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लॉकडाउन: गरीब मजदूरों के शहर छोड़ने पर विपक्षी नेताओं ने उठाए सवाल

पीएम मोदी ने 24 मार्च को पूरे देश में 21 दिनों के लॉकडाउन का ऐलान किया था

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भारत
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दिल्ली के एक बस अड्डे में अपने-अपने राज्यों की बसों में सवार होने का इंतजार करते प्रवासी
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दिल्ली के एक बस अड्डे में अपने-अपने राज्यों की बसों में सवार होने का इंतजार करते प्रवासी
(फोटोः PTI)

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देशभऱ में कोरोनावायरस के संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए किए गए लॉकडाउन के कारण प्रवासी मजदूरों के पलायन की भी समस्या सामने आई है. दिल्ली-मुंबई-गुरुग्राम जैसे शहरों में रह रहे कई उत्तर भारतीय प्रवासी पैदल ही अपने घरों के लिए निकल पड़े हैं. इस स्थिति के बाद भी एक नई बहस शुरू हो गई है और सभी राजनीतिक दल केंद्र सरकार और राज्य सरकारों से इनकी ओर ध्यान देने की अपील भी कर रहे हैं.

कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने यूपी-दिल्ली बॉर्डर पर लगी लोगों की भीड़ की तस्वीरें ट्वीट कर इसे भयावह हालात बताया और केंद्र सरकार को इसके लिए जिम्मेदार बताया. राहुल गांधी ने लिखा,

“सरकार इस भयावह हालत की ज़िम्मेदार है. नागरिकों की ये दशा करना एक बहुत बड़ा अपराध है. आज संकट की घड़ी में हमारे भाइयों और बहनों को कम से कम सम्मान और सहारा तो मिलना ही चाहिए. सरकार जल्द से जल्द ठोस क़दम उठाए ताकि ये एक बड़ी त्रासदी ना बन जाए.”

वहीं कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने भी एक वीडियो ट्वीट किया और लिखा,

“कैसे कोई देश अपने हजारों प्रवासी मजदूरों को खुद ही जूझने के लिए छोड़ सकता है? कई पुरुष, महिला, बच्चे पूर्वी यूपी और बिहार तक अपने घरों के लिए पैदल जा रहे हैं. हमने यूरोप से अपने नागरिकों को निकालने के लिए प्लेन भेजे, तो हम सबसे कमजोर तबके के लिए किसी तरह का साधन क्यों नहीं उपलब्ध करवा रहे हैं?”
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वहीं बीजेपी के वरिष्ठ नेता बलबीर पुंज ने भी अपने घरों की ओर लौट रहे प्रवासियों को लेकर ट्वीट किया, लेकिन उनके ट्वीट ने विवाद खड़ा कर दिया. बलबीर पुंज ने लिखा,

“प्रवासी दिल्ली क्यों छोड़ रहे हैं? खाने के लिए या पैसों के लिए? नहीं. सिर्फ गैर जिम्मेदार हैं. उनके घरों में उनके लिए कोई नौकरी या पैसा इंतजार नहीं कर रहा. ये अपनी जबरन दी गई छुट्टी को इस्तेमाल कर रहे हैं, ताकि अपने परिवार के पास जा सकें और घर के काम कर सकें. इन्हें अभी तक हालात की गंभीरता का अहसास नहीं हुआ है.” 

इसके जवाब में कांग्रेस नेता और पूर्व सांसद कीर्ति आजाद ने कहा कि बलबीर पुंज को खुद पर शर्म आनी चाहिए. उन्होंने लिखा,

“आपको शर्म आनी चाहिए. क्या वो सिर्फ छुट्टी के लिए 1000 किलोमीटर तक बिना खाने और पानी के चल रहे हैं? सिर्फ इसलिए क्योंकि आप आराम से अपने घर में हैं और आपके पास हर तरह का साधन है. उनके लिए भी ऐसा ही है. मुझे उम्मीद है कि आप अपने प्रवासी घरेलू सहायक को वेतन दे रहे हो और उन्हें छोड़ न दिया हो.”

वहीं दिल्ली के मुख्यमंत्री ने एक बार फिर वापस लौटने की कोशिश कर रहे प्रवासियों से अपील करते हुए कहा कि वो सभी लोग जहां हैं, वहीं रुकें. केजरीवाल ने साथ ही कहा कि दिल्ली सरकार पूरी मदद कर रही है.

तेजस्वी ने दिया आश्वासन

दूसरी तरह बिहार के नेता विपक्ष तेजस्वी यादव भी लगातार प्रवासियों का मुद्दा उठा रहे हैं. तेजस्वी ने बीते 2-3 दिनों में अलग-अलग राज्यों में फंसे बिहार के लोगों की मदद के लिए दिल्ली, हरियाणा, तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल समेत कई राज्यों के मुख्यमंत्रियों को ट्वीट कर अपील की है, जिनमें से कुछ पर उन्हें मदद का आश्वासन दिलाया गया.

वहीं तेजस्वी ने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से भी मांग की है कि वो यूपी सरकार से बात कर दिल्ली और यूपी में फंसे बिहारी लोगों की मदद के लिए आगे आएं.

भारत में अभी तक कोरोनावायरस से संक्रमण के 873 मामले सामने आ चुके हैं, जिनमें से 19 की मौत हो चुकी है. पूरे देश में 24 मार्च की आधी रात से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लॉकडाउन का ऐलान कर दिया था, जिसके बाद कई राज्यों में फंसे प्रवासी मजदूरों और कामगारों ने अपने-अपने घरों की ओर पैदल ही चलना शुरू कर दिया था.

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