advertisement
उत्तर प्रदेश के दादरी में उग्र भीड़ का शिकार बने मोहम्मद अखलाक मामले में नया मोड़ आया है. मथुरा स्थित फॉरेंसिक लैब द्वारा की गई जांच में साबित हुआ है कि अखलाक के घर की फ्रिज से बरामद किया गया मीट गोमांस ही था.
मथुरा लैब की रिपोर्ट उस प्राथमिक रिपोर्ट से पूरी तरह अलग है जो उत्तर प्रदेश के पशु चिकित्सा विभाग ने जांच के बाद दी थी. उत्तर प्रदेश के पशु चिकित्सा विभाग की प्राथमिक रिपोर्ट में कहा गया था कि मोहम्मद अखलाक के घर से बरामद किया गया मीट बकरे का मांस था.
मंगलवार को एक वरिष्ठ अभियोजन अधिकारी ने उत्तर प्रदेश पशु चिकित्सा सेवा (पशुपालन) विश्वविद्यालय की फॉरेन्सिक लैब की रिपोर्ट का हवाला देते हुए बताया कि रिपोर्ट को फास्ट ट्रैक अदालत को भेज दिया गया है.
रिपोर्ट में पशु चिकित्सा अधिकारी ने कहा है कि पुलिस ने पूर्व में बताया था कि जिस मांस के नमूने की जांच की गई वह गोमांस नहीं था बल्कि वह बकरे का मांस था. रिपोर्ट के अनुसार, नमूने को बाद में ‘अंतिम निष्कर्ष’ के लिए मथुरा स्थित फॉरेसिंक लैब भेजा गया था.
अखलाक के परिवार ने मथुरा लैब की रिपोर्ट को खारिज कर दिया है. उन लोगों ने घटना के दिन गोमांस का सेवन किए जाने से हमेशा ही इंकार किया है.
उत्तर प्रदेश में गोवध अपराध है लेकिन गोमांस का सेवन करना अपराध नहीं है. दादरी की घटना के बाद असहिष्णुता और बीफ की राजनीति को लेकर देशव्यापी बहस छिड़ गई थी और जगह-जगह व्यापक विरोध प्रदर्शन भी हुए थे.
बीते साल 28 सितंबर की रात दादरी में 52 वर्षीय मोहम्मद अखलाक को उन्मादी भीड़ ने पीट-पीट कर मारा डाला था. भीड़ का आरोप था कि अखलाक और उसके परिवार ने गोमांस खाया था.
उस दौरान कई प्रख्यात लेखकों, फिल्मकारों और वैज्ञानिकों ने खुद को मिले पुरस्कार भी लौटा दिए थे. अखलाक की हत्या के करीब तीन महीने बाद पुलिस ने 23 दिसंबर को एक नाबालिग समेत 15 लोगों के खिलाफ आरोपपत्र दाखिल किया था लेकिन उस आरोपपत्र में बीफ का कोई जिक्र नहीं था. आरोपपत्र में बीजेपी के एक स्थानीय नेता के बेटे का नाम भी शामिल था.
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)