Home Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019News Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019India Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019भारत की वैक्सीन COVAXIN की मंजूरी पर क्या-क्या सवाल उठ रहे हैं?

भारत की वैक्सीन COVAXIN की मंजूरी पर क्या-क्या सवाल उठ रहे हैं?

COVAXIN को इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) के साथ मिलकर बनाया गया है.

देवीना बक्शी
भारत
Updated:
भारत की वैक्सीन COVAXIN की मंजूरी पर क्या-क्या सवाल उठ रहे हैं?
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भारत की वैक्सीन COVAXIN की मंजूरी पर क्या-क्या सवाल उठ रहे हैं?
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ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी की कोविशील्ड वैक्सीन के बाद भारत बायोटेक की कोवैक्सीन (COVAXIN) को भी इमरजेंसी इस्तेमाल की मंजूरी मिल चुकी है. लेकिन इसपर सवाल उठ रहे हैं. आखिर इसकी क्या वजह है? हमने इस बारे में मंगलुरु के येनेपोया यूनिवर्सिटी में बायोएथिक्स के एडजंक्ट प्रोफेसर और रिसर्चर डॉ अनंत भान से बात की. COVAXIN को इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) के साथ मिलकर बनाया गया है.

COVAXIN का फेज 3 क्लीनिकल ट्रायल जारी है. इस वैक्सीन की प्रभावकारिता(efficacy) पर किसी तरह का डेटा भी सामने नहीं आया है. तो इसकी जल्दी क्या थी?

इमरजेंसी यूज अप्रूवल जिसे आमतौर पर इमरजेंसी यूज ऑथराइजेशन कहते है- इसमें सारे डेटा उपलब्ध नहीं होते यानी ट्रायल पूरा न हुआ हो फिर भी अंतरिम डेटा के आधार पर मंजूरी दी जा सकती है. पहले भी ऐसा हुआ है. इबोला वायरस इसका उदाहरण है.

COVAXIN के मामले में ज्यादा पारदर्शिता और डिटेल सामने लाने की जरूरत है ताकि लोग स्वतंत्र होकर जजमेंट बना सकें. किस डेटा के आधार पर अप्रूवल का फैसला लिया गया? क्या चर्चा हुई? सब्जेक्ट एक्सपर्ट कमिटी ने कुछ दिन पहले ज्यादा डेटा की मांग की थी तो आखिर वो किस तरह के डेटा थे? इस सवालों के जवाब पब्लिक डोमेन में नहीं हैं.
डॉ अनंत भान
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फेज 3 ट्रायल डेटा इतना जरूरी क्यों है?

वैक्सीन के फेज 1 ट्रायल में सुरक्षा की जांच होती है. फेज 2 में सुरक्षा और इम्यूनोजेनेसिटी देखी जाती है कि वैक्सीन इम्यून रिस्पॉन्स पैदा कर रहा है या नहीं. फेज 3 में प्रभावकारिता देखते हैं कि वैक्सीन आपको इंफेक्शन के खिलाफ सुरक्षा दे रहा है या नहीं. ये बड़े ट्रायल होते हैं. भारत बायोटेक करीब 26000 पार्टिसिपेंट्स पर ट्रायल कर रहा है. ट्रायल में 2 आर्म शामिल हैं- एक वैक्सीन पाने वाले और एक प्लेसीबो वाले.

ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका, फाइजर, मॉडर्ना ने ये डेटा पब्लिश किया है. हालांकि चीन और रूस की वैक्सीन की भी एफिकेसी डेटा पब्लिक में नहीं हैं.
.डॉ अनंत भान

AIIMS ICMR का कहना है कि अगर केस बढ़ते हैं तो इस वैक्सीन को ‘बैकअप’ की तरह इस्तेमाल कर सकते हैं? इसका क्या मतलब है?

सीरम इंस्टिट्यूट के पास ऑक्सफोर्ड वैक्सीन का स्टॉक है, हालांकि वो पर्याप्त नहीं है. वहीं इमरजेंसी हालात में सब्जेक्ट एक्सपर्ट कमिटी की मीटिंग कभी भी बुलाई जा सकती है और फैसले लिए जा सकते हैं. ऐसे में इस आधार पर अप्रूवल की बात करने पर भी सफाई नहीं है.

डॉ अनंत भान कहते हैं- “वैक्सीन और इसके साइंस पर सवाल नहीं उठ रहे हैं. साफ जानकारी, पारदर्शिता, कौन इसमें शामिल रहा, प्रोटोकॉल क्या रहे, कौन फैसला ले रहा है- इन सवालों के जवाब जनहित में होने चाहिए वर्ना लोगों में चिंता रहेगी कि क्या उन्हें और इंतजार करना होगा और ये डेटा कोई खुद नहीं ढूंढ सकता.”

वहीं क्लीनिकल ट्रायल मोड जैसे शब्दों का इस्तेमाल पहले नहीं किया गया है. इसे लेकर और सफाई की जरूरत है.

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Published: 04 Jan 2021,10:58 PM IST

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