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जब साइरस मिस्त्री ने पत्नी को मैसेज कर कहा,‘मुझे हटाया जा रहा है’

‘साइरस मिस्त्री को अपनी बात रखने का भी मौका नहीं दिया गया’

क्विंट हिंदी
भारत
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साइरस मिस्त्री
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साइरस मिस्त्री
(फोटो: Dhiraj Singh/Bloomberg)

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(ये खबर पहली बार अक्टूबर, 2017 में पब्लिश हुई थी. नेशनल कंपनी लॉ एपेलेट ट्रिब्यूनल (NCLAT) के फैसले के बाद ये कॉपी दोबारा पब्लिश हो रही है)

साल था 2016 और तारीख थी 24 अक्तूबर. जब तत्कालीन टाटा संस चेयरमैन साइरस मिस्त्री की पत्नी को उनके पति का एक मैसेज मिलता है. मैसेज में जो कुछ लिखा था, वो भारत की कॉर्पोरेट दुनिया की बड़ी उथलपुथल का शुरूआती हिस्सा था. महज कुछ घंटों बाद कॉर्पोरेट बैठकों के दौर के बाद जो बातें बाहर आईं उसने देश की सबसे सम्मानित कंपनियों में शुमार टाटा ग्रुप को हिला कर रख दिया.

टाटा सन्स में ग्रुप एक्जीक्यूटिव काउंसिल (जीईसी) के पूर्व सदस्य निर्मल्य कुमार ने एक ब्लॉग लिखकर साइरस मिस्त्री को हटाए जाने की पूरी कहानी बताई है.

“How Cyrus Mistry was Fired as Tata Chairman” नाम के ब्लॉग में निर्मल्य कुमार लिखते हैं कि साइरस को हटाए जाने की बात रतन टाटा और कंपनी के बोर्ड मेंबर नितिन नोहरिया ने उन्हें बताई थी. इसके बाद साइरस मिस्त्री ने अपनी पत्नी को मैसेज किया - 'मुझे हटाया जा रहा है'

इस तरह मिस्त्री ने खुद को हटाए जाने का विरोध किया था...

निर्मल्य कुमार ने अपने ब्लॉग में साइरस के प्रोटेस्ट के बारे में बताया है. बोर्ड की मीटिंग बॉम्बे हाउस के चौथे फ्लोर पर चल रही थी. बॉम्बे हाउस, टाटा ग्रुप का हेडक्वार्टर है

मिस्त्री ने खुद को हटाए जाने वाले मोशन (प्रस्ताव) को गैरकानूनी करार दिया. उन्होंने कहा एसोसिएशन के आर्टिकल्स के मुताबिक इस तरह के कदम को उठाए जाने के पहले 15 दिन का नोटिस देना होता है.
इसके बाद टाटा ट्रस्ट के नॉमिनी अमित चंद्रा ने बोर्ड के सदस्यों को बताया कि इस तरह के नोटिस की कोई जरूरत नहीं होती.

किसी ने मिस्त्री के पक्ष में वोटिंग नहीं की

साइरस मिस्त्री के लगातार विरोध के बावजूद बोर्ड मेंबर्स ने वोटिंग शुरू करवाई.

बोर्ड के 6 सदस्यों अजय पीरामल, अमित चंद्रा, नितिन नोहरिया, रोनेन सेन, वेणु श्रीनिवासन और विजय सिंह ने मिस्त्री को हटाए जाने के पक्ष में वोट दिया. बोर्ड के दो सदस्य फरीदा खंबाटा और इशात हुसैन ने वोटिंग में हिस्सा नहीं लिया.
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मिस्त्री को नहीं मिला बात रखने का मौका

कुमार ने ब्लॉग में लिखा, मिस्त्री को खुद का पक्ष रखने का कोई मौका नहीं दिया गया, न ही उनका कोई बात सुनी गई.

निर्मल्य कुमार आगे लिखते हैं कि वो इस दौरान जीईसी के दो दूसरे सदस्यों हरीश भट और एन एस राजन के साथ ताज होटल में थे.

इस बीच एन एस राजन को फोन पर मिस्त्री को हटाए जाने की खबर मिली. राजन का चेहरा पीला पड़ गया. उन्होंने कुमार के कान में आकर ये बात बताई.

तीनों को बाद में मीडिया के जरिए पता चला कि मिस्त्री के साथ-साथ जीईसी सदस्यों को भी कंपनी से हटा दिया गया है.

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Published: 22 Oct 2017,01:23 PM IST

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