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एक स्टडी में सामने आया है कि कोविड-19 के ऐसे मामले, जिनमें वायरस का असर हल्का होता है, उन मरीजों में संक्रमण के बाद के पहले तीन महीनों में कोरोना वायरस के खिलाफ एंटीबॉडीज तेजी से कम होते हैं. लॉस एंजेलिस के कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय में एक ग्रुप ने ऐसे 34 लोगों पर गहन अध्ययन किया है, जो हल्के कोविड-19 संक्रमण से उबर चुके थे. उन्होंने तीन महीने में दो से तीन बार अपने खून का टेस्ट कराया था.
द न्यू इंग्लैंड जर्नल ऑफ मेडिसिन में पब्लिश हुई इस स्टडी के मुताबिक, हर 73 दिनों में एंटीबॉडी का स्तर लगभग आधा हो गया.
स्टडी में इस रिजल्ट को लेकर चिंता व्यक्त की गई है कि सार्स-CoV-2 के खिलाफ इम्युनिटी लंबे समय तक नहीं रह सकती है. स्टडी में यह भी कहा गया है कि 90 दिनों के बाद एंटीबॉडीज के स्तर को लेकर आगे स्टडी की आवश्यकता होगी.
रिपोर्ट में कहा गया है कि इंफेक्शन के खिलाफ एंटीबॉडीज के रोल को अभी तक पूरी तरह से समझा नहीं गया है, लेकिन उन्हें आमतौर पर जनरल इंफेक्शन के खिलाफ कुछ सुरक्षा का अच्छा प्रतिनिधित्व माना जाता है.
दुनियाभर में कोरोना वायरस के केसों का आंकड़ा 1.5 करोड़ पहुंचने वाला है. अब तक पूरी दुनिया में 6.16 लाख लोगों की इस वायरस के चलते मौत हो गई है. वायरस को रोकने के लिए दुनिया के तमाम देश वैक्सीन बनाने में लगे हैं.
इस ओर, ऑक्सफोर्ड से अच्छी खबर भी सामने आई है. ऑक्सफोर्ड की कोरोना वायरस वैक्सीन के शुरुआती ह्यूमन ट्रायल्स में अच्छे नतीजे सामने आए हैं. वैक्सीन ने लोगों में इम्यून सिस्टम को वायरस से लड़ने के लिए तैयार किया.
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