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हमें यकीं है कि न्याय जरूर मिलेगाः अखलाक के बेटे ‘सरताज’

पढ़िए, अखलाक के बेटे सरताज की साम्प्रदायिक सद्भाव की अपील

द क्विंट
भारत
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अखलाक की मौत के बाद बिलखते हुए परिजन (फोटोः राॅयटर्स)
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अखलाक की मौत के बाद बिलखते हुए परिजन (फोटोः राॅयटर्स)
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लाठी-डंडों से लैस आक्रोशित भीड़ द्वारा मौत के घाट उतारे जाने से ठीक पहले अखलाक ने मदद के लिए अपने दोस्त मनोज सिसोदिया को फोन किया था.

अखलाक का फोन रखते ही सिसोदिया ने पुलिस को मामले की सूचना दी और अपने दोस्त के जान बचाने के लिए अखलाक के घर की ओर भागे.

अखलाक की काॅल मिलने के 15 मिनट में ही पुलिस और सिसोदिया उसके घर पहुंच गए. लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी.

दोस्त की मौत से व्यथित सिसोदिया ने ‘टाइम्स आॅफ इंडिया’ को दिए इंटरव्यू में कहा कि उनके गांव में सांप्रदायिक हिंसा की यह पहली घटना थी.

अखलाक से हुई अपनी अंतिम बातचीत को याद करके सिसोदिया कहते हैं कि अखलाक ने कहा था कि वह खतरे में हैं और मैं पुलिस को सूचना दे दूं.

मैंने पुलिस को फोन करके बताया कि मेरे दोस्त की जिंदगी खतरे में है. फोन रखते ही मैं अखलाक के घर की ओर भागा. बिना रुके मैं काफी देर तक भागता रहा. लेकिन जब तक मैं अखलाक के घर पहुंचा तब तक उसकी मौत हो चुकी थी. पुलिस भी 15 मिनट के अंदर पहुंच गई.

अगर मैं थोड़ा जल्दी पहुंच जाता तो शायद भीड़ को शांत कर पाता जो अखलाक के घर में बछड़े के काटे जाने की अफवाह पर अाक्रोशित थी. लेकिन हम उसके 21 साल के बेटे दानिश को अस्पताल तक ले जाने में सफल रहे.

- मनोज सिसोदिया, अखलाक के दोस्त

अखलाक के बेटे दानिश के सिर में किसी भारी चीज से चोट लगने की वजह से दो गंभीर ब्रेन सर्जरी करनी पड़ी हैं. वहीं अखलाक के सिर में चोट लगने की वजह से ब्रेन हेमरेज हुआ जिससे उनकी मौके पर ही मौत हो गई.

अखलाक के सिर पर उसी ईंट से वार किया गया जिसे वह अपने बेड के नीचे लगाते थे. (फोटोः राॅयटर्स)

दानिश को अस्पताल भेजते हुए सिसोदिया को अपनी जान के लिए खतरा लगा क्योंकि उनका अखलाक और उनके परिवार के साथ उठना-बैठना था.

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गांव वाले भारी पुलिसबल की तैनाती और राजनेताओं की बयानबाजी से खफा थे क्योंकि इस जमावड़े की वजह से गांव को इस घटना से उबरने के लिए जरा भी वक्त नहीं मिला है.

राजनेताओं और मीडिया को हमें सभ्यता का पाठ पढ़ाने की जरूरत नहीं है. वह बहुत ही संरक्षणवादी बाते कर रहे हैं और हमारे गांव में सांप्रदायिक हिंसा की यह पहली घटना थी और यह आखिरी ही होगी. हमारे बीच सब ठीक हो जाएगा अगर हमें अकेला छोड़ दिया जाए.

- टाइम्स आॅफ इंडिया से बात करते हुए बिसाहड़ा गांव निवासी ‘विष्णु सिंह’

अखलाक का बड़ा बेटा मोहम्मद सरताज नोएडा के कैलाश अस्पताल में अपने छोटे भाई का ख्याल रख रहा है.

एनडीटीवी से बात करते हुए सरताज ने कहा कि वह इस मामले को लोगों तक पहुंचाने के लिए मीडिया के शुक्रगुजार हैं.

भारतीय वायुसेना में काॅरपोरल के रूप में काम करने वाले सरताज कहते हैं कि देश कि सेवा करने वाले एक सैनिक के लिए यह काफी दर्दनाक है कि उसके परिवार के साथ कुछ ऐसा भी हो सकता है.

उनके अनुसार पड़ोसियों के साथ उनके परिवार के संबंध हमेशा ही काफी अच्छे रहे थे. साम्प्रदायिक सद्भाव को बढ़ाने की अपील करते हुए सरताज ने कहा, ‘सारे जहां से अच्छा हिंदोसिता हमारा.’

अंत में उन्होंने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि उनके पिता के कातिलों को कानून के दायरे में लाया जाएगा.

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