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दादरी में गोमांस खाने की अफवाह पर भीड़ द्वारा एक व्यक्ति की हत्या कर दिए जाने के मामले में पुलिस ने बुधवार को पहली चार्जशीट दाखिल की. इस चार्जशीट में एक नाबालिग सहित 15 लोगों को आरोपी बनाया गया है.
पर अजीब बात यह है कि जिस पुजारी ने घटना से पहले मंदिर से अखलाक के परिवार के गोमांस खाने के बारे में घोषणा की थी, उसे इस मामले का गवाह भी नहीं बनाया गया है. शुरुआत में दादरी पुलिस उसे एक बड़े सूत्र के तौर पर देख रही थी.
पुजारी की घोषणा के बाद ही भीड़ ने अखलाक की हत्या की थी. वह उन कुछ लोगों में से एक है जो पूरे षड्यंत्र से जुड़े लोगों के नाम पुलिस को बता सकता था और इस घटना की गुत्थी सुलझाने में मदद कर सकता था. घटना के बाद पुजारी गांव में नजर नहीं आया है.
यूपी पुलिस की मानें तो सबसे पहले अफवाह फैलाने वाले विशाल राना और शिवम ने ही पुजारी को वह घोषणा करने के लिए धमकाया था. ऐसे में सवाल पुलिस के बयान से ही उठता है कि इस जानकारी के बाद भी पुलिस ने पुजारी की गवाही लेना जरुरी क्यों नहीं समझा.
क्या इस गवाही से अभियुक्तों पर आरोप तय नहीं हो जाता? पुलिस का यह भी दावा है कि गोमांस खाने की अफवाह फैलाने के पीछे के कारणों का पता लगाना भी इस जांच के लिए जरुरी नहीं.
केस के चश्मदीद गवाह दानिश ने पुलिस को अपना बयान दिया है पर इसे कोर्ट में नहीं ले जाया जा सकता. गौतमबुद्धनगर के पुलिस अधीक्षक संजय सिंह का कहना है कि इस बयान को शपथ के साथ दर्ज किया जाना जरुरी है. हालांकि दानिश की बहन का बयान न्यायाधीश की मौजूदगी में दर्ज कराया गया था.
अह तक इस मामले में यूपी पुलिस ने 17 गिरफ्तारियां की हैं, जिनमें एक नाबालिग और एक होमगार्ड शामिल है. जबकि 15 आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल कर दी गई है. आखिरी रिपोर्ट जिसमें यह साफ होगा कि अखलाक के घर पर मिला मांस गोमांस था या नहीं, अभी बाकी है.
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