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अमेरिका में संक्रामक बीमारियों के सबसे एक्सपर्ट और व्हाइट हाउस के मेडिकल सलाहकार डॉ एंथनी फाउची का कहना है कि कोरोना वैक्सीन के दो डोज के बीच के समय को बढ़ाने से वायरस के वेरियंस से संक्रमण होने की आशंका बढ़ सकती है. NDTV से बातचीत में डॉ फाउची ने ये भी कहा कि जिस देश में ज्यादा लोगों को कोरोना वैक्सीन नहीं दिया जा सका हो वहां पर डेल्टा वेरियंट की वजह से चिंता तो बनी ही होगी.
अमेरिका की कोरोना वायरस टास्क फोर्स के अहम सदस्य डॉ एंथनी फाउची ने पिछले महीने मई में न्यूज एजेंसी एएनआई से बातचीत में कहा था कि भारत की कोशिश होनी चाहिए कि ज्यादा से ज्यादा लोगों को जल्दी वैक्सीन लगवाई जा सके. उस वक्त दो वैक्सीन के बीच के गैप को बढाने के सवाल पर फाउची ने कहा कि जब वैक्सीन की कमी है तो ज्यादा लोगों को कम से कम वैक्सीन की पहली डोज मिले इसके लिए पहली और दूसरी डोज के बीच की अवधि को बढ़ाना सही अप्रोच है. हालांकि, अब उन्होंने अप्रोच पर तो कुछ नहीं कहा है लेकिन ये जरूर कहा है कि इससे संक्रमण की आशंका बनी रहती है.
बता दें कि पिछले महीने ही केंद्र सरकार ने कोविशील्ड की दूसरी वैक्सीन के लिए इंटरवल को 8-12 हफ्तों से बढ़ाकर 12-16 हफ्ते कर दिया है. कई लोगों का कहना है कि ऐसा देश में वैक्सीन की कमी के चलते किया गया है. वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन के अनुसार कोरोना वैक्सीन के दो डोज (0.5ml दोनों) के बीच 8 से 12 हफ्तों का गैप होना चाहिए.वर्तमान में EU में एस्ट्रेजनेका वैक्सीन के 2 डोज़ के बीच 12 हफ्तों, स्पेन में 16 हफ्तों तथा UK में 8 हफ्तों का गैप दिया जा रहा है.भारत का कोविशिल्ड वैक्सीन एस्ट्रेजनेका-ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी द्वारा ही विकसित किया है.
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