संक्रमण का शिखर पर पहुंचना इस बात पर निर्भर करेगा कि भारत सोशल डिस्टेंसिंग को किस प्रकार नियंत्रित करता है और प्रतिबंधों में राहत देने के बाद संक्रमण फैलने का स्तर कितना रहता है.
प्रोफेसर भट्टाचार्य ने कहा, महामारी का दूसरा दौर जुलाई अंत या अगस्त में मानसून में देखने को मिल सकता है. हालांकि, मामलों की बढ़ोत्तरी इस बात पर निर्भर करेगी कि हम उस वक्त सोशल डिस्टेंसिंग का पालन किस तरह से कर रहे हैं. बेंगलुरु के भारतीय विज्ञान संस्थान (आईआईएससी) के प्रोफेसर राजेश सुंदरेसन ने इस पर सहमति जताई.
प्रो. सुंदरेसन ने कहा, “जब हम सामान्य गतिविधि के दौर में लौटेंगे, उस वक्त ऐसी आंशका रहेगी कि संक्रमण के मामले एक बार फिर बढ़ने लगें. चीन में यात्रा प्रतिबंध में कुछ राहत देने के बाद कुछ हद तक यह देखा भी गया है.”
सरकार ने 25 मार्च से लॉकडाउन प्रभावी होने की घोषणा की थी जब देश में कोरोना वायरस के 618 मामले थे और 13 मौत हुई थी. इस बंद को बाद में बढ़ाकर तीन मई तक कर दिया गया. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक कोविड-19 से मरने वालों की संख्या शुक्रवार को 718 हो गई और कुल संक्रमितों की संख्या 23,077 है.
हालांकि, अच्छी खबर देते हुए, अधिकारियों ने इस हफ्ते कहा था कि मामलों के दोगुना होने की दर इस अवधि में कम हुई. जो मामले लॉकडाउन से पहले 3.4 चार दिन में दोगुने हो रहे थे और बंद प्रभावी होने के बाद यह 7.5 दिन में दोगुने होने लगे. लोगों के स्वस्थ होने की दर भी पिछले 10 दिनों में करीब दोगुनी हो गई.
बेंगलुरु और मुंबई को प्रतिरूप मानकर किए गए अध्ययन के मुताबिक संक्रमण का दूसरा दौर देखने को मिलेगा और जन स्वास्थ्य का खतरा इसी प्रकार बना रहेगा जब तक कि मामलों का आक्रामक तरीके से पता लगाने, स्थानीय स्तर पर उन्हें रोकने और आइसोलेट करने के लिए कदम न उठाए जाएं और नये संक्रमण को आने से रोका जाए.
सुंदरेसन कहते हैं, ‘‘ लॉकडाउन का इस समय हम पालन कर रहे हैं. इसने हमें बहुत ही कीमती वक्त दे दिया है... टेस्ट करने का, पता लगाने का , आइसोलेशन करने का, बेहतर साफ सफाई अपनाने का, वैक्सीन की खोज करने का. अब ये फैसला करना बड़ा मुश्किल होगा कि लॉकडाउन को कब और कैसे हटाना है.’’
भट्टाचार्य कहते हैं, ‘‘ जब तक बाजार में वैक्सीन आता है, हमें सतर्क रहना होगा. ये मानसून के महीने हमारे देश में अधिकतर स्थानों पर फ्लू के मौसम के भी होते हैं. इसलिए हमें फ्लू के शुरूआती लक्षणों को अनदेखा नहीं करना है.’’
इनपुट भाषा से
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