Home Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019News Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019India Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019COVID दिन रात कर रहा वार और वैक्सीनेशन में हम मना रहे ‘रविवार’

COVID दिन रात कर रहा वार और वैक्सीनेशन में हम मना रहे ‘रविवार’

रविवार को बाकी दिनों की तुलना में हो रहा महज 10% वैक्सीनेशन

प्रेम कुमार
भारत
Updated:
कोरोना वैक्सीन
i
कोरोना वैक्सीन
(फोटो: iStock)

advertisement

देश में कोरोना की रफ्तार उछाल मार रही है लेकिन वैक्सीनेशन कैम्पेन का ‘रविवार’ मनाना जारी है. शुक्रवार के मुकाबले शनिवार और शनिवार के मुकाबले रविवार को वैक्सीन लेने वालों की तादाद में बड़ी गिरावट देखने को मिल रही है. शुक्रवार के मुकाबले रविवार को वैक्सीन लेने वालों की संख्या बीते 11 हफ्तों में औसतन 10 फीसदी ही देखी गयी है. इसमें 28 फरवरी शामिल नहीं है जब सॉफ्टवेयर की दिक्कतों को दूर करने के लिए वैक्सीन लगाने का कार्यक्रम रोक देना पड़

‘रविवार’ बना रोड़ा, 75 लाख लोग नहीं ले सके वैक्सीन

16 जनवरी के बाद से 28 मार्च तक 72 दिनों में 6 करोड़ 5 लाख 30 हजार 435 लोगों को वैक्सीन लगायी जा चुकी है. इसका मतलब यह है कि औसतन 8,40,700 लोगों को हर दिन वैक्सीन लगायी गयी है. इस दौरान पड़े 11 रविवार में से एक को छोड़ दें (जिस दिन वैक्सीन नहीं लगी) तो बाकी 10 रविवार को क्षमता से करीब 90 फीसदी कम लोगों को वैक्सीन लगायी गयी. इसका मतलब यह है कि हम 75 लाख 66 हजार 300 अतिरिक्त लोगों को वैक्सीन दे सकते थे, लेकिन ‘रविवार’ होने की वजह से ऐसा नहीं कर पाए.

वैक्सीन लेने वालों की संख्या शनिवार को भी कम हो जाती है. उदाहरण के लिए शुक्रवार 26 मार्च को 26 लाख से ज्यादा लोगों ने वैक्सीन ली थी लेकिन अगले दिन शनिवार को यह संख्या घटकर 21.6 लाख रह गयी. मतलब ये कि शनिवार होने की वजह से भी वैक्सिनेशन करीब 80 फीसदी ही हो पा रही है. हर हफ्ते आप यही रुझान देख सकते हैं.

जब 16 जनवरी 2021 को भारत में वैक्सीन लगाने का अभियान शुरू हुआ था, तब पहले दिन 1,91,181 लोगों ने वैक्सीन ली थी. 22 मार्च को अधिकतम 34,28,596 लोगों को वैक्सीन दी जा चुकी है. अगर इस अधिकतम क्षमता को बरकरार रखा जाता है तो एक महीने में 10 करोड़ लोगों से ज्यादा को वैक्सीन लग सकती है. मगर, इस मकसद में सबसे बड़ी बाधा सप्ताहांत छुट्टियां हैं. शनिवार और रविवार को वैक्सीन लगाने की प्रक्रिया धीमी और बहुत धीमी होती दिख रही है.

बीते 72 दिन में गंभीर हुई है कोरोना की स्थिति

देश में वैक्सीन लगाने का अभियान शुरू करते वक्त कोरोना संक्रमण के 1,05,58,715 के मामले आ चुके थे. रिकवर हो चुके मरीजों की तादाद 1,01,96,223 थी. एक्टिव केस की संख्या 2,05,811 रह गयी थी. मृतकों की संख्या 1,52,311 हो चुकी थी. वैक्सीनेशन शुरू करते समय एक दिन में 181 लोगों की मौत हुई थी.

वैक्सीनेशन शुरू करने के 72 दिन बाद कोरोना संक्रमण की स्थिति गंभीर है और वैक्सीनेशन के अभियान को तेज और बेहद तेज करने की जरूरत है. आंकड़ों को देखें तो 28 मार्च तक कोरोना के 1,20,39,210 मामले आ चुके हैं. मतलब ये कि बीते 72 दिनों में 14 लाख 80 हजार 495 नये मरीज आए हैं. हालांकि इस दौरान 11 लाख 57 हजार 623 मरीज रिकवर भी हुए हैं. फिर भी एक्टिव मरीजों की संख्या 5,18,648 हो चुकी है जो डराने वाली है. इससे पहले पिछले साल नवंबर के पहले हफ्ते में इतने एक्टिव केस रहे थे. मृतकों का आंकड़ा भी एक दिन में 300 के करीब आ पहुंचा है. बीते साल दिसंबर के अंत प्रतिदिन मौत का यह आंकड़ा था.

ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT

टेस्टिंग की धीमी पड़ी रफ्तार भी चिंता का विषय

कोरोना की तेज रफ्तार वैक्सिनेशन को तेज करने के साथ-साथ टेस्टिंग, ट्रेसिंग और ट्रीटमेंट के मंत्र पर तेज गति से काम करने की भी जरूरत बता रही है. अब तक देश में 24 करोड़ 18 लाख से ज्यादा लोगों की टेस्टिंग हो चुकी है. निस्संदेह यह बड़ा आंकड़ा है. लेकिन, एक महीने में 1 करोड़ टेस्टिंग की क्षमता बीते वर्ष जुलाई में हासिल कर चुकने के बाद सितंबर, अक्टूबर और नवंबर तक 3 करोड़ से ज्यादा टेस्टिंग हमने कर दिखलायी थी.

इसका मतलब यह है कि औसतन 10 लाख से ज्यादा टेस्टिंग हमने तीन महीने लगातार करके दिखलाया है. फिर यह टेस्टिंग नये साल में गिरती क्यों चली गयी है? यह चिंता उस चिंता से अलग है जिसमें रविवार को वैक्सीनेशन या टेस्टिंग कम हो जाती है. हालांकि वैक्सीनेशन और टेस्टिंग की तुलना करें तो वैक्सीनेशन जहां रविवार को 90 फीसदी कम हो जाती है वहीं टेस्टिंग में आम तौर पर 10 फीसदी की गिरावट देखने को मिली है.

वक्त की जरूरत है कि कोरोना के खिलाफ लड़ाई को वीकेंड की भेंट चढ़ने नहीं दिया जाए. रविवार को ‘टीकावार’ या ‘वैक्सीसंडे’ जैसे नाम देकर इस महाभियान को नयी ऊंचाई देने की आवश्यकता है. यह काम निश्चित रूप से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ही कर सकते हैं. मंत्र फूंकने में उनका कोई सानी नहीं है. इस मंत्र को जितनी जल्द हो फूंका और अमल में लाया जाना चाहिए.

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

Published: 31 Mar 2021,05:20 PM IST

ADVERTISEMENT
SCROLL FOR NEXT